“भारत को भारत ही बोलो, इंडिया नहीं”।

तुभ्यं नमो संस्था, मुंबई द्वारा नारी शक्ति का भक्तिमय प्रदर्शन।


मुंबई :-
समाधिस्थ दिगंबराचार्य श्री १०८ विद्या सागर जी महा मुनिराज को विनयांजलि समर्पित करने के लिए आज दक्षिण मुंबई, भायंदर, मीरा रोड, ठाणे, बोरीवली, अंधेरी, विले पार्ले, लोखंडवाला, गोरेगाँव, मलाड, दादर, वर्ली, ऐरोली, वाशी, नेरुल, नवी मुंबई आदि की महिलाओं द्वारा संगीतमय आचार्य छत्तीसी विधान का आयोजन तीनमूर्ति दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र, पोदनपुर, संजय गाँधी राष्ट्रीय उद्यान, बोरीवली पूर्व, मुंबई में किया गया था, जिसमे बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लेकर गुरुदेव के प्रति अपनी श्रद्धा के सुमन अर्पित किये। कार्यक्रम का संयोजन तुभ्यं नमो संस्था द्वारा किया गया था।

इस आयोजन में आर्यिका श्री 105 जिनदेवी माताजी, श्री 105 आर्यमती माताजी व क्षुल्लिका श्री मंगलमती माता जी का सान्निध्य प्राप्त हुआ व इस अवसर माताजी ने उपस्थित महिला समूह को संबोधित किया और कहा कि आचार्यश्री की  प्रेरणा से संचालित प्रकल्पों और उनके संदेशों को जन-जन तक पहुँचाना है।

कार्यक्रम के शुभारंभ में गुरुदेव के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन नीता दिलीप घेवारे, पद्ममा पंकज जैन, आरती पुष्पराज जैन, प्रतिभा जैन ने किया।

तुभ्यं नमो संस्था की संस्थापिकाओं  इंदु प्रभात जैन,  वंदना सालगिया, डॉ सुजाता जैन आदित्य,  आरजे.  विधि प्रवीण जैन ने संस्था के कार्यों के बारे में अवगत कराया और बताया कि संस्था गत् 5 वर्षों से मुंबई, ठाणे व नवी मुंबई में कार्यरत है और भारत, स्वदेशी गुरुकुल आधारित शिक्षा प्रणाली, भारतीय संस्कृति व भारतीय भाषाओं के संरक्षण व संवर्द्धन का कार्य कर रही है। यह सभी विषय आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के जीवन-दर्शन से प्रेरित हैं और इन उदेश्यों को जैन बंधुओं तक ही नहीं जैनेत्तर बंधुओं तक पहुँचाने का कार्य यह संस्था करती है, जिसमें प्रमुख हैं प्रतिभास्थली अर्थात् गुरूकुल शिक्षा से समाज को जोड़ना एवं हिन्दी भाषा सहित सभी भारतीय भाषाओं के प्रति समाज के विभिन्न वर्गों में प्रेम जागृत करना, दयोदय महासंघ के अंतर्गत गौरक्षा के लिए गौशालाओं का संरक्षण करना, अहिंसक जीवनशैली के लिए श्रमदान व अपनापन ब्रांड के अंतर्गत हथकरघा से निर्मित वस्त्रों एवं स्वदेशी को अपनाना।

तुभ्यं नमो का एक प्रमुख नारा है “भारत को भारत ही बोलो, इंडिया नहीं”।

कार्यक्रम में गणमान्य महिलाएँ हथकरघा के श्वेत वस्त्रों को पहने बड़े भक्ति भाव से सम्मलित हुईं और सभी ने आचार्यश्री के प्रति अपनी विनयांजलि अर्पित की और संकल्प लिया कि वे उनके द्वारा बताए गए धर्म मार्ग का अनुसरण करते हुए भारत देश व इसकी संस्कृति के संरक्षण का कार्य करेंगी।

इस कार्यक्रम  में आचार्य श्री द्वारा रचित ग्रंथों मूकमाटी, तोता क्यों रोता, नर्मदा का नरम कंकड़, डूबो मत, लगाओ डुबकी, जैन गीता, गुणोदय, विद्या काव्य भारती, समाधि सुधा शतक,  द्वादश अनुप्रेक्षा, समंतभद्र की भद्रता, रयण मंजूषा, इष्टोपदेश पद्यानुवाद, कलशा-गीत, चेतना के गहराव में आदि को भी प्रदर्शित किया गया, साथ ही हथकरघा निर्मित स्वदेशी वस्तुओं को बहनों ने पसंद किया गया।

यह कार्यक्रम अपने आप में अनूठा व अद्भुत था, जिसमें महिलाओं का उत्साह देखते ही बनता था, मुंबई महानगर में इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं को एक मंच पर लाकर तुभ्यं नमो संस्था ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। कार्यक्रम का संचालन संस्था की संस्थापक सदस्या आरजे विधि प्रवीण जैन  ने किया और समाज की महिलाओं से आग्रह किया कि वे इस तरह के आयोजनों से जुड़ें।

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