राममंदिर निर्माण को लेकर महाराष्ट्र में बढ़ी सियासी हलचलें

भगवान श्रीराम हमारी भी आस्था के केंद्र हैं
प्रीति सोमपुरा 
एक तरफ अयोध्या में राममंदिर के शिलान्यास की घड़ी आ गयी है, वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र में इसे लेकर राजनैतिक सरगर्मियां तेज हो गयी हैं।। 5 अगस्त को भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण उनकी जन्मस्थली पर प्रारंभ होगा। इसके भूमिपूजन के अवसर पर 50 संत-महात्माओं के साथ उन सभी को न्यौता दिया गया है जिनकी अहम भूमिका मंदिर निर्माण में रही है। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत अनेक लोग इस मौके पर हाज़िर रहेंगे। 
इस ऐतिहासिक मौके पर महाराष्ट्र में सियासत गर्मा गयी है। शिवसेना ने एक बयान जारी कर राममंदिर ट्रस्ट को बताया है कि शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे की भी राम जन्मभूमि आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। न्यौता मिले या ना मिले, उनके सुपुत्र और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इस मौके पर अयोध्या जरूर जाएंगे। शिवसेना सांसद संजय राउत ने बयान दिया है कि भगवान श्रीराम हमारी भी आस्था के केंद्र हैं। मंदिर निर्माण की राह प्रशस्त करने में शिवसेना की अहम भूमिका रही है। हमें न्यौता आये न आये, उद्धव ठाकरे जरूर अयोध्या जाएंगे। उद्धव ठाकरे जब सीएम नहीं थे, तब और मुख्यमंत्री बनने के बाद भी अयोध्या गए थे। अयोध्या और शिवसेना का ऐसा नाता रहा है, जिसे कोई तोड़ नहीं सकता। यह कोई राजनैतिक नाता नहीं है। शिवसेना राजनीति के लिए अयोध्या नहीं जाती। राममंदिर बनाने का रास्ता शिवसेना ने तैयार किया है और बाधाएं भी शिवसेना ने ही दूर की हैं। श्रद्धा और हिंदुत्व के लिए शिवसेना ने हमेशा बलिदान दिया है। 
दूसरी ओर शिवसेना के ही नेता प्रताप सरनाईक ने राममंदिर ट्रस्ट को पत्र लिखकर कहा कि बाबरी मस्जिद के विध्वंस में शिवसैनिक आगे आये थे, इसलिए उद्धव ठाकरे को न्यौता मिलना चाहिए। शिवसेना के दोनों नेताओं में तालमेल नहीं है। एक नेता कह रहे हैं कि उद्धव ठाकरे को न्यौते की जरूरत नहीं, तो दूसरे नेता राममंदिर ट्रस्ट को पत्र लिख कर उद्धव ठाकरे को न्यौता भेजने की बात कर रहे है। इस मामले पर फिलहाल कांग्रेस चुप्पी साधे हुए है, तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने विवादास्पद बयान दे दिया है कि कोविड-19 का उन्मूलन महाराष्ट्र सरकार की प्राथमिकता है, लेकिन कुछ लोगों को लगता है कि मंदिर का निर्माण करने से इस पर काबू पाने में मदद मिलेगी। शरद पवार के इस बयान पर उमा भारती ने उन्हें रामद्रोही कह डाला। बात यहीं पर नहीं रूकी। एनसीपी नेता माजिद मेमन ने तो उद्धव ठाकरे को नसीहत दी कि वे अयोध्या जाने से बचें। 
फिर से एक बार महाराष्ट्र की राजनीति में राममंदिर का मुद्दा गरमा गया है। उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनने और लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद अपने सभी सांसदों के साथ अयोध्या गए थे। उद्धव भी जानते हैं कि महाराष्ट्र में चाहे उन्होंने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनायी हो,  एनसीपी और कांग्रेस भले ही सरकार का सेकुलर चेहरा दिखा रहे हों, लेकिन शिवसेना अगर सेकुलर चेहरा लोगों के सामने पेश करेगी तो वह फिर से सरकार में कतई नहीं आएगी। शिवसेना हिंदुत्व का एजेंडा छोड़ना नहीं चाहती है। यही कारण है कि उद्धव ठाकरे राममंदिर के भूमि पूजन पर अयोध्या जा रहे हैं। बालासाहेब ठाकरे अक्सर फख़्र से कहते थे कि मुझे अपने शिवसैनिकों पर अभिमान है कि उन्होंने राम मंदिर की नींव रखी; लेकिन अब बात अलग है क्योंकि वह पहले वाली शिवसेना अब नहीं रह गई है।  शिवसेना ने सेक्युलर दलों के साथ रिश्ता जोड़ दिया है। जो भी हो, एक बात तो साफ़ है कि शिवसेना को महाराष्ट्र में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए हिंदुत्व के मुद्दे को हाथ में रखना ही होगा वरना बीजेपी और राज ठाकरे  की पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना इस मुद्दे पर अपनी भूमिका को लेकर मजबूती से टिकी हुई हैं। हालांकि राज ठाकरे इस मुद्दे पर अभी तक मौन है। यही कारण है कि यह खबर आते ही कि 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या भूमि पूजन के लिए जाएंगे, शिवसेना ने भी घोषित कर दिया कि उद्धव ठाकरे भी जाएंगे।  इस विवाद से भारतीय जनता पार्टी को तो मानों एक मुद्दा ही मिल गया। बीजेपी ने शरद पवार के राममंदिर वाले बयान पर मोर्चा खोल दिया। बीजेपी  के युवा मोर्चा ने 'श्रीराम' लिखे हुए 10 लाख पत्र शरद पवार के सिल्वर ओक स्थित निवास पर भेजने शुरू कर दिये हैं।
बताया जा रहा है कि करीब तीन वर्षों में राममंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। केवल 100 लोगों को ही भव्य भूमि पूजन के लिए न्यौता दिया गया है। देखना तो यह होगा कि इस कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे सपरिवार शामिल होते हैं या अकेले ही जाएंगे? जो भी हो, धनुर्धारी रामजी का मंदिर बनना  चाहे अयोध्या में शुरू हो रहा हो, परन्तु महाराष्ट्र में तो अभी से सियासती तीर चलने लगे हैं।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं

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