विश्व में गुरुवर आत्मारामजी की अष्टधातु से निर्मित सबसे बड़ी गुरु प्रतिमा का लोकार्पण

 स्टेचू ऑफ़ विजडम के नाम से जाना जायेगा 

 प्रतिमा हम सभी को सत्य,अहिंसा तथा ज्ञान का संदेश  देगी 

दीपक आर जैन

लुधियाना :- 19वीं शताब्दी के महान ज्योतिर्धर,तपागच्छनभोमणि,जंगमयुगप्रधान न्यायाम्भोनिधि,पंजाब देशोद्धारक पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजयानंद सूरीश्वर जी महाराज के 125वें स्वर्गारोहण वर्ष में उनकी जन्म भूमि लहरा तीर्थ परिसर में गगनचुम्बी भव्य प्रतिमा  स्टेचू ऑफ़ विजडम  की स्थापना बड़े ही हर्षोल्लासपूर्ण माहौल में हुई. 

इस भव्य प्रतिमा का अनावरण परम पूज्य पंजाब केसरी आचार्य विजय वल्लभ सूरीश्वरजी म.सा.समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति,शासन प्रभावक पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरीश्वर जी म.सा. ,तप चक्रवर्ती समुदायवडिल पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय वसन्त सूरीश्वरजी महाराज,पंन्यास श्री धर्मशील विजय जी म.सा., मुनि श्री मोक्षानंद विजय जी म.सा., मुनि श्री पद्मशील विजय जी म.सा., मुनि श्री दिव्यांश विजय जी म.सा., मुनि श्री लोकेंद्र विजय जी म.सा.,मुनि श्री तत्वानंद विजय जी म.सा.,मुनि श्री ज्ञानानंद विजय जी म.सा.,नवदीक्षित मुनि श्री मुक्तानंद विजय जी म.सा.आदि ठाणा एवं पंजाब सिंहनी साध्वी प्रमोद श्री जी म.सा.की शिष्या साध्वी प्रीतिरत्ना श्री जी म.सा., साध्वी प्रीतिसुधा श्री जी म.सा.,साध्वी प्रीतियशा श्री जी म. आदि ठाणा की निश्रा में संपन्न हुआ.रविवार को संक्रान्ति प्रसंग पर लहरा गांव में सब तरफ गुरुभक्ति की लहर दिखाई दे रही थी.


कार्यक्रम की शुरुवात गुरु आत्म के जन्म स्थल पर निर्मित गुरूमन्दिर में सामूहिक गुरुवंदन तथा जयजयकार करते हुए चतुर्विध श्रीसंघ के साथ  स्टेचू ऑफ़ विजडम के अनावरण के साथ हुई. लाल वस्त्र से आच्छादित भव्य प्रतिमा के दर्शन के लिए हर कोई लालायित था.प्रतिमा भरवाने तथा विराजमान करने के लाभार्थी शांतिदास धर्मदेव जी जैन, परिवार से धर्ममूर्ति माता श्रीमती चन्दनबाला धर्मदेव जी,सुपुत्र पुत्र वधु - सुशील वन्दना जी ,मनोज - रितु जी,मुनीश तनु जैन परिवार ट्यूडर तथा बेटी - जमाई श्रीमती गीता विपिन जी जैन एन. के. परिवार दिल्ली वालें थे. 

गच्छाधिपति ने सबसे पहले विश्व वन्दनीय गुरु आत्म की महिमा का वर्णन करते हुए मंत्रोच्चार करवाया.फिर लोकार्पण विधि सम्पन्न होते ही लाभार्थी परिवार ने गुरु आत्म की अष्ट प्रकारी पूजा की.लोकार्पण होते ही सभी गुरु प्रतिमा के स्वर्णवर्णयुक्त भास्कर की तरह तेजस्वी स्वरुप को देखकर मन्त्र मुग्ध हो गए जयजयनाद तथा बैंड बाजों से धरती आकाश गुंजायमान हो गया .साध्वी प्रीतिसुधा श्री जी व मुनि श्री मोक्षानन्द विजय जी म.सा.के समयानुरुप गुरु महिमा पर प्रवचन हुए 

