सम्यक निर्णय ही जीवन को सफल बनाता है - विमर्श सागर
सही निर्णय विकास कराता है
सीतापुर, (महमूदाबाद) :- हमारे जीवन में उन्नति कैसे हो? हमारा उत्थान, हमारी प्रगति कैसे हो? इस विषय में सभी का चिंतन- विचार होता है। वास्तव में हमारी उन्नति में सबसे बड़ी भूमिका हमारे निर्णय की होती है। यदि निर्णय सही है तो आपके जीवन की उन्नति प्रगति हो सकती है, निर्णय गलत हो तो पतन - अवनति का कारण बन सकता है। अतः हमें निर्णय में स्वयं को सक्षम बनाना चाहिए । निर्णय वह योग्यता है जिसके होने पर पाषाण भी परमात्मा बन जाता है एक आत्मा भी परमात्मा बन जाता है इसलिए जीवन में निर्णय की अहम भूमिका है। कौन सा निर्णय हमारे परिवार, व्यापार, आत्महित के लिए योग्य हैं और कौन सा अयोग्य है यह ज्ञानी गुरु से हमें सुनने को मिलता है।
उपरोक्त विचार श्री दिगम्बर जैन मन्दिर महमूदाबाद में साधनारत मुनि विमर्श सागरजी ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने बताया कि लोक में दो प्रकार के पदार्थ हैं- चेतन पदार्थ और अचेतन पदार्थ | जीव चेतन पदार्थ है और शेष सभी अचेतन पदार्थ हैं। मुझ चेतन आत्मा का स्वभाव जानना देखना है अन्य जितने भी ब्रम्ह पदार्थ हैं वे मुझसे भिन्न स्वभाव वाले हैं। मेरा निज चेतन भगवान आत्मा ही मेरा है ऐसा सम्यक् निर्णय हमें अवश्य करना चाहिए ऐसा निर्णय होने पर अपने से भिन्न पदार्थों का कोई मूल्य नहीं रह जाता ।
उन्होंने कहा कि तुम्हारे पास सबसे मूल्यवान पदार्थ है- आत्मा का ज्ञान गुण । ऐसा मूल्यवान पदार्थ प्राप्त होने पर भी हमें अपने से भिन्न बाह्य पदार्थ मूल्यवान दिखाई पड़े तो आपका अभी निर्णय ठीक नहीं है। और निर्णय ठीक नहीं है तो आप अपने स्वीकृत लक्ष्य को पूर्ण नहीं कर सकते ।हमारे जीवन में सबसे बड़ी भूमिका निर्णय की है हम हर कार्य के पहले अपने निर्णय को ठीक करें और सम्यक निर्णय को स्वीकार करें ।"जीव और अजीव का तत्त्वज्ञान होने के बाद मैं जीव द्रव्य हूँ अजीव द्रव्य नहीं । जानना देखना - ज्ञान दर्शन मेरा स्वभाव है, राग-द्वेष- मोह करना मेरा स्वभाव नहीं है अतः मैं अजीव द्रव्य को छोड़ जीव तत्त्व का ही आश्रय करता हूँ"। यही सच्चे सुख की प्राप्ति का उपाय है
मुनिराज में धर्म सभा को संबोधित करते हुए "दुख मुक्ति सुख प्राप्ति" का मार्ग प्रशस्त किया भावलिंगी संत की चरण सन्निधि में सैकड़ो श्रद्धालु भक्त अपने जीवन को सफल बनाने का पुरुषार्थ कर रहें हैं।
अनुज कुमार जैन
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें