पर्वो का महापर्व है : पर्युषण

 आओ कर्मों का नाश करे 

विक्रम के सुराणा

पर्युषण पर्व का शाब्दिक अर्थ है - आत्मा में अवस्थित होना | पर्युषण शब्द परि उपसर्ग व वस धानु ईसमे अनु प्रत्यय लगने से पर्युषण शब्द बनता है | पर्युषण यानी परिसमन्नत - समग्रतया उषणं वसनं निवासं करणं

 पर्युषण का एक अर्थ है - कर्मो का नाश करना | कर्मरूपी शञुओं का नाश होगा तभी आत्मा अपने स्वरूप में अवस्थित होगी अत:यह पर्युषण - पर्व आत्मा का आत्मा में निवास करने की प्रेरणा देता हैं. 

 पर्युषण पर्व आत्मा शुध्दी का पर्व भी कहा जाता है | आत्मा के निरामय , ज्योतिर्मय स्वरूप को प्रकट करने में प्रर्युषण महापर्व अहम भूमिका निभाता है | यह पर्व इंसान को इंसान से जोड़ने व मानव हदय को संशोधित करने का त्यौहार है |इस पर्व में प्रतिक्रमण भी किया जाता है | अतीत में जाकर स्वयं को देखने का प्रयत्न है | वर्तमान की आँख से भुतकाल और भविष्य को देखते हुए कब क्या ये और कब क्या होना है , इसका विवेकी निर्णय लेकर एक नए सफर की शुरुआत की जाती है | पर्युषण आत्मा में रमण का पर्व है , आत्माशोधन का पर्व है | यह पर्व अहंकार और ममकार का विर्सजन करने का पर्व है | यह पर्व प्रभु भक्ति, पुजा, अहिंसा की आराधना का पर्व है |

 क्षमा वीरों का भूषण है 

वीर व्यक्ति ही क्षमा ले व दे सकते है | पर्युषण पर्व आदान प्रदान का पर्व है | इस दिन सभी अपनी मन की उलझी हुई रिश्तो कों सुलझाते है अपने अंदर की राग - द्वेष की गांठों को खोलते है , वे गले मिलते है , पूर्व में हुई भूलों को क्षमा के द्वारा समाप्त करने है व जीवन को पविञ बनाते हैं | पर्युषण महापर्व का समापन मैञी दिवस के रूप में आयोजित होता है , जिससे क्षमापना दिवस भी कहा जाता है | एक दुसरे को निकटता में लाने का पर्व है | क्षमा वीरस्य भूषणम़ | मिच्छामी दुक्कदम |

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