कश्मीर फिर भारत के स्वर्ग के रूप में जाना जाएगा - राज्यपाल
हिंदी के प्रचार प्रसार के प्रयासों की सरहाना
मुंबई :- कश्मीर फिर से शांति की यात्रा शुरू हो गई है और आम लोग लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं। भारतीय संस्कृति में कश्मीर का योगदान अद्वितीय है और कश्मीर जल्द ही अपना पूर्व गौरव हासिल करेगा और देश के बाकी हिस्सों के लिए स्वर्ग बन जाएगा।"
उपरोक्त विचार राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज भवन में साहित्य,संस्कृति,भाषा सरंक्षण के लिए कार्य करती संस्था हिंदी कश्मीर संगम की और से राज भवन में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।इस अवसर पर किताब का विमोचन व साहित्य तथा सामाजिक क्षेत्र में काम करनेवालों को सम्मानित किया गया।हिंदी कश्मीर संगम -कश्मीर अनुष्ठान की अध्यक्षा व लेखिका डॉ बिना बुदकी की किताब "केसर की क्यारी में आग की लपटे आखिर कब तक" का विमोचन उन्होंने किया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि 700 से 800 साल पहले कश्मीर को भारत का गौरव माना जाता था। अब कश्मीर को उसके पूर्व गौरव को वापस लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। सामान्य नागरिक भी शांति के प्रति सकारात्मक हैं। हाल ही में हुए ग्राम पंचायत चुनावों को लेकर लोगों की उत्सुकता अच्छी थी. उन्होंने कहा की कश्मीर अभिनव गुप्ता, भरतमुनि, कल्हण और कश्मीरी शैव दर्शन की भूमि है और भारतीय नाटक, कविता और साहित्य में भी कश्मीर का महत्वपूर्ण स्थान है। राज्यपाल ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद कश्मीर में शांति के प्रयास चल रहे हैं और जल्द ही सफल होंगे।
राज्यपाल ने कहा कि यह गर्व की बात है कि कश्मीर में हिंदी का प्रचार किया जा रहा है। साथ ही संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है,इसलिए इसे भी संरक्षित और पोषित करने की जरूरत हैं। हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए उन्होंने डॉ बुदकी का अभिनंदन किया व आगामी कार्यों के लिए शुभकामनायें दी।इस अवसर पर महेश आचार्य, हिंदी काश्मीरी संगम के सदस्य दिनेश बारोट उपस्थित थे।
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