भगवान महावीर की शिक्षाएं और उनके समाधान सभी के लिए अनुकरणीय हैं - देवेंद्र ब्रह्मचारी

आचार्य विद्यासागर जी की शिक्षाएं युगों युगों तक प्रेरणा देती रहेगी -राज्यपाल थावरचंद गहलोत

सद्भावना और सच्चाई के साथ जीने की कला सिखाता है जैन धर्म-  डॉ मौलाना कल्बे रिज़वी


मुंबई :-
संत शिरोमणी आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज एवम पूज्य सूरीश्वर दौलतसागर सूरीश्वरजी महाराज संलेखना पूर्वक समाधि पर भगवान महावीर के सिद्धांतों पर आधारित “ विश्व अहिंसा समिट एवम भगवान महावीर के शांतिदूतों के गुणानुवाद ”  का  आयोजन 2 मार्च 2024 शनिवार  देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई के यशवंत राव सभागृह , नरीमानपॉइंट अत्यंत ही गरिमा के साथ सम्पन्न हुआ।

जन आरोग्य फ़ाउंडेशन के संस्थापक और इस कार्यक्रम के सूत्रधार भारत गौरव देवेंद्र ब्रह्मचारी जी के दिशा निर्देशन में हुए इस कार्यक्रम के  मुख्य अतिथि  कर्नाटक के महामहिम  राज्यपाल थावरचंद गहलोत महाराष्ट्र के केबिनेट मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा विशेष अतिथि थे। धर्मगुरु श्रद्धेय स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, मौलाना   कल्बे रिजवी ,जैन साध्वी नमि वर्षा और साध्वी नेहवर्षा की पावन उपस्थित रही।

सत्य- अहिंसा का उपदेश देने वाले, प्राणी मात्र पर दया, करुणा रखने और सिखाने वाले जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भागवान महावीर  के  सत्य अहिंसा की प्रथम पाठशाला ' जियो और जीने दो पर  आधारित विश्व अहिंसा समिट  में विश्व मे शांति स्थापित करने हेतु किये जाने वाले प्रयासों पर मंथन हुआ। संत शिरोमणि  पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज एवम पूज्य दौलत साग़र जी महाराज जिनका संलेखना पूर्व को विनयांजलि समर्पित गया।
राज्यपाल ने जैन धर्म के सिद्धांतों को  पालन करने पर जोर दिया और पूज्य आचार्य द्वय के प्रति श्रद्धा अर्पित किया।

श्रद्धेय देवेन्द्र ब्रम्हचारीजी  अपने दीक्षा गुरु आचार्य श्री विद्यासागर को याद करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि गुरु के उपकार का ऋण आजीवन  बना रहेगा। उन्होनें  हिंसा से ग्रसित   वर्तमान विश्व   में शांति के लिए जैन धर्म के सिद्धांतों को जन जन में पंहुचाने के अपने संकल्प को दोहराया।

परम पूज्य सूरीश्वर दौलत सागर सूरीश्वरजी महाराज के हुए दर्शन को याद करते हुये उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया।केबिनेट मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा और खंडेलवाल जैन समाज मुंबई के अध्यक्ष सीए के सी जैन ने