                                                     शिलापट्ट के भी अनावरण हुए :-

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला  इस कार्यक्रम के लिए मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित थे.उन्होंने गुरु आत्म के विराट व्यक्तित्व को नमन करते हुए अपने श्रद्धा सुमन वीडियो  सन्देश के माध्यम से प्रस्तुत किये.स्थानीय विधायक कुलबीर सिंह विशेष अतिथि थे.इस प्रतिमा की स्थापना से पूरे क्षेत्र को एक और नई पहचान मिल गई है.स्थानीय जनता के चेहरे भी प्रसन्नता से चमक रहे थे.सभी ने एक मुख से कहा कि गच्छाधिपति गुरुदेव ने इस तीर्थ को इतनी भव्यता प्रदान कर दी है कि जिससे यहां आने वाला हर श्रद्धालु यहां अधिक से अधिक दिन स्थिरता करके गुरुभक्ति का आनंद प्राप्त करने का भाव रखेगा. 

इस अवसर पर बोलते हुए कुलबीर सिंह जीरा ने कहा कि जैन धर्म के सर्वोच्च आचार्य का जन्म हमारे इस लहरा गांव में हुआ यह हम सभी का सौभाग्य है.गुरुदेव ने मुझे इस गांव का नाम गुरु आत्म नगर करने की जिम्मेदारी सौंपी है उस प्रक्रिया में हम काफी आगे बढ़ चुके हैं.जल्दी ही यह कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा.उन्होंने कहा कि गुरु विजयानन्द सूरि जी महाराज की प्रतिमा हम सभी को सत्य,अहिंसा तथा ज्ञान का सन्देश देती रहेगी. 

                                     विजय वल्लभ सूरि जैन उपाश्रय का उद्घाटन :-

लहरा तीर्थ परिसर में अति विशाल तथा भव्य उपाश्रय का निर्माण भी पूज्य गच्छाधिपति शांतिदूत आचार्य भगवंत की सत्प्रेरणा से लाला रोशनलालजी सुधीरजी श्रेणिकजी जैन परिवार (खानगाडोगरा) ,सत्यपाल जैन,राजीव जैन,संभव   जैन परिवार (जंडियाला गुरु),अभिलाष जैन,जितेंद्रजी,नरेंद्र जैन परिवार (जंडियाला गुरु) मेसर्स सुविधि टेक्सटाइल प्राइवेट लिमिटेड लुधियाना वालों ने बड़ी ही उदारतापूर्वक करवाकर गुरुभक्ति का आदर्श उपस्थित किया.गुरुदेव की निश्रा में लाभार्थी परिवारों के करकमलों से उपाश्रय का उद्घाटन सम्पन्न हुआ. 

                                                                           संक्रान्ति सभा :-

 गच्छाधिपति जी के बाद मंगलाचरण फरमाया फिर प्रातःकालीन संक्रान्ति भजन प्रवीण जैन दुग्गड़ संस्थापक अध्यक्ष लुधियाना जैन संक्रान्ति मण्डल तथा महेंद्र कोचर बीकानेर वालों ने प्रस्तुत किया साथ ही गुरुभक्ति की गीत गंगा प्रवाहित की.स्वागत भाषण श्री आत्मानन्द जैन सभा,जीरा के प्रधान हरीश जैन गोगा ने स्वागत भाषण दिया. 

                                              गुरु वल्लभ पच्चीसी का विमोचन :-

मुनि श्री मोक्षानन्द विजय जी म. ने राजस्थान से पंजाब की तरफ विहार करते समय श्रद्धा तथा भक्ति संवेदना की संगीतमय सरगम रुप वल्लभ पच्चीसी नामक काव्य का सृजन किया था.सुमधुर स्वर दिए बीकानेर के युवागायक  जैन पिन्टू स्वामी ने तथा रिकॉर्डिंग कार्य मे सहयोग दिया महेंद्र कोचर व रौनक कोचर ने.इस काव्य रचना के विमोचन लाभार्थी हकीम धर्मपाल - सुशील बाला जैन सेठी मेसर्स धर्मपाल अशोक कुमार पीयूष जैन परिवार नकोदर ने स्थानीय विधायक के साथ विमोचन किया. 

