प्रधानमंत्री ने कोविड-19 की स्थिति के बारे में पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत की
म्यूटेशन की कड़ी निगरानी करने और सभी प्रकार के वैरियंट्स पर पैनी नजर रखने पर जोर दिया
मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों में टीकाकरण में हुई प्रगति तथा दूर-दराज के क्षेत्रों में वैक्सीन पहुंचाने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी भी दी। उन्होंने वैक्सीन लगवाने के बारे में दिखाई जा रही हिचकिचाहट और उसे दूर करने के मुद्दे के बारे में भी विचार-विमर्श किया। उन्होंने कोविड मामलों से बेहतर रूप से निपटने के लिए चिकित्सा के बुनियादी ढांचे में सुधार तथा पीएम-केयर निधि के माध्यम से दी गई सहायता के बारे में भी जानकारी दी। मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों में संक्रमण दर के साथ-साथ कोविड मामलों की संख्या कम करने के लिए समय पर कार्रवाई करने का भी आश्वासन दिया।
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दैनिक मामलों की संख्या कम होने के बारे में जानकारी देते हुए आगाह भी किया कि कोविड दिशा-निर्देशों के पालन में ढील नहीं बरतनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के कुछ क्षेत्रों में संक्रमण दर में बढ़ोत्तरी हो रही है। उन्होंने टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रैकिंग और टीकाकरण के महत्व पर जोर दिया। केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव ने देश में कोविड मामलों के बारे में विवरण देते हुए कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में उच्च संक्रमण दर के बारे में चर्चा की। उन्होंने मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाए जाने के लिए उठाए गए कदमों के साथ-साथ टीकाकरण में हुए प्रगति के बारे में भी जानकारी दी।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कोविड महामारी के खिलाफ लड़ाई में कड़ी मेहनत करने और इन राज्यों में कठिन इलाकों के बावजूद टेस्टिंग, उपचार और टीकाकरण के लिए बुनियादी ढांचे के सृजन के लिए यहां के लोगों, स्वास्थ्यकर्मियों और पूर्वोत्तर की राज्य सरकारों की सराहना की।
प्रधानमंत्री ने कुछ जिलों में महामारी के मामलों की बढ़ती हुई संख्या के बारे में चिंता जाहिर करते हुए इन संकेतों को पकड़ने और सूक्ष्मस्तर पर सख्ती बरतने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने इस स्थिति से निपटने के लिए सूक्ष्म नियंत्रण प्रोटोकॉल का उपयोग करने पर भी जोर दिया। प्रधानमंत्री ने इस बारे में पिछले डेढ़ साल में एकत्र हुए अनुभव और श्रेष्ठ प्रक्रियाओं का पूरा उपयोग करने का भी अनुरोध किया।
कोरोना वायरस की तेजी से स्वरूप बदलने वाली प्रवृत्ति को देखते हुए प्रधानमंत्री ने म्यूटेशन की कड़ी निगरानी करने और सभी प्रकार के वैरियंट्स पर पैनी नजर रखने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञ म्यूटेशन और इसके प्रभाव का अध्ययन कर रहे हैं। इस परिदृश्य में रोकथाम और उपचार बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कोविड उचित व्यवहार पर भी बल दिया। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि जिस प्रकार शारीरिक दूरी, मास्क, वैक्सीन की उपयोगिता स्पष्ट है उसी तरह टेस्टिंग, ट्रेकिंग और ट्रीटमेंट की रणनीति भी सिद्ध रणनीति है।
इस महामारी के पर्यटन और व्यापार पर पड़े प्रभाव को स्वीकार करते हुए उन्होंने उचित सावधानी का पालन किए बिना हिल स्टेशनों पर बढ़ती भीड़ के लिए भी कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने इस तर्क को खारिज करते हुए कि लोग तीसरी लहर से पहले मौज-मस्ती करना चाहते हैं, कहा कि यह समझने की जरूरत है कि तीसरी लहर अपने आप नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि हमारे मन में यह मुख्य प्रश्न होना चाहिए कि तीसरी लहर को कैसे रोका जाए। विशेषज्ञ बार-बार लापरवाही और भीड़ के बारे में चेतावनी दे रहे हैं क्योंकि इनसे मामलों में काफी बढ़ोत्तरी हो सकती है। उन्होंने भीड़ को रोके जाने की तरफदारी की। प्रधानमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार का सभी के लिए मुफ्त टीकाकरण अभियान पूर्वोत्तर के लिए भी समान रूप से महत्वपर्ण है। हमें टीकाकरण प्रक्रिया में तेजी लाने की जरूरत है। टीकाकरण के बारे में मिथकों से निपटने के लिए और लोगों को जागरूक करने के लिए सामाजिक, शैक्षणिक संस्थानों, प्रसिद्ध हस्तियों और धार्मिक आस्था वाले संगठनों की भी मदद ली जाए। उन्होंने उन क्षेत्रों में टीकाकरण अभियान में तेजी लाने को कहा जहां वायरस के फैलने की आशंका है।
टेस्टिंग और उपचार हेतु बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए हाल ही में मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर किए गए 23000 करोड़ रुपये के पैकेज का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पैकेज पूर्वोत्तर के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत बनाने में मदद करेगा। यह पैकेज पूर्वोत्तर में टेस्टिंग, निदान, जीनोम सीक्वेसिंग में तेजी लाएगा। प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर में बिस्तरों की संख्या, ऑक्सीजन सुविधाओं और बाल चिकित्सा देखभाल के बुनियादी ढांचे में तेजी से बढ़ोतरी करने की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने बताया कि देश में पीएम-केयर के माध्यम से सैकड़ों ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं और पूर्वोत्तर में भी लगभग 150 प्लांट स्थापित किए जाएंगे। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों से इन संयंत्रों को स्थापित करने की प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने का अनुरोध किया।
प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर की भौगोलिक स्थिति के कारण अस्थायी अस्पताल स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने ऑक्सीजन संयंत्रों, आईसीयू वार्डों, नई मशीनों के लिए प्रशिक्षित कर्मियों को तैयार करने के लिए भी कहा क्योंकि ये सब सुविधाएं ब्लॉक स्तर के अस्पतालों में पहुंच रही हैं और इसके लिए प्रशिक्षित कर्मियों की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव मदद देने का आश्वासन दिया।
देश में प्रतिदिन 20 लाख परीक्षण की क्षमता को देखते हुए प्रधानमंत्री ने प्राथमिकता के आधार पर प्रभावित जिलों में परीक्षण के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने रेंडम टेस्टिंग के साथ-साथ आक्रामक परीक्षण पर भी जोर दिया। प्रधानमंत्री ने आशा जाहिर की कि हम सामूहिक प्रयासों से कोविड के प्रसार को निश्चित रूप से रोकने में सक्षम होंगे।
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