आखिर परमबीर सिंह सुप्रीम कोर्ट जाने को क्यों मजबूर हुए ? - चन्द्रकान्त दादा पाटिल

शरद पवार दोषी गृहमंत्री को बचाने की जगह महाराष्ट्र की जनता के प्रश्नों का उत्तर दे

मुंबई :- मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने गृहमंत्री अनिल देशमुख के विरुद्ध लगाए गए आरोपों पर सीबीआई जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की है। महाराष्ट्र भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष चन्द्रकान्त दादा पाटिल ने शरद पवार को निशाने पर लेते हुए उन्हें अनिल देशमुख को बचाने वाला वकील बताया और यह मुद्दा सरकार और प्रदेश की छवि को और ज्यादा नुकसान पहुंचाए, इससे पहले ही दागी छवि वाले गृहमंत्री का इस्तीफा लेने की मांग की।

पाटिल ने शरद पवार पर तंज कसते हुए कहा कि कुछ हफ्तों पूर्व जब शिवसेना और सचिन वज़े का रिश्ता सामने आया था, तब पवार ने ही कहा था कि वे स्थानीय मुद्दों पर टिप्पणी नहीं करते और अब जब सीनियर पुलिस ऑफिसर परमबीर सिंह ने देशमुख के ऊपर एक्सटॉर्शन रैकेट को चलाने के गंभीर आरोप लगाए हैं तो शरद पवार लगातार बैठकें और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं। शायद पवार को यह महसूस हो गया है कि यह मुद्दा सिर्फ राज्य का न होकर राष्ट्रीय हो गया है, जिसने महाविकास आघाड़ी सरकार के अपराधीकरण का पूरी तरह से पर्दाफाश कर दिया है।

पाटिल ने आरोप लगाया कि इस पूरे एपिसोड की शुरुआत से ही पवार और उनकी पार्टी के नेता लोगों के दिमाग में संदेह पैदा करने की कोशिश कर रहे थे। पहले तो उन्होंने परमबीर सिंह द्वारा लिखे गए पत्र की वास्तविकता पर ही सवाल उठाए क्योंकि उस पर कोई हस्ताक्षर नहीं थे। फिर उसके बाद कहा कि परमबीर सिंह की देशमुख से मुलाकात हुई और अन्य बातें कहीं लेकिन अनिल देशमुख द्वारा पैसे वसूली की बात नहीं की, उसके बाद यह कहा गया कि परमबीर सिंह पर केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा दवाब बनाया जा रहा है, फिर कहा कि जब अनिल देशमुख को सचिन वज़े से मिलना था तो वे अस्पताल में थे। लेकिन सिंह द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन फ़ाइल करने के बाद इन सभी दावों की पोल खुल गई है। यदि परमबीर सिंह ने पत्र नहीं लिखा है तो वे सुप्रीम कोर्ट क्यों जाएंगे ? शरद पवार को इस पर महाराष्ट्र की जनता को जवाब देना चाहिए।

परमबीर सिंह द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई अर्जी में उन्होंने महाविकास आघाड़ी सरकार को उनके द्वारा अनिल देशमुख पर लगाए गए इल्जामों के बाद बदले की कार्यवाही से रोकने और अनिल देशमुख द्वारा सबूत मिटाए जाने के शक की बात कही है।

2 दिन बीत चुके हैं और इस मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार को बचाने वाले लोग पूरे देश में हंसी का पात्र बन रहे हैं, इसके बाद भी राज्य सरकार ने पत्र में उठाये गए मुद्दों पर जांच की बात नहीं की है। परमबीर सिंह ने पत्र में साफ लिखा है कि उन्होंने इस मुद्दे पर पूरी जानकारी शरद पवार और उपमुख्यमंत्री अजित पवार को दी थी, जिसे शरद पवार ने भी स्वीकार किया है। इसके बाद भी पवार लगातार अनिल देशमुख का बचाव क्यों कर रहे हैं ?  क्या महाविकास आघाड़ी सरकार के अंदर ही कुछ अलग खिचड़ी पक रही है ? या यह किसी अन्य का दवाब है ? परमबीर सिंह द्वारा लिखे गए इस पत्र को मीडिया के सामने आए 48 घंटे बीत चुके हैं, शरद पवार को इस मामले में तुरंत अनिल देशमुख को कैबिनेट से बर्खास्त करना चाहिए, जिससे सच सामने आ सके।

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