मोदी के हनुमान एके शर्मा पहुंचे जन्मभूमि यूपी, पर बनेंगे क्या?
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मोदी के हनुमान एके शर्मा पहुंचे जन्मभूमि यूपी, पर बनेंगे क्या?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी अरविंद कुमार शर्मा बहुत कम बोलते हैं, लेकिन कर्मठ बहुत हैं। दो दशक से भी ज्यादा समय तक मोदी के साथ साये की तरह काम करनेवाले शर्मा की सबसे खास बात यह है कि नरेंद्र मोदी का कहा उनके लिए पत्थर की लकीर है। इसीलिए मोदी के कहने पर शर्मा बड़े बाबू की नौकरी छोड़कर उत्तर प्रदेश पहुंचे हैं। देखते हैं, आगे क्या होता है!
-निरंजन परिहार-
अरविंद कुमार शर्मा, अर्थात एके शर्मा। सन 1988 में वे गुजरात कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी यानी आईएएस ऑफिसर बने और 33 साल नौकरी करने के बाद 2021 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के मुहम्मदाबाद गोहना तहसील के रानीपुर इलाके के बेहद पिछड़े गांव काझाखुर्द गांव के रहने वाले शर्मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तब से ही बहुत करीबी हैं, जब मोदी गुजरात के पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय में शर्मा को सचिव की जिम्मेदारी। यहीं से वे पीएम मोदी का भरोसा जीतने में कामयाब रहे। सन 2001 से लेकर 2013 तक गुजरात में नरेंद्र मोदी के साथ विभिन्न पदों पर काम किया और मोदी जब प्रधानमंत्री बनकर दिल्ली आए तो अरविंद शर्मा को भी अपने साथ पीएमओ में लेकर आए थे। जून 2014 में गुजरात से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर देश की राजधानी आए एके शर्मा को प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई, जिसके बाद से जनवरी 2021 में इस्तीफा देने तक वे पीएमओ में थे।
गुजरात में एसडीएम पद से पीएमओ तक का सफर करनेवाले शर्मा साल दर साल अपनी कार्यशैली से मोदी का विश्वास अर्जित करने में कामयाब रहे और सरकारी नौकरी का त्याग करते वक्त वे भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय में सचिव पद भी सम्हाल रहे थे। लेकिन 11 जनवरी को उनको इस्तीफा देने को कहा गया, और 13 जनवरी 2021 की रात उन्हें कहा गया कि उनको बीजेपी की सदस्यता लेनी है। रिटायरमेंट साल 2022 में होना था, लेकिन मोदी के आदेश को शिरोधार्य करते हुए उन्होंने तत्काल स्वैच्छिक सेवानिवृत्त ले ली। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ में मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी को जब खिचड़ी बांट रहे थे, उसी वक्त बीजेपी मुख्यालय में एक और खिचड़ी पक रही थी, उससे योगी भी अनजान थे।
दुनिया भर के गुजरातियों को परस्पर जोड़नेवाले जिस ‘वाइब्रेंट गुजरात’ आयोजन की चर्चा अक्सर होती रही है, उस आयोजन की अवधारणा भी इन्हीं वाइब्रेंट अधिकारी के जिम्मे रखकर मोदी सफलता की सीढ़ियां चढ़ते रहे। लगातार 20 साल तक मोदी के साथ अथक काम करनेवाले अपने अपने इस भरोसेमंद अफसर को मोदी ही गुजरात से दिल्ली लाए थे और उन्हीं ने शर्मा को अफसरी से मुक्ति दिलाकर यूपी में विधान परिषद की सदस्यता में सजाया है, तो माना जा रहा है कि मोदी के मस्तिष्क में शर्मा के लिए पहले से ही कोई खास नियुक्ति निर्धारित है। लेकिन यह खास कुर्सी क्या होगी, यह मोदी के अलावा कोई नहीं जानता। इतिहास देख लीजिए, राजनीति के बड़े बड़े तुर्रमखां भी जब राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मुख्यमंत्रियों, पार्टी अध्यक्ष एवं मंत्रियों की नियुक्ति के बारे में भी मोदी के दिमाग को पहले पढ़ नहीं पाए, और हर बार लोगों के कयास गलत साबित हुए।
दरअसल, नरेंद्र मोदी प्रयोगधर्मी व्यक्तित्व के धनी हैं और अफसरों के जरिए राजनीति के रास्तों के अवरोधों को अलग करने के महारथी के रूप में स्वयं को स्थापित कर चुके हैं। चुनाव लड़वाकर संसद में और संसद से सरकार में भी अफसरों को अपने साथ उंचे ओहदों से नवाजकर मोदी अपने मंत्रिमंडलीय साथी के रूप में सजाने की मिसाल कायम कर ही चुके हैं। इसलिए, अपन जानते हैं कि योगी और राजनाथ सिंह के जरिए राजपूतों को साधने के बाद उत्तर प्रदेश में बीजेपी को ब्राह्मणों की राजनीति में अपनी ताकत कुछ और मजबूत करनी है, इसलिए एके शर्मा उत्तर प्रदेश में क्या बनेंगे, यह अपन कुछ हद तक समझ तो रहे हैं। लेकिन मोदी के मुकाबले अपनी समझ बहुत तुच्छ सी है, सो अपनी समझ सही साबित होगी, यह अपन नहीं जानते। पर, यदि यूपी में एके शर्मा किस भूमिका में होंगे, यह यदि आप जानते हों, तो मोदी कहीं आपको गलत साबित न कर दे, इसलिए यही प्रार्थना कि ईश्वर आपकी जानकारी की लाज रखे!
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)
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