मीरा-भायंदर शहरवासियों के लिए निर्माणधीन न्यायालय के कार्य को मिलेगी गति

प्रलंबित कार्यों के लिए राज्य सरकार ने मंजूर की ९ करोड़ की निधि

ठाणे न्यायालय के चक्कर लगाने से मिलेगी मुक्ति

विनोद मिश्र / मीरारोड


मीरा भायंदर शहरवासियों की सुविधा के लिए विगत कई वर्षों से निर्माणाधीन सिविल व क्रिमिनल न्यायालय का कार्य अब शीघ्र ही पूर्ण होगा। न्यायालय की इमारत के प्रलंबित आंतरिक व बाह्य कार्यों को पूर्ण करने के लिए राज्य सरकार ने हाल ही में 20 मई को 9 करोड़ 8 लाख रुपये खर्च के निधि को मान्यता दी है। जिससे निर्माणाधीन न्यायालय के प्रलंबित कार्यों को गति मिलेगी व आगामी एक -दो वर्षों में मीरा भायंदर वासियों को न्यायालयीन कार्यों के लिए ठाणे की चक्कर लगाने से मुक्ति मिल जाएगी।

बता दें कि मीरा भायंदर शहर भले ही तेजी से विकसित हुआ हो,लेकिन न्यायालयीन कार्यों के लिए आज भी मीरा भायंदरकरों को ठाणे के न्यायालय में ही जाना पड़ता है। जिसमे उनका समय, श्रम और पैसे व्यर्थ खर्च करने पड़ते हैं। वर्ष 2009 में शिवसेना विधायक व प्रवक्ता प्रताप सरनाईक ने शहर के लिए स्वतंत्र न्यायालय देने का वचन दिया था। इसके बाद विभिन्न विभागों से आवश्यक अनुमति और निधि मंजूर कराने में लंबा समय लग गया।

सरनाईक के सतत प्रयासों के बाद 11 मार्च 2013 को मीरारोड के घोडबंदर गांव के पास दीवानी (सिविल) व फौजदारी (क्रिमिनल) न्यायालय निर्माण की मंजूरी राज्य सरकार ने दी थी। इसके बाद निविदा और अन्य प्रक्रिया के बाद सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा न्यायालय के इमारत का निर्माण कार्य शुरू किया गया था। प्रथम चरण में अब तक कुल 10 से 12 करोड़ रुपये खर्च कर तल मंजिल + तीन मंजिला इमारत बन कर तैयार हो गया है। अब इस इमारत के आंतरिक सजावट, फर्नीचर,लिफ्ट, वातानुकूलित मशीन,विद्युत विभाग के कार्य, अग्निशमन यंत्र लगाने, न्यायाधीश के रहने के लिए 2 मंजिली इमारत निर्माण आदि के लिए अनुमानित रकम मंजूर होने बाकी थे। इसके प्रलंबित कार्यों के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे व सरकार के संबंधित अधिकारियों से मिलकर आवश्यक निधि मंजूर कराने का आश्वासन सरनाईक ने दिया था। इसके लिए सरनाईक ने समय समय पर संबंधित विभागों से पत्राचार व प्रत्यक्ष मुलाकात कर प्रयास जारी रखा था। अंततः २० मई को न्यायालय के प्रलंबित कार्यों को पूर्ण करने के लिए राज्य सरकार ने 9 करोड़ 8 लाख 56 हजार 102 रुपये की निधि खर्च करने की मंजूरी दे दी है। 


◆निधि के अभाव में निर्माणाधीन न्यायालय का कार्य प्रलंबित था। अब राज्य सरकार ने निधि खर्च को मंजूरी दे दी है। इसके निर्माण में मनपा प्रशासन की जो भी जिम्मेदारी है उसे तत्परता से प्राथमिकता देकर पूर्ण की जाएगी, जिससे आगामी वर्षों में यहां न्यायालय शुरू करने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा--दिलीप ढोले ( आयुक्त, एमबीएमसी)









 

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