टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना और एनएसएफ योजना के तहत 765 करोड़ खर्च किए :- अनुराग ठाकुर

 मुख्य अंश :

  • देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान कई एथलीटों को प्रशिक्षण के लिए विदेश भेजा गया।
  • खेलो इंडिया योजना के तहत राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को महत्वपूर्ण खेल इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य बुनियादी सेवाओं को विकसित करने के लिए वित्तीय सहायता

  • राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा पहचान किए गए खेलो इंडिया स्टेट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (एसएलकेआईएससीई) के विकास के लिए वित्तीय सहायता। इस तरह के 24 केंद्र पहले से ही काम कर रहे हैं।

नई दिल्ली :-ओलंपिक सहित दूसरे अंतर्राष्ट्रीय खेलों की तैयारी एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। टोक्यो ओलंपिक 2020 के लिए भारतीय दल की तैयारी की निगरानी के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया गया था। कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान, कई एथलीटों को प्रशिक्षण के लिए विदेश भेजा गया ताकि उन पर फैल रही महामारी का असर नहीं हो। इसके अलावा टोक्यो के अन्य संभावित खिलाड़ियों को भी सोशल डिस्टेंसिंग के साथ देश के विभिन्न प्रशिक्षण शिविरों में प्रशिक्षित किया गया।

राष्ट्रीय खेल संघों को सहायता योजना के लिए आवंटित राशि के तहत ओलंपिक सहित दूसरे अंतरराष्ट्रीय खेलों की तैयारी करने वाले खिलाड़ियों के प्रशिक्षण और दूसरी प्रतिस्पर्धी जरूरतों का ध्यान रखा जाता है। राष्ट्रीय खेल विकास कोष के जरिए ओलंपिक में पदक जीतने की संभावना वाले खिलाड़ियों को टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना (टीओपीएस) के तहत जरूरी प्रशिक्षण का ध्यान रखा गया है।

वर्ष 2018-19 से टीओपीएस के तहत अब तक 54.26 करोड़ और एनएसएफ को सहायता योजना के तहत 711.46 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

'खेलराज्य का विषय है। यह राज्य सरकारों की प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार खेल के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास और उसके निर्माण का काम करें। हालांकिकेंद्र सरकार राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को खेलों के लिए अहम इंफ्रास्ट्रक्चर और दूसरी जरूरी सुविधाओं को विकसित करने के लिए 'खेलो इंडियाकी योजना के तहत वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है। इसके तहत खेल विज्ञान और खेलों के उपकरण आदि के लिए मौजूदा कमियों को जरूरी प्रस्तावों के जरिए पूरा किया जाता है।

ओलंपिक जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भाग लेने की तैयारी करने वाले खिलाड़ियों का प्रशिक्षण मुख्य रूप से भारतीय खेल प्राधिकरण के केंद्रों पर होता है। जहां पर पर्याप्त सुविधाएं होती हैं। इसके अलावा प्रत्येक राज्य सरकारों को इस बात की अनुमित है कि वह अपने स्वामित्व वाले एक मौजूदा खेल सुविधा केंद्र को खेलो इंडिया स्टेट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (एसएलकेआईएससीईके रूप में घोषित करें। जिसके तहत केंद्र द्वारा जरूरी मानव संसाधन और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके तहत मौजूदा सुविधाओं और उसके विकास के लिए जरूरी सुविधाओं का आंकलन किया जाता है और कमियों की पहचान कर उसे दूर किया जाता है। देश भर में ऐसे 24 एसएलकेआईएससीई शुरू हो चुके हैं।

यह जानकारी युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्रमण संघीय साधु साध्वियों की चातुर्मास सूची वर्ष 2024

पर्युषण महापर्व के प्रथम पांच कर्तव्य।

तपोवन विद्यालय की हिमांशी दुग्गर प्रथम