पालीताणा तीर्थ का ऐतिहासिक व यशस्वी छ'री पालक यात्रा संघ संपन्न
शकुनदेवी मुल्तानमलजी सुंदेशा मेहता व सौ मधु कांतिलाल मेहता परिवार का आयोजन (Silver Emporium)
प्रभु! आपका शासन मिला इसलिए आपकी पहचान हुई। शासन मिला इसलिए आपके वचन मिले। शासन मिला इसलिए गुरु तत्त्व का परिचय मिला। शासन मिला इसलिए तारक योग और अनुष्ठान मिले। शासन मिला इसलिए तारक सात क्षेत्र मिले। आपका शासन मिला इसलिए इन सभी के प्रति हार्दिक अनुराग मिला। आपका शासन मिला इसलिए अहिंसा, अनेकांतवाद और अपरिग्रहवाद जैसे सार्वभौमवादी सिद्धांत मिले।
कांतिलाल मेहता / आयोजक
मुंबई :- जिसके कण-कण की पवित्रता सृष्टि के किसी भी क्षेत्र में नहीं पाई जा सकती... जिनके जैसी तारकता अन्य किसी तीर्थों में नहीं पाई जा सकती... जिसकी सानिध्यता से अनंत-अनंत आत्माओंने स्वयं की स्वरूपदशा को प्राप्त किया है ऐसा पावनधाम-शाश्वत धाम है: श्री सिद्धिगिरिराज। जिसका नामरटण-भावस्मरण जीवों के अनंत कर्मक्षय का श्रेष्ठ आलंबन है। इस पावनतीर्थ का महिमागान साक्षात् विहरमान जिन श्री सीमंधरप्रभु से सुनकर कई देव देवेन्द्र भी वर्तमान समय में इस तीर्थ की उपासना करते है,और इस महत्त्व को जानकर ही व गुरुदेव की प्रेरणा से शकुनदेवी मुल्तानमलजी सुंदेशा मेहता व सौ मधु कांतिलाल मेहता परिवार (Silver Emporium) की और से 19 फरवरी से 25 फरवरी तक महेन्द्रपुरम से शेत्रुंजय तीर्थ का भव्य व यादगार छ'री पालक यात्रा संघ संपन्न हुआ।
संघ के आयोजक कांतिलाल मेहता ने कहा कि जब से पूज्य गुरुदेव् आचार्य श्री अरविंद सागर सूरीश्वरजी महाराज के श्रीमुख से सिद्धगिरिराज एवं उनकी छ'री पालक यात्रा संघ का वर्णन-लाभ सुना है तब से हृदय में एक भाव संजोया था कि, देव-गुरु की कृपा से हमारे परिवार के द्वारा सिद्धगिरिराज के यशस्वी छ'री पालक यात्रा संघ का आयोजन हो। पूज्य गुरुजी ने हमारे इन भावों का पुष्टिकरण किया और सफलीकरण हेतु प्रेरणादान दिया।हमारे इन भावों का पुष्टिकरण किया और सफलीकरण हेतु प्रेरणादान दिया।
पूज्य ज्योतिर्विद् आचार्य गुरुदेव श्री अरुणोदय सागर सूरीश्वरजी महाराजा एवं पूज्य शतवर्षीय पंचांग निर्माता आचार्य गुरुजी श्री अरविंद सागर सूरीश्वरजी महाराज की प्रेरणा एवं सान्निध्य में सिद्धगिरिराज की प्राचीन तलहटी श्री वल्लभीपुर महातीर्थ से अनंत सिद्धों के सिद्धि शिखर श्री शत्रुजंय महातीर्थ का यशस्वी छ'री पालक संघ वि.सं. 2080 माघ सुदि-10, सोमवार, दि. 19-02-2024 से प्रारंभ होकर फाल्गुन वदि-1, रविवार, दि. 25-02-2024 के मंगल दिन तीर्थमाला के साथ संपन्न हुआ।
यह ऐतिहासिक आयोजन अध्यात्म दिवाकर, योगनिष्ठ आचार्यदेव श्री बुद्धि सागर सूरीश्वरजी महाराजा,सागर कुलकीर्ति आचार्यदेव श्री कीर्ति सागर सूरीश्वरजी महाराजा, गीतार्थ गौरव, गच्छाधिपति आचार्य श्री कैलास सागर सूरीश्वरजी महाराजा, पंचाचार प्रभावक, तपागच्छाधिपति आचार्यदेव श्री मनोहर कीर्ति सागर सूरीश्वरजी महाराजा, शिल्पशास्त्र-मर्मज्ञ आचार्यदेव श्री कल्याणसागर सूरीश्वरजी महाराजा, जिनशासन के महानायक, राष्ट्रसंत आचार्य श्री पद्म सागर सूरीश्वरजी महाराजा के आशीर्वाद व सूरिमंत्र समाराधक, प्रवचन प्रभावक, ज्योतिर्विद् आचार्य श्री अरुणोदय सागर सूरीश्वरजी महाराजा,छ' रीपालक संघ प्रेरणादाता, हृदयस्पर्शी प्रवचनकार आचार्यदेव श्री अरविंद सागर सूरीश्वरजी महाराजा तत्त्व प्रवचनकार गणिवर्य श्री अमरपद्म सागरजी म. सा., मधुरकंठी गणिवर्य श्री हीरपद्म सागरजी म. सा.,मुनिश्री मुनिपद्म सागरजी म.सा., मुनिश्री हेमपद्म सागरजी म.सा.,मुनिश्री श्रुतपद्म सागरजी म. सा.,मुनिश्री नेमिपद्म सागरजी म.सा., मुनिश्री तारकपद्म सागरजी म.सा. आदि ठाणा व श्रमणीवंद योगनिष्ठ आचार्यदेव श्री बुद्धिसागर सूरिजी म. सा. के समुदायवर्तिनी विदुषी साध्वीवर्या श्री रत्नत्रया श्रीजी म. आदि ठाणा, विदुषी साध्वीवर्या श्री ज्योतिप्रभा श्रीजी म. आदि ठाणा विदुषी साध्वीवर्या श्री कल्पगुणा श्रीजी म. आदि ठाणा विदुषी साध्वीवर्या श्री कल्पशीला श्रीजी म. आदि ठाणा,विदुषी साध्वीवर्या श्री कल्याणधर्मा श्रीजी म. आदि ठाणा,विदुषी साध्वीवर्या श्री सुवर्णरखाश्रीजी म. आदि ठाणा,विदुषी साध्वीवर्या श्री नलीनयशा श्रीजी म. आदि ठाणा,गिरनार तीर्थोधारक प. पू. श्री नीतिसूरि समुदाय के पू.सा.म.सा. ललित-विश्व-मुक्ति एवं डाइलाना गाँव की गौरव सा. चिंतनपूर्णा श्रीजी एवं सा. कृतार्थपूर्णा श्रीजी म.सा. आदि साध्वीवृंद ने निश्रा प्रदान की।
मोक्ष ही अंतिम साध्य है... संपूर्ण धर्माराधना
पूज्य गुरुदेव ने अपने प्रवचन में कहा कि मोहराजा को परास्त करने की रणभूमि है : सिद्धगिरिराज। अनंत-अनंत सिद्धों की साधनाभूमि है: सिद्धगिरिराज। अपराधी को भी आराध्य बनानेवाली परम तपोभूमि है: सिद्धगिरिराज।उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे महत्त्वपूर्ण तत्त्व है परिवर्तन... प्राप्त करना या तृप्त होना कोई उतनी बड़ी बात नहीं जितना बडा तत्त्व है। परिवर्तन एक बार परिवर्तन हो जाता है उस के बाद कभी मुडकर देखना नहीं होता। परिवर्तन दो प्रकार से होता है: 1 बाहर से... 2 भीतर से.... बाहरी परिवर्तन अल्पकालीन होता है जबकि, भीतरी परिवर्तन चिरकालीन होता है। जैसे पानी को गरम करने पर जो भाप उत्पन्न होती है, यह भी एक परिवर्तन है लेकिन, वह पुनः पानी में ही तब्दील होने से अल्पकालीन परिवर्तन है। लेकिन दूध जब दहीं में तब्दील हो जाता है तब वह चिरकालीन परिवर्तन हो जाता है। क्योंकि, दहीं पुनः दूध के स्वरूप को प्राप्त नहीं करता। जब हम धर्म को प्रवृत्ति और क्रियानुष्टशन तक ही सीमित कर देते है तब हमारे में अल्पकालीन परिवर्तन होता है।लेकिन जब धर्म हमारे भावों में परिणाम और अध्यवसायों में स्थिर बनता है तब चिरकालीन परिवर्तन हो जाता है। एक बार भीतरी भावों पर धर्म की प्रतिष्ठा हो जाती है तो वह हृदय इस कदर संस्कारित हो जाता है जिसमें पुनः धर्मबीज का वपन अपेक्षित नहीं रहता।
संघ कार्यक्रम के तहत प्राचीन तलहटी वल्लभीपुर नगर में स्वजन महाजन के संग छ'री पालक संघ निश्रादाता पूजनीय परमात्मा एवं पूज्य आचार्य भगवंत आदि श्रमण-श्रमणी भगवंत आदि चतुर्विध संघ का भव्य प्रवेश के हुआ।19 फरवरी महेन्द्रपुरम् ,20 फरवरी नवागाम,21 फरवरी सोनगढ़, 22 फरवरी राजेंद्रधाम,23 फरवरी अढीद्वीप ,24 फरवरी को पालीताणा व 25 फरवरी को सिद्धगिरिराज तीर्थ यात्रा एवं संघ मालारोपण के साथ समापन हुआ।
संघ प्रस्थान तिलक पादरली निवासी संघवी घेवरचंदजी जीवराजजी जैन, बागरा निवासी संघवी मोहनलालजी शंकरलालजी जैन, मंगल श्रीफल अर्पण मोतिलालजी जुगराजजी मेहता, खोड़ ,अमृतलालजी चुम्रीलालजी मरलेचा, शिवगंज,अरविंदजी कनकराजजी कोठारी, आउवा,अष्टमंगल दर्शन से शुभमंगलं मेहता परिवार के बच्चो द्वारा मांगलिक शंखनाद कल्पेश सम्पतराज मेहता, राहुल कान्तिलाल मेहताहरी झंडी संघवी इंदरचंदजी मूलचन्दजी राणावत, मुंबई, दिलीप घेवरचंदजी सुराणा, बैंगलोर (MICRO Lab),मोहनलालजी जुहारमलजी मरलेचा, बंगलौर,मंगलचंदजी रुपचंदजी भंसाली व अक्षत वधामणा कल्याण मित्रो द्वारा एवं विशेष अतिथियों द्वारा किया गया।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें