आयुर्वेदिक ज्ञान से विद्यार्थियों व अभिभावकों को जागरूक करने की जरूरत :- जिला कलक्टर

 पाली जिले में 'घर-घर औषधि योजना '  

पाली :-
'घर-घर औषधि योजना ' के व्यापक प्रचार के उद्देश्य से राजस्थान की समृद्ध जैव विविधता और परंपरागत आयुर्वेदिक ज्ञान से विद्यार्थियों व अभिभावकों को जागरूक करने की जरूरत है। जिला कलक्टर अंश दीप ने वन विभाग द्वारा शुरू की जा रही घर-घर औषधि योजना के बारे में आमजन को जानकारी देते हुए घर-घर में औषधीय पौधों को उगाने और स्वयं को स्वस्थ रखने में बच्चे और अभिभावकों से मिलकर सहयोगी बनने की अपील की है।

जिला कलक्टर अंश दीप ने कहा कि विभिन्न शोधपत्रों से यह प्रमाणित हो चुका है कि इस योजना के तहत वितरित किए जाने वाले चारों औषधीय पौधे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर हैं। इन औषधीय पौधों को उत्साहपूर्वक उगाते हुये वैद्यों की सलाह से उपयोग करना कल्याणकारी रहेगा। उन्होंने कहा कि यह कोई कोरा ज्ञान नहीं है बल्कि इस योजना के माध्यम से स्वास्थ्य की मुस्कान लाने का ठोस विचार है।योजना को अमलीजामा पहनाने में बहुत से लोगों ने शोध किया है और विशेषज्ञों के अनुभव के बाद तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा और कालमेघ के रूप में 4 औषधीय पौधे तैयार किए गए हैं। बच्चों तक इन औषधीय पौधों को उगाने और रखरखाव की जानकारी और दादी-नानी के घरेलू उपचार के नुस्खे की जानकारी पहुंचाई जानी आवश्यक है।

उन्होंने बच्चों से भी आह्वान किया कि वे इन पौधों के साथ बड़े हों। उनका ध्यान रखें। उन्हें जीवित रखें, समय-समय पर उनमें पानी देते रहें और उनका संरक्षण करें। धरती के चेहरे पर हरियाली की मुस्कान लाने के लिए पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता बताते हुए उन्होंने उम्मीद जताई कि घर-घर औषधि योजना के माध्यम से आमजन इसमें अपना सक्रिय सहयोग देंगे।उन्होंने पहला सुख निरोगी काया की महत्ता बताते हुए घर-घर औषधि योजना की रूपरेखा में स्कूल, विद्यार्थियों और बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों की योजना में भूमिका प्रतिपादित की। उन्होंने कहा कि मौसमी बीमारियों की रोकथाम में इन पौधों की उपयोगिता प्राचीन काल से बनी हुई है। इन औषधीय पौधों के माध्यम से आयुर्वेद और परंपरागत ज्ञान को आम जन तक पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने घर-घर औषधि योजना शुरु की है।


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