2700 शेत्रुंजय यात्रा के साधक हेमेंद्र सागरजी का निधन

 33 दिनों में 800 किलोमीटर का विहार

 

पालीताणा :- सुविशाल  सागर  समुदाय के सरल स्वभावी परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री प्रमोदसागर सूरीश्वरजी म.सा. शिष्यरत्न परम पूज्य श्री हेमेंद्र सागरजी म.सा.का पालीताणा में समाधिपूर्वक निधन हो गया.

आपका पालीताणा तीर्थ स्थित आगम मंदिर में महामंत्र का स्मरण करते हुए समाधिपूर्वक कालधर्म हुआ हैं. गुरुदेव श्री शत्रुंजय गिरिराज तीर्थ के 2700 यात्रा के महासाधक एवं 6 - 6 वर्षीतप के महा तपस्वी थे.

 प्रभु, इस पवित्र आत्मा को सिद्ध गति  प्रदान करे 

गिरिराज की हो छाया मन  में  ना होवे  माया

तपसे हो  शुद्ध काया जब प्राण तन से निकले

इन पंक्तियों को पूज्यश्री ने सार्थक किया .वर्षीतप का पारणा पालिताणामें तीर्थ में श्री आदिनाथ भगवान की छत्र छाया  में ही करना है, इस अदम्य संकल्प और भावना के साथ सिर्फ 33 दिन में 800 KM पूना से मुंबई और मुंबई से उग्रातिउग्र  विहार  करके, छट्ठ के पारणे छट्ठ और पारणे में एकासणा से वर्षीतप करते हुवे 3 दिन पहले पालिताणा पहुंचे थे और दादा की अद्भुत भक्ति एवंम 4 यात्रा करके उन्होंने देह त्याग दिया.

ऐसे अजोड़ एवं प्रतिभाशाली महातपस्वी एवं श्री शत्रुंजय तथा दादा के दिवाने गुरुदेव शांति वल्लभ टाइम्स का शत शत नमन वंदन.

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