गणपत कोठारी ने ठोंकी ताल, देश की संसद में बुलंद करेंगे दक्षिण मुंबई की आवाज
दक्षिण मुंबई लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने की भरी हुंकार
■ मुंबई :- महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी तथा सत्ताधारी शिवसेना, भाजपा, राकांपा महायुति में चुनावी गठबंधन को लेकर अभी भी खींचतान की स्थिति बनी हुई है। इस बीच दक्षिण मुंबई की हाई प्रोफाइल लोकसभा सीट से समाजसेवी गणपत कोठारी ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की हुंकार भरकर तमाम राजनीतिक दलों की टेंशन बढ़ा दी है। तमाम सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक संगठनों से सक्रिय रूप से जुड़े गणपत कोठारी ने देश की सर्वोच्च संसद में बतौर सांसद दक्षिण मुंबई की समस्याओं तथा विकास की आवाज बुलंद करने के लक्ष्य के साथ चुनावी समर में उतरने की हुंकार भरी है।उन्होंने कहा कि देश ही नहीं अपितु समूचे विश्व में मुंबई को भारत की आर्थिक राजधानी का तमगा मिला हुआ है। इस आर्थिक राजधानी की हृदय स्थली दक्षिण मुंबई का कारोबारी इलाका रिहायशी है। जहां कपड़े, आभूषण, दवा, केमिकल, स्टील समेत तमाम वस्तुओं का होलसेल कारोबार होता है।इसी वार्ड से होने वाले कारोबार से केंद्र तथा महाराष्ट्र सरकार को प्रतिवर्ष अरबों रूपए बतौर राजस्व के रूप में मिलते हैं। इसके बावजूद यह क्षेत्र बुनियादी सुविधाओं के विकास से कोसों दूर है।
कोठारी ने कहा क्षेत्र की उपेक्षा के कारण ही अतीत में एशिया का मेनचेस्टर कहा जाने वाला कालबादेवी का थोक कपड़ा बाजार आज पूरी तरह से बिखर चुका है। आभूषण का थोक कारोबार अन्यत्र पलायन करने को विवश है। यहां की बदहाल तथा गंदगी से सराबोर गलियां, साफ-सफाई का अभाव, ट्रैफिक जाम, पार्किंग की समस्या, बदहाल और क्षतिग्रस्त सड़कों, अतिक्रमित फुटपाथ, अंग्रेजों के जमाने की ड्रेनेज लाईन, पानी आपूर्ति करने वाली लाईन समेत तमाम मूलभूत समस्याओं से यहां के व्यापारी जूझ रहे हैं, और अन्यत्र पलायन कर रहे हैं, या तो विचार कर रहे हैं। यहां के विकास न होने खामियाजा करोड़ों का टैक्स अदा करने वाले व्यापारियों को भुगतना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि यह महज इसी वार्ड की समस्या नहीं है, बल्कि समूची दक्षिण मुंबई को इन समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। कोठारी ने कहा कि दक्षिण मुंबई न सिर्फ मुंबई अपितु समूचे महाराष्ट्र की हृदय स्थली है, क्योंकि यहां राज्य का मंत्रालय, सचिवालय, सभी प्रमुख बैंकों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के मुख्यालय, एशिया की सबसे बड़ी मुंबई महानगरपालिका का मुख्यालय, सभी राजनीतिक दलों के मुख्यालय,शेयर मार्केट आदि का समावेश है। तमाम बड़े उद्योगपतियों, मंत्रियों, नेताओं के आवास भी यहीं है, फिर भी विकास की दौड़ में दक्षिण मुंबई सबसे पिछड़े इलाकों में शुमार है। किसी राजनीतिक दल के उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरने के सवाल पर गणपत कोठारी ने कहा कि वे दबाव की राजनीति से भली-भांति वाकिफ हैं, जिसका दंश आज भी दक्षिण मुंबई झेल रही है, इसलिए आज तक उन्होंने न किसी राजनीतिक दल की सदस्यता ली, और न ही पद। मतदाता अगर उन्हें निर्वाचित कर देश की संसद में भेजेंगे, तो वे संसद में यहां की बदहाली और नाइंसाफी की आवाज बुलंद करेंगे, तथा सत्ताधारियों को दक्षिण मुंबई के चहुंमुखी विकास के लिए विवश करेंगे, जो यहां के व्यापारियों और रहिवासियों का मूलभूत अधिकार है।
बता दें कि गणपत कोठारी के लोकसभा चुनाव में दक्षिण मुंबई से चुनाव लड़ने की घोषणा से व्यापारियों तथा सभी जाति-धर्म के लोगों में भारी उत्साह व्याप्त है, और मतदाताओं का स्वस्फूर्त समर्थन मिल रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गणपत कोठारी के मैदान में उतरने से राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों की मुसीबत बढ़ना तय है, और गणपत कोठारी अमरावती की तर्ज पर निर्दलीय सांसद चुनकर लोकसभा में पहुंचे, तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए, इसके पीछे सबसे बड़ा तर्क यह है कि अपने सामाजिक कार्यों के जरिए दक्षिण मुंबई ही नहीं, अपितु समूची मुंबई में गणपत कोठारी ने सभी जाति-धर्म के मतदाताओं में गहरी पैठ बना रखी है। जिसके चलते अब तक उन्हें तमाम सामाजिक संगठनों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
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