आचार्य विमर्श सागरजी के चातुर्मास कलश की स्थापना
धर्म का बैंक बैलेंस बढ़ाने का अवसर है चातुर्मास
महमूदाबाद, सीतापुर :- श्रावण मास आते ही रीति रिवाज के अनुसार त्यागी व संतों का प्रवास चार माह के लिए एक स्थान रुकने के लिए निर्धारित हो जाता है जिसे चातुर्मास कहा जाता है।इस महान पर्व को जैन साधु बखूबी निभाते है।
कुछ माह पूर्व आचार्य श्री विमर्श सागर जी का अपने चौबिस पीछी धारी संतों के साथ महमूदाबाद की धरा पर चातुर्मास के लिए आगमन हुआ हैं।आचार्य श्री को भगवान संभवनाथ की जन्म स्थली श्रावस्ती जी के दर्शन करने की इच्छा जाहिर हुई और महमूदाबाद वासियो ने दर्शन कराये और उन्होंने महमूदाबाद में चातुर्मास करने की घोषणा की थी।
24 तारीख को गुरु पूणिमा व 25 तारीख को चातुर्मास कलश की स्थापना कार्यक्रम की शुरुआत समाज सेवी पंकज जैन ने जैन मंदिर प्रांगड़ में ध्वजारोहण कर से हुई। महावीर उद्धयन प्रांगण में पण्डित विवेक जैन के संचालन में कार्यक्रम की शुरुवात ऋतिका जैन के भजनों की प्रस्तुति से हुई।धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा की महमूदाबाद वाले बहुत ही पुण्य शाली है जो हमारा चातुर्मास हो रहा है ।सभी को मंगल आशीर्वाद।
प्रथम मंगल कलश स्थापना का लाभ कोमल चन्द्र जैन परिवार को प्राप्त हुआ। इस मौके पर कर्नाटक,महारास्ट्र, बिहार,राजस्थान, मध्यप्रदेश,झाड़खंडआदि स्थानों के धर्मानुयायी उपस्थित थे।
अनुज कुमार जैन
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