चातुर्मास का प्रारंभ जीवन मे परिवर्तन का शुभारंभ हैं :- कुलचंद्र सूरीश्वरजी

इस चातुर्मास तीन चीजों को बदलना हैं :- कुलदर्शन विजय


अहमदाबाद :-
चार्तुमास अर्थात धर्म करने का स्वर्णिम अवसर। आध्यात्मिक जगत में इसका विशेष महत्व है। चार्तुमास अर्थात चार माह संत-संतियों के सानिध्य में रहकर जीवन को पवित्र, पावन, निर्मल, उज्जवल बनाने का अवसर है।इसबार धर्म- ध्यान करने का आत्मचिंतन, आत्म कल्याण, आत्मा के उद्धार हमें अधिक सुअवसर प्राप्त हो रहा हैं।

उपरोक्त विचार  श्री गुरू धर्म समाधि भूमि तीर्थोद्धारक, श्री गुरु प्रेम के आजीवन चरणोपासक, नूतन गच्छाधिपति परम पूज्य आचार्य श्री विजय कुलचंद्र सूरीश्वरजी (K.C.) म.सा.ने चातुर्मास के प्रथम दिन व्यक्त किए।गुरुदेव का चातुर्मासश्री गौतम स्वामी जैन संघ,वासणा में हो रहा हैं।धर्मसभा को संबोधित करते हुए पन्यास प्रवर कुलदर्शन विजयजी म.सा.ने कहा कि इस चातुर्मास हमे तीन चीजों को बदलना है,वो है चित्त,चिंतन और चरित्र।

उन्होंने कहा कि जो चित्त शरीर पर केंद्रित था वह आत्मा पर हो।भोजन के बदले तप और धन के बदले दान का चिंतन हो।इतना सब करने के बाद भी हम ऐसे ही निकले तो यह चातुर्मास निरर्थक हैं।

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