                         गुरुवर आत्म के द्वारा रचित महान ग्रन्थों के पुनर्मुद्रण बाद विमोचन :-

सत्य की स्थापना के लिए धर्मक्रान्ति के सूत्रधार गुरुवर आत्म ने अनेक धर्म ग्रन्थों की रचना की.सकल जैन शासन में उनके ग्रन्थों को बड़ा आदर प्राप्त है.ऐसे दुर्लभ ग्रन्थों का पुनः प्रकाशन गच्छाधिपति शांतिदूत आचार्य श्री सत्प्रेरणा से श्री आत्म वल्लभ जैन स्मारक शिक्षण निधि व भोगीलाल लहर चंद इंस्टीट्यूट वल्लभ स्मारक के तत्वावधान में किया गया.प्रकाशन के का लाभ सुमेरमल जी जैन परिवार के डी के जैन ,राजीव जैन ,अरुण जैन ,अनिल जैन - विवेक विहार दिल्ली वालों ने प्राप्त कर अपनी गुरुभक्ति तथा ज्ञान निष्ठा का परिचय दिया.अशोक जैन रोहिणी दिल्ली वालों ने गुरुदेव की प्रेरणा,प्रकाशन कार्य व लाभार्थी परिवार के विषय मे अपनी बात रखी.श्री संघ जीरा की ओर से लाभार्थी परिवार के साथ साथ,उपाश्रय के लाभार्थी,गुरु प्रतिमा निर्माण के लाभार्थी,संक्रान्ति के लाभार्थी,धर्मशाला में दो A C,स्कूल में ठंडे पानी की मशीन देने के लाभार्थी परिवारों का बहुमान किया गया.सभी को गुरु आत्म की सुंदर फ़ोटो प्रदान की गई. 

संपूर्ण दिन के साधर्मिक वात्सल्य सहित संक्रान्ति का सम्पूर्ण लाभ शांतिदास जुगमिंद्र कुमार मयंक जैन परिवार जीरा वाले ,पवन जैन होजरी लुधियाना ने लिया.इस अवसर पर पट्टी,जंडियाला गुरु,बीकानेर,अबोहर,फाजिल्का,श्री गंगानगर,सूरतगढ़,आदि कई श्रीसंघों को मंच पर उपस्थित होकर विनतियां करनी थी , किन्तु समय अभाव को देखते हुए गच्छाधिपति जी ने सभी की विनतियां पहले ही स्वीकार कर ली । अनेक भक्तों को भजन भी प्रस्तुत करने थे किंतु किसी को भी समय नही दिया जा सका । इसके लिए मंच से सभी से क्षमा मांगी गई. 

                        श्री आत्मानन्द जैन महासभा उत्तरी भारत का शताब्दी वर्ष प्रारम्भ :- 

सन 1921 में पंजाब केसरी गुरु वल्लभ के आशीर्वाद से उपाध्याय श्री सोहन विजय जी महाराज ने हर गांव नगर में श्री आत्मानन्द जैन सभाओं की स्थापना के बाद उन सभी सभाओं को एक सूत्र में पिरोते हुए श्री आत्मानन्द जैन महासभा की स्थापना की थी.आज वर्ष 2021 में महासभा ने अपने 100वें वर्ष में प्रवेश करने पर वर्तमान गच्छाधिपति शांतिदूत आचार्य भगवंत श्री जी की निश्रा में विशेष आयोजन मनाने का भाव रखा.100 वर्ष का सफर तय करने वाली श्री आत्मानन्द जैन महासभा , उत्तरी भारत एक ऐसी आदर्श संस्था है जो सभी श्रीसंघों का प्रतिनिधित्व करती हो.गुरु वल्लभ ने उस समय गुरु आत्म की स्मृति में जो आत्मानन्द नामक मैगजीन शुरू की थी वह अभी भी महासभा के तत्वावधान में विजयानन्द के रुप में प्रति माह प्रकाशित हो रही है. 

