महाड़ में चातुर्मास में तप और ज्ञान की गंगा प्रवाहित हो रही है

सकल जैन संघ करवा रहा चातुर्मास

 


महाड़ :-
परम पूज्य परोपकार सम्राट गच्छाधिपति आचार्यदेव श्री ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य प्रवचन दक्ष मुनिराज श्री रजतचंद्र विजयजी म.सा. द्वारा चौमासी चोदस से ही निरंतर ज्ञान की अमीवर्षा प्रवाहित हो रही है। चातुर्मास के नव विधान कहे गए हैं जिनमें सामायिक आवश्यक,पौषध,प्रभु पूजन, स्नात्र पूजा,बह्मचर्य, क्रिया,दान एवं तप क्रमशः कहे गए हैं । 

उपरोक्त बात महाड़ में चातुर्मास हेतू बिराजमान मुनिश्री रजतचंद्र विजयजी ने कहा ये नव विधान ही नव निधान है।ये नव भूषण ही आभूषण है। आत्मा के श्वंगार है। मुनिश्री की ओजस्वी तार्किक वाणी सुनकर श्रद्धालु मंत्र मुग्ध हो गए हैं। प्रतिदिन भक्तामर,गुरु चालीसा पाठ, प्रवचन, प्रतिक्रमण,आरती आदि अनुष्ठान हो रहे हैं । आयंबिल व सामायिक की अखंड लड़ी प्रारंभ हो चुकी है। प्रथम दिन से ही मुनिश्री की ओजस्वी वाणी सुनकर सभी श्रावक-श्राविका सामायिक के साथ जिनवाणी श्रवण करते दिखाई दे रहे हैं। प्रवचन के पश्चात प्रतिदिन विविध पच्चक्खाण एवं नियम चल रहे हैं। प्रतिदिन का एक दिवसीय नियम श्रद्धालु में उत्साह से लिया जा रहा है। 

सकल जैन संघ आयोजित चातुर्मास के प्रथम दिन से ही 7 तपस्वियों ने तेले का तप किया। दम्पत्ति विक्रम कुमार एवं दक्षा कोठारी को 11 उपवास का पारणा 22 जुलाई शुक्रवार को होगा। तप अनुष्ठान खूब उत्साह से चल रहा है। प्रवचन के बाद प्रतिदिन गणधर गौतम स्वामीजी की आरती उत्साह उमंग के साथ की जा रही है। शुक्रवार को सुरि राजेंद्र सूरी ऋषभ की आरती एवं गौतम स्वामी इक्कीसा पाठ निरंतर जारी है । मुनि मंगलचंद्र विजयजी सूत्र पाठ एवं स्वाध्याय करवा रहे हैं। प्रति रविवार को स्पेशल टापीक प्रवचन एवं दोपहर में युवा जगृति शिविर चल रहा है। 

उन्होंने बताया कि सोमवार 18 जुलाई को सामायिक बैंक की स्थापना एवं चातुर्मासिक सिंदूर प्रकर एवं चंदराज चरित्र ग्रंथ को गुरुदेवश्री को व्होराने का आयोजन होगा। पिछले शुक्रवार को श्री गौतम स्वामी वंदनावली 11 लक्की ड्रा एवं खीर एकासने का दित्य अनुष्ठान रामलालजी चंपालालजी भंडारी महाड़ द्वारा कराया गया।  प्रतिदिन तपस्वी व अतिथि के बहुमान करने का पक्षिक लाभ संम्पतलालजी देशरला को मिला। चातुर्मास तप जप ज्ञान स्वाध्याय के साथ चल रहा है। सभी लोग उत्साह से धर्म किया से जुड़ रहे है । युवाओं में परिवर्तन आ रहा है। प्रत्येक पूर्णिमा को ऋद्धि सिद्धि लब्धिवंत महामांगलिक का आयोजन किया गया है। प्रति शुक्रवार को दोप. में सप्ताहिक प्रश्न वाटिका एवं सामुहिक सामायिक का आयोजन किया जाएगा।  मुनिश्री की प्रेरणा से नित नए अनुष्ठान के आयोजन एक नया आयाम स्थापित कर रहा है। ऐतिहासिक यशस्वी चातुर्मास में कौंकण सहित संपूर्ण महाराष्ट्र के लोग उत्साह उमंग से आ रहे हैं। महाड़ जैन श्रीसंघ एवं गुरु समर्पण चातुर्मास समिति अतिथियों की सुन्दर स्वामी भक्ति का विशिष्ट लाभ ले रहे हैं।

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