कोंकण के इंदापुर नगर में त्रिदिवसीय महोत्सव सम्पन्न
मुनिश्री रजतचंद्र विजयजी म.सा.की निश्रा
मुंबई :- परम पूज्य परोपकार सम्राट गच्छाधिपति आचार्य श्री ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी म.सा.के सुशिष्य प्रवचनदक्ष मुनिराज श्री रजतचंद्र विजयजी म.सा.मुनि श्री मंगलचंद्र विजयजी म.सा.की पावन निश्रा में कोंकण की धर्मधरा इंदापुर नगर में त्रिदिवसीय महोत्सव संपन्न हुआ।
नगर के विभिन्न मार्गों से सामैया जिनमंदिर पहुंचा। जहां चैत्यवंदन के दौरान मुनिश्री ने अपनी नवीन रचना में मूलनायक प्रभु श्री संभवनाथ दादा का सुंदर भाव युक़्त स्तवन बोला। मूर्ति मोहनगरी हो संभवनाथ पार लगावजो गीत में सकल संघ भाव विभोर बना। देव गुरु के दर्शन वंदन के बाद धर्मसभा में सर्वप्रथम सकल श्रीसंघ ने मुनिश्री को गुरु वंदना की। मंगलाचरण के बाद मुनि श्री ने धर्मसभा में कहा कि मालिक बनना है तो संसार के तत्वों को छोड़ दो, गुलाम बनना है तो पकड़ कर रखो। ओजस्वी वाणी सुनकर अगले दिन वेसते महिने की महामांगलिक हेतु विकेश कुमार चम्पालालजी कावेडिया ने भावभरी विनंती की। मुनिश्री ने स्वीकृति प्रदान की। अगले दिन एकम को जिनालय से महामांगलिक लाभार्थी विकेश कवेडिया फतापुरा के गृहनिवास पर वाजते गाजते गुरुभगवंत के पगलियाजी हुए। पश्चात् उपाश्रय भवन में महामांगलिक आयोजन किया गया। रिद्धि सिद्धि मंत्र स्त्रोत्र का स्पष्ट उच्च स्वर में प्रकाशन किया गया। सैकड़ों लोग लाभान्वित बने। महामांगलिक के पश्चात महाड़ श्रीसंघ ने इंदापुर संघ को 9 जुलाई चातुर्मास प्रवेश की पत्रिका अर्पण कि एवं निमंत्रण दिया। रात्रि प्रवचन माला आयोजित की गई। तिसरे दिन प्रभु का शांतिधारा महा स्त्रोत्र पाठ द्वारा एवं श्री राजेंद्रसूरी गुरुदेव का गुरुपादुका स्त्रोत से महाअभिषेक किया गया। प्रभु अभिषेक अमृतजी कावेडिया एवं गुरु अभिषेक का लाभ संदेश जैन ने लिया।
मुनिश्री ने महोत्सव पश्चात महाड के लिए विहार किया। 9 जुलाई को महाड़ नगर में धूमधाम से भव्याति भव्य चातुर्मास मंगल प्रवेश होगा। हिन्दुस्तान भर से श्रद्धालु पधारेंगे। जिसकी तैयारियां महाड़ श्रीसंघ एवं गुरु समर्पण चातुर्मास समिति जोर शोर से कर रही है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें