दृष्टि ही नही दृष्टिकोण भी सुंदर होना चाहिए सुनील सागर

परमार्थ बढ़ानेवाला परमार्थ की बात करता है

 

Add caption
प्रतापगढ़:- आचार्य   श्री सुनील   सागर जी महाराज ने कहा चित्र ही नही चरित्र भी सुंदर होना चाहिए, भवन ही नही भावना भी सुंदर होना चाहिए, साधन ही नही साधना भी सुंदर होना चाहिए, द्रष्टि ही नही दृष्टिकोण भी सुंदर होना चाहिए, उन्होंने कहा दिल में अगर जगह हो तो घर छोटा होने के बाद भी वहाँ 10 लोग समायोजित हो जाते हैं अन्यथा यह भी होता है घर तो बड़ा होता है लेकिन दिल बहुत छोटा होता है। व्यक्ति को अपने स्वभाव की पहचान होना आवश्यक है।

आचार्य श्री ने कहा प्रकृति की विचित्र माया है। जहां हवन हो रहा है, इंद्र का आहवान हो रहा है वहाँ पानी नही बरस रहा। बिना आह्वान किये प्रकृति पानी बरसा देती है। ऐसे मे जहाँ जैसा होना है वैसा होकर रहेगा। जिसे वस्तु स्वरूप का ज्ञान हो गया वह  किसी प्रपंच मे नही पड़ता। महाराज श्री ने कहा कोई पाप कर रहा हो और आप उसकी अनुमोदना करते हो तो आप भी पापी हो। संसार बढ़ाने वाला संसार की और परमार्थ बढ़ाने वाला परमार्थ की बात करता है। यह संसार जड़ और चेतन मे ही चल रहा है।संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्रमण संघीय साधु साध्वियों की चातुर्मास सूची वर्ष 2024

पर्युषण महापर्व के प्रथम पांच कर्तव्य।

तपोवन विद्यालय की हिमांशी दुग्गर प्रथम