ठाणे में भागवत कथा 23 जुलाई से

लायन डिस्ट्रिक्ट 3231 - A3 का आयोजन


ठाणे :-
प्रतिष्ठित सामाजिक संगठन लायन डिस्ट्रिक्ट 3231 - A3 द्वारा रविवार , 23 जुलाई से भव्य भागवत कथा का आयोजन किया गया हैं।इसका समापन 29 जुलाई को होगा।कथा वाचक भागवताचार्य परम पूज्य श्री बलदाऊ त्रिपाठी हैं।

संस्था के स्पिरिचुअल प्रमोशन की चेयरपर्सन लायन अर्चना पाटोदिया ने बताया कि घोडबंदर रोड पर स्थित दी बाइक सूरज प्लाजा में सुबह 10 से दोपहर 1बजे तक व शाम 4 से 7 बजे तक चलनेवाले ज्ञानयज्ञ में 23 जुलाई को भागवत का महत्व,24 अप्रेल को मंगलाचरण, कुंती स्तुति, भीष्म स्तुति शुक आगमन, चतुरोकी भागवत,25 जुलाई को विदुरोद्धव संवाद, वाराह अवतार, कपिलोपाख्यान सती चरित्र, ध्रुव चरित्र, प्रभु चरित्र, पुरजनोपाख्यान,26 जुलाई को  जडभरत चरित्र, अजामिलोपाख्यान, नरसिंह अवतार, वामन अवतार श्री राम अवतार श्री कृष्णावतार,27 जुलाई को श्री नंदोत्सव, गोकुल लीला, वृन्दावन लीला, गीत, गोवर्धन लीला इत्यादि,28 जुलाई को पंचाध्यायी, गोपी गीत, उद्धव चरित्र,केशोद्वार, रुविमणी मंगल (विवाह) व 29 जुलाई को भगवान की ऐडर्य लीला 16108 विवाह वर्णनम् श्री द्वारिका लीला, सुदामा चरित्रपरीक्षित एवं यज्ञ होगा।प्रतिदिन आरती व महाप्रसाद शाम 7 बजे होगा।डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी लायन अतुल गोयल ने कथा का लाभ लेने की अपील की हैं।

 कथा प्रवक्ता :- भागवताचार्य परम पूज्य श्री बलदाऊ जी त्रिपाठी परिचय

आर्यावर्त के हृदय कहे जाने वाले मध्यप्रदेश के विंध्याचल में चित्रकूट की पावन धरा धाम से 120 की. मि. पश्चिम में हिरा रत्न स्थली पन्ना जिले के ग्राम सरदारः के कुलीन ब्राह्मण परिवार में भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी अर्थात, श्री कृष्ण जन्माष्टमी विक्रम सम्वत 2036 तद अनुसार दिनांक 14 32 अगस्त 1979 को बलदाऊजी का अवतरण पितामह अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी, पिता प. वैज्यनाथ जी त्रिपाठी, गोविंदी देवी की गोद में त्रिपाठी कुल में हुआ. माता 

आपके माता पिता अत्यंत साधारण, धार्मिक एवं भक्त वत्सल, समाजसेवी हैं। शास्त्री बलदाऊ शिक्षा स्वासक्षेत्र में सम्पादित हुई तत्पश्चात १५ वर्ष की अल्पायु अग्रज शास्त्री जगदीश जी त्रिपाठी के सानिध्य वेद, वेदांग, पुराण एवम अन्य धार्मिक ग्रंथों का स्वाध्याय किया । तत्पश्चात श्रीमद भगवत गीता पर कई वर्षो तथा संतो एवम विद्वतजनों के साथ गृह त्याग कर आश्रमी जीवन व्यतीत किया ।

अपने सामाजिक जीवन में शास्त्रीजी धर्म के प्रचार को मूल मानते हुवे देश विदेशों में अब तक कई धार्मिक अनुष्ठानो एवम २१० से अधिक श्रीमद भगवत महापुराण का कराया | साथ ही अनेक संस्कृत के विद्यार्थिओं को अध्यापन, गुरुकुल एवं अपनी मातृभूमि में एक उत्कृष्ट गौसदन की स्थापना तुलसी पीठाधीश्वर जगत गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य के सुभाशीष एवम कृपा पत्र बनकर अर्जित की अपने अग्रज परम पूज्य शास्त्री जी जगदीश जी त्रिपाठी को मानते हुए पुराण, रामचरितमानस, श्री शिव पुरांदी तथा रामकथा एवं श्री कृष्ण माध्यम से देश सेवा एवं समाज सेवा को मूलमंत्र बनाकर सनातन धर्म के प्रचार प्रसाद में अग्रसर सेवारत हैं।




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