क्षमा करने के लिए शक्ति चाहिए :- पुलक सागर

क्रोध कमजोरी की निशानी है-

बांसवाडा :- आचार्य श्री पुलक सागर जी महाराज ने उत्तम क्षमा पर प्रकाश डालते हुए कहा क्षमा का मतलब सम शब्द संस्क्रत मे सम धातु से बना है सम का अर्थ अर्थ सहन करना क्षमा का अर्थ पृथ्वी होता  है। जैसे पृथ्वी सभी दोषों को सहते हुए भी रत्न उगलती है। वैसे भी जो दूसरों के  दुर्व्यवहार को सहने मे समर्थ होता है और क्षमा का अवतार बनता है। क्षमा क्या क्रोध का निमित आने पर भी क्रोध न करना यह क्षमा है। क्रोध को कभी भी कलह का रूप मत लेने देना। अगर कलह हो जाए तो मन मे बैर की गाठ मत बांधो, विरोध मत करो यह बहुत खतरनाक है अगर अंदर बैर की गांठ बंधी है तो धर्म की शरण व्यर्थ है। यह तुम्हारे अनन्त संसार को बढ़ाने वाला है। अपने मन में बैर की गाठ खोलने का मन रखो और निश्चय निर्मल जीवन जियो। ध्यान रखना जितनी गाठ पड़ेगी तुम्हारा जीवन उतना संकीर्ण होगा पार्श्वनाथ का चरित्र देखो एक बार का बैर 10 भवो तक नही छोड़ा आचार्य ने कहा हमारे जीवन में क्षमा जितनी व्यापक बनेगी हमारा जीवन उतना पवित्र होगा हर कदम पर मौका मिलेगा क्रोध का लेकिन क्रोध का नियंत्रण रखना जीवन में क्रोध को कंट्रोल रखिए।क्षमा को जीवन में अंग बनाइये। कुछ मत करो मुस्काराओ उत्तम क्षमा तुम्हारे जीवन में उत्तरित होगी

अभिषेक जैन / लुहाडीया रामगंजमंडी

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