आचार्य चंद्रानन सागरसूरीश्वरजी म.सा. का महामांगलिक संपन्न

नाकोड़ा धाम तीर्थ में हुआ कार्यक्रम 

विरार :-परम पूज्य 
जाप-ध्यान-निष्ठ, महामंगलिक सम्राट,जन-जन आस्था के केंद्र राष्टसंत आचार्य गुरुदेव श्री चंद्राननसागर सूरीश्वरजी म.सा.का 
रिद्धि-सिद्धि समृद्धिदायक महामंगलकारी महामंगलिक नाकोडा धाम तीर्थ में पूज्य गुरुदेव के मुखारविन्द से भक्तों के जबरदस्त उल्लास एवं उमंग के साथ मे संपन हुआ.

इस अवसर पर विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज की तारीख में गुरुकृपा अत्यंत आवश्यक है।जिनके जीवन मे गुरुकृपा नही,खोजी नही वो जीवन मे जीरो है।वो कभी हीरो नही बन सकता। कोई भी मंत्र,कोई भी शास्त्र, कोई भी क्रिया,कोई भी प्रवचन गुरुवंदना के बिना शुरू नही होता है,इसलिए वर्तमान के इस विसर्जन भरे  वातावरण के अंदर हमे सविशेष गुरुओं की कृपा को ही पाना है. उन्होंने कहा की .आज के इस भरी जिंदगी में जब मानवो को रोग विकसित हो रहा है।तो वैसे पशुओं की करुणा दशा को कोई नही देख रहा है।लेकिन नाकोडा धाम में 250 गायों को 8से9 सालों से संभाल रहा है.साथ मे अभी नाकोडा धाम को एक और मौका मिला है।कि करीबन 208 बकरी बोरीवली और गोरेगांव के युवाओं ने अपनी जान पर खेलकर वापी से पीछा किया और वहां  पर उन सभी ने अपने कब्जे में लिया और उसके बाद नाकोडा धाम लाया गया.गुरुदेव ने कहा की अगर कही भी जगह नही है तो इन मूकप्राणियों के लियेइस तीर्थ के दरवाजें हमेशा खुले है.साथ ही कहा इन बकरियों को छुड़ाने में जिन्होंने अपना योगदान दिया है तथा आज तक जिन्होंनो सवा लाख जीव बचाये है ऐसे देवेंद्र भाई जैन(वापी) की में खुब-खुब अनुमोदना करता हु। उन्होंने बताया की जीवदया के कार्यों में हमारे ट्रस्ट मण्डल के दिनेशभाई तलेसरा भी हमेशा आगे रहते है.

गुरुदेव ने बताया की  तीर्थ के अध्यक्ष कांतिलालजी पुखराजजी शाह  26000 स्केवयर फुट की भोजनाशाला का निर्माण अपने सवद्रव्य से कर रहे है,साथ ही 150x60 के मिनी गिरिराज,मिनी पालीताणा,मिनी सिद्धाचल का निर्माण इस धर्मशाला के बिल्कुल बाजू में चुन्नीलालजी घमंडीरामजी सांचोर निवासी परिवार अपने सवद्रव्य से करवा रहे हैं उनकी मैं अनुमोदना करता हु।उन्होंने नाकोड़ा भैरवदेव के मंदिर निर्माण में 
गुप्तदान कर रहे भक्तों का आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम की शुरुवात संगीतकार त्रिलोक भोजक ने सामूहिक गुरुवंदन से की.  
पिछले आठ महीनों से महा मांगलिक का लाभ ले रहे है मातुश्री मदनबेन दिनेशचंद ज्योतिचंदजी तलेसरा परिवार का तीर्थ के ट्रस्ट मंडल द्वारा किया गया.भैरव देव के चालीसा पाठ का उत्साह से किया. 
मांगलिक के दौरान राजस्थानी जैन संघ वापी द्वारा गुरुदेव को चातुर्मास की विनती एवं चैत्र मास की ओली अपने संघ में कराने की विनती की जिसे गुरुदेव ने स्वीकारकिया. कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों से लोग उपस्थित थे. 
ज्ञात हो कि इस महामंगलिक कि शुरुआत 36 वर्ष पुर्व दादा गुरुदेव दर्शन सागर सूरीश्वरजी म.सा.ने की थी और यह अखंड 36वर्षो से जारी है.इस मांगलिक का मूल उद्देश्य भक्तों के दुःख दर्दो का निवारण करना है.









 

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