आत्म कल्याण के लिए वीतराग प्रभु ने अनेक मार्ग बताएं हैं :- रविन्द्र जी म.सा

 21 दिवसीय वर्धमान तप का हुआ समापन


जावरा :-
आत्म कल्याग के लिए जैन समाज में अनेक मार्ग वीतराग प्रभु द्वारा बताए गए है। जिसमें उपवास तेला, अठाई, मासक्षमण श्रेणितप आदि शामिल है। लेकिन आयम्बिल तप सबसे महत्वपूर्ण एव प्रभावी अचिन्त्य तप है।

जो भाग्यशाली तपस्वी श्री वर्धमान तप के पाये डालकर तपाराधना कर रहे है उन सभी की आत्मा का कल्याण तय होकर उनका मोक्ष मार्ग की और प्रस्थान हो चुका है। उक्त विचार श्रमण संघीय,मेवाड गौरव श्री रविंद्र विजयजी म.सा. नीरज  ने 21 दिवसीय वर्धमान तप के समापन समारोह में जनता परिसर में व्यक्त किए। मुनिराजश्री ने सभी तपस्वीयों को मांगलिक का श्रवण कराया। ज्ञात हो कि श्री राजेंद्र जैन श्वेतांबर पेढी टस्ट्र द्वारा विगत 20 वर्षों से आयम्बिल खाता का नियमित संचालन किया जा रहा हैं।

हेमा पगारिया ने बताया कि 147 तपस्वीयों ने पाये डाले, जिसकी संपूर्ण व्यवस्था श्री राजेन्द्र जैन श्वेताम्बर पेढी ट्रस्ट द्वारा की गई। इस दौरान 21 दिवसीय आयोजन में लगभग 2 हजार आयम्बिल तपस्वीयों ने किए। मुख्य लाभार्थी पारसमल दसेड़ा की स्मृति में निर्मलादेवी दसेड़ा, संदीप, पियूष दसेड़ा बोरखेड़ा वाला परिवार रहे। कार्यक्रम में सभी तपस्वीयों को लाभार्थी परिवार द्वारा प्रभावना वितरित की गई। आयोजन में विशेष सहयोग के लिए सरफि प्रकाश कांठेड,अशोक झामर,आशीष धारीवाल का बहुमान किया गया।

यह थे उपस्थित

अध्यक्षगण आशोक लुकड़, आजाद ढड्ढा, अशोक छजलानी, ओमप्रकाश श्रीमाल, अनिल पोखरना, प्रकाश मोदी, पेढी ट्रस्ट अध्यक्ष सुजानमल दसेड़ा, कोषाध्यक्ष सुरेन्द्र पोखरना, कार्यक्रम हजार संयोजक सर्राफ प्रकाश कांठेड, अनिल पावेचा, कमल नाहटा, चंद्रप्रकाश ओस्तवाल, शांतिलाल दसेड़ा, अनिल दड़ा, सुशील कोचट्टा, इंदरमल आदि उपस्थित थे।

कार्यक्रम को सफल बनाने में सुभाष टुकडिया, अशोक झामर आशीष धारीवाल, सुरेन्द्र जैन, पुखराज चत्तर, संदीप श्रीमाल, विमल चपड़ोद, मोतीलाल चपडोद, सुभाष डुंगरवाल, बबलु मारवाडी, प्रदीप लुकड़, अनिल चौपड़ा, राजेश बरमेचा, विनोद बरमेचा, पारस सकलेचा, सुरेन्द्र कोचट्टा, प्रमिला चपडोद, पारसमणि मारवाड़ी, मनीषा रांका,साधना रांका आदि का सहयोग रहा।




 

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