                     गुरु आत्म का व्यक्तित्व अलौकिक,साहसिक व  प्रेरक हैं :-नित्यानंदसूरी 

संक्रान्ति भजन के बाद गच्छाधिपति गुरुदेव ने अपने उद्बोधन में  गुरु आत्म के अलौकिक , साहसिक , प्रेरक तथा अतिशयकारी जीवन का हृदय स्पर्शी वर्णन किया । गच्छाधिपति जी भी गुरुवर के उपकारों का वर्णन करते - करते अत्यंत भावुक हो गए .उन्होंने कहा कि गुरु भूमि पंजाब में मेरे प्राण बसते हैं.यहां के हर तीर्थ,मन्दिर,श्रीसंघ तथा श्रद्धालु भक्त में मुझे आत्म  - वल्लभ की महक अनुभव होती है.पंजाब के अल्प प्रवास में जो कुछ कार्य कर पाया उसको मैं गुरुकृपा का ही परिणाम मानता हूं        गुरुदेव ने कहा कि लुधियाना में गोल्फ लिंक में उपाश्रय के लिए जो विशाल भूमि ली गई है उस उपाश्रय में करीब एक हजार लोग बैठ सकें ऐसे विशाल हाल का लाभ एक भाग्यशाली परिवार ने ले लिया है तथा उनकी इच्छा के अनुसार उसका नाम महत्तरा साध्वी मृगावती श्री हॉल रखा जाएगा.इसके साथ ही वहां बनने वाली भोजनशाला का लाभ सुरेन्द्रमोहन जैन परिवार ने प्राप्त किया.गुरुदेव की सत्प्रेरणा से भूमि दानदाता बनने के लिए विभिन्न अनेक गुरुभक्तों ने जो अर्थ सहयोग दिया उसमें करीब दो करोड़ रुपये की राशि एकत्रित हो चुकी है. 

वहां पर बनने वाले जिनमंदिर का सम्पूर्ण लाभ लाला रोशनलाल जैन सुधीरजी श्रेणिक जैन परिवार खानगा डोगरा वालों ने पहले ही प्राप्त करके भूमिशुद्धि विधान करवाकर कार्यारम्भ कर दिया है 24 अप्रैल को गच्छाधिपति जी द्वारा प्रदत्त मुहूर्त में गोल्फ लिंक में श्री शांतिनाथ जी जिनमंदिर का भूमिपूजन खनन व 25 अप्रैल को शिलान्यास विधान सम्पन्न होगा.  

                                   लहरा गांव के सरदार जी ने भूमि भेंट की :-

गच्छाधिपति शांतिदूत आचार्य भगवंत ने जीरा के प्रधान हरीश जैन को दो महीने पहले कहा था कि लहरा गांव के बाहर जो जम्मू कांडला मुख्य राजमार्ग है वहां पर कोई भूमि खरीदो ताकि गुरु आत्म का एक स्मारक वहां निर्मित कर सकें.लहरा गांव के सरदार चन्दसिंह जी ने अपने खेत मे से मुख्य मार्ग से जुड़ता हुआ एक भूखंड देना तय किया.जब उनसे कहा कि क्या कीमत है तब सरदार जी ने कहा गुरु महाराज के स्मारक के लिए भूमि की कोई कीमत नही.यह भूमि मैं गुरु चरणों में समर्पित करताहूं.गुरु आत्म सिर्फ जैनों के नही थे वह हमारे भी गुरु हैं.  इसलिए इस भूमि को स्वीकार करके आप मुझे धन्य करें.उनकी इस उदारता तथा गुरुभक्ति की सभी ने करतल ध्वनि से अनुमोदना की.श्रीसंघ ने सरदार जी का बहुमान किया.  

कार्यक्रम के अंत मे गुरुदेव व नवदीक्षित मुनि श्री ने संक्रान्ति स्तोत्र श्रवण करवाये.गच्छाधिपति जी ने संक्रान्ति नाम का प्रकाश किया वजयकारों के साथ धर्मसभा विसर्जित हुई.  

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