आध्यात्मिक आराधना और आत्म कल्याण का पर्व हैं चातुर्मास :-विश्वरत्न सागर सूरीश्वरजी
नवरत्न मय हुआ मुंबई
मुंबई :- आध्यात्मिक आराधना और आत्म कल्याण का पर्व हैं चातुर्मास। चातुर्मास में जितनी धर्म आराधना करो कम हैं। संतों के अध्यात्म एवं शुद्धता से अनुप्राणित आभामंडल समूचे वातावरण को शांति, ज्योति और आनंद के परमाणुओं से भर देता है। वे कर्म संस्कारों के रूप में चेतना पर परत-दर-परत जमी राख को भी हवा देते हैं। इससे जीवन-रूपी सारे रास्ते उजालों से भर जाते हैं। लोक चेतना शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तनावों से मुक्त हो जाती है। उसे द्वंद्व दुविधाओं से त्राण मिलता है। भावनात्मक स्वास्थ्य उपलब्ध होता है।
उपरक्त विचार श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ के सानिध्य में महामांगलिक आद्य प्रणेता तीर्थोद्धारक, जीरावला तीर्थ मार्गदर्शक, मालवभूषण परम पूज्य आचार्य श्री नवरत्नसागर सूरीश्वरजी म.सा के शिष्य गुरु नवरत्न कृपा प्राप्त, युवाहृदय सम्राट, सूरिमंत्र आराधक परम पूज्य आचार्य श्री विश्वरत्न सागर सूरीश्वरजी म.सा.चातुर्मास प्रवेश के बाद राजस्थान हॉल में विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।उन्होंने कहा कि 4 माह की धर्म साधना आराधना कर हम भी अपने मन के विकारों को दूर करें और मनुष्य जीवन के महत्व को समझते हुए अपने जीवन को सार्थक करें , और परंपरागत शाश्वत सिद्ध धाम की ओर अग्रसर हो धर्मसभा में सेलो ग्रुप के प्रदीप जैन एवं संघ अध्यक्ष प्रवीण कोठारी ने चातुर्मास व्यवस्था एवं संचालन की बड़ी जिम्मेदारी उठाने की घोषणा की।डेढ़ किलोमीटर चली प्रवेश यात्रा में देश के अनेक राज्यों से गुरु भक्त उपस्थित हुए। चातुर्मास प्रवेश के दिन प्रथम गुरु पूजन का लाभ रांका ज्वेलर्स के ओमप्रकाश रांका ने लिया।
कार्यक्रम के बाद आचार्य श्री ने विभिन्न राज्यों से नवरत्न परिवार के सदस्यों को 1500 जिनालयो मैं दोष शुद्धि एवं जीर्णोद्वार के लिए प्रेरणा की। सभी ने गुरुदेव को आश्वस्त किया की शीघ्र ही इस कार्य को अमल में लाया जाएगा। चातुर्मास के दौरान नियमित प्रवचन के अलावा अनेक धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होगा।चातुर्मास को लेकर संघ में जबरदस्त उत्साह हैं।
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