आत्म कल्याण के लिए होनी चाहिए तपस्या :- रजतचंद्र विजयजी
महाड़ चातुर्मास में अनेक धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन
महाड़ :- परोपकार सम्राट,आचार्य प्रवर श्री ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी महाराजा के शिष्य प्रवचनदक्ष मुनिराज श्री रजतचंद्र विजयजी महाराज साहेब एवं मंगलचन्द्र विजयजी ठाणा 2 का ज्ञानमय तपोमय भक्तिमय 2022 का एतिहासिक यशस्वी चातुर्मास चल रहा है। मुनिश्री की प्रेरणा व निश्रा में प्रवचन के आधार पर प्रश्न पेपर का आयोजन किया गया हैं।
इस स्पर्धा में प्रथम साधना विमल देशरला, दूसरे स्थान पर भगवतीलाल गांधी तिसरे स्थान पर अस्मिता कमलेश गांधी विजेता रहे। गुरुभक्त की ओर से इन्हें आकर्षक पुरस्कार दिये गये। प्रश्न पेपर के बाद प्रश्न मंच लक्की ड्रा का आयोजन किया गया। समाज के वरिष्ठ नागरिकों ने सभी को पुरस्क्रत किया। 11 उपवास के तपस्वी ममता प्रवीण छोगमलजी कटारिया के तप अनुमोदना में गांव सांझी कार्यक्रम किया गया।
जैन मंदिर से तपस्वी के गृह निवास पर बाजते गाजते गुरु भगवंत के साथ चल समारोह निकाला । यहां पर गुरुदेव के पगलिया व मांगलिक कार्यक्रम हुआ। मुनिराज ने तपस्वी को एकासना का पच्चक्खाण कराया। 11 उपवास के ऊपर ठाम चौविहार में खीर समुद्र का एकासणा किया।शनिवार को तपस्वी ने वासुपूज्य दादा के जिनालय में अष्ट प्रकारी पूजा व आरती की।वीरेश्वर मंदिर में हुई धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री ने कहां गलतफहमी कभी-कभी रिश्तो में दूरियां बना देती है या खाई की भूमिका निभा लेती है। तप में काया का कष्ट है किंतु आत्मा सुखी बनती है। इच्छाओं को रोकना तप है।
मुनिश्री ने सिद्धसेन दिवाकर सुरीजी व बापभट्टी मुनि का दृष्टांत सुनाया व दादा गुरुदेव के शिष्य रूप विजयजी का प्रसंग सुनाया। मुनिश्री ने कहा तप आत्मा कल्याण के दृष्टिकोण से करना चाहिए , प्रभावना- प्रलोभन से नहीं। कुछ लोग रिकॉर्ड बनाने के चक्कर में तप की महिमा को गर्त में ले जा रहे हैं उन्हें अपने नाम की प्रसिद्ध चाहिये।तप के हार्द को समझना जरूरी है। उन्होंने कहा की प्रल़ोभन व नामणा कामना प्रसिद्धि से किसी तीर्थ में किया गया तप भी आशीर्वाद स्वरूप नहीं बन सकता। तपस्वी का बहुमान श्रीसंघ व गुरु समर्पण चातुर्मास समिति ने किया।
10 यतिधर्म तप में तीसरे बियासणे के लाभार्थी प्रवीण कटारिया व यश,रोनक का सम्मान चढ़ावे के लाभार्थी अशोक शाह परिवार ने किया। तपस्वी को अभिनंदन पत्र भी अर्पण किया गया।इस अवसर पर खापोली,दापोली,मानगांव,नागोठाणा ,कल्याण आदि से श्रीसंघ सदस्य दर्शनार्थ पधारें। 31 जुलाई शनिवार को श्री नेमिनाथ प्रभु के जन्म कल्याणक का कार्यक्रम हुआ। उसी कार्यक्रम में मुनिराज रजतचंद्र विजयजी द्वारा लिखित व संपादित कृति *मारा प्रभु मोहनगारा* पुस्तक का विमोचन हुआ।
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