नकारात्मक सोच जीवन की सबसे बडी बाधा है :- विश्‍वरत्न सागर सूरीश्वरजी

माता पिता और गुरु का सम्मान करने वाला मानव कभी दुखी नही रहता :- तीर्थरत्न सागर


मुंबई :- 
धर्म के प्रति आस्था आज कम होती जा रही है , व्यर्थ के कार्यो में मन लगता है पर अच्छे कार्यो के प्रति झुकाव कम होता है। जीवन मे नकारात्मक सोच के कारण मानव दुखी रहता तो सकारात्मक सोच जीवन मे आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।उक्त विचार युवा हृदय सम्राट,नवरत्न कृपा प्राप्त परम् पूज्य आचार्य श्री विश्वरत्न सागर सूरीश्वरजी म. सा.ने व्यक्त किए। 

गोरेगांव में रविवारीय जाहिर प्रवचन में आचार्यश्री ने कहा कि संसार में रहने वाले हर मानव से गलती या भूल होती है लेकिन जो गांठ बाधकर कर बैठ जाता है तो उस व्यक्ति के जीवन में दुःख का आगमन होने लगता है जो पतन की और जाता है तो दूसरी तरफ जो व्यक्ति अपनी भूल का प्रायश्चित करता है या क्षमा मांगता है या करता है वही महान बनता है।

शिविर में युवा मुनिराज तीर्थरत्न सागर जी म.सा. ने अपनी ओजस्वी वाणी में कहा कि मन मे आ रहे बुरे विचारों के विरुद्ध आपको सर्जिकल स्ट्राइक करनी है,उस द्वंद से लड़ना ओर जो द्वंद से लड़ना सिख लेगा , वही सबको साथ लेकर चलने का भाव रखता है।आज की युवा पीढ़ी आडम्बर के पीछे भाग रही है , जहा पर ना किसी को कुछ मिला है और ना ही मिलने की उम्मीद है फिर भी भाग रहे है , ऐसे में घर,परिवार , रिस्ते नाते टूटने लगते है।यह सोच बदलनी पड़ेगी , यथार्थ का जीवन जीना है और जीवन मे सफल होना है तो संस्कार, धर्म ,बड़ो का सम्मान करना होगा ,तभी हम भटकती युवा पीढ़ी को सद मार्ग पर प्रेरित किया जा सकता है अन्यथा नही।माता पिता और गुरु का सम्मान करने वाला मानव कभी दुखी नही रहता और जहा जाता है वहा खुशियां ही बिखेरता है।

युवा मुनिराज श्री कीर्तिरत्न सागर जी म.सा. ने भी अपने विचार व्यक्त किये।श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ ट्रस्ट मंडल की और से धनजी गाला का बहुमान किया। उन्होंने बताया कि अगले रविवार 24 जुलाई 2022 के जाहिर प्रवचन का विषय "पापों का प्रायश्चित"होगा।भक्ति की रमझट हितेशभाई ने जमायी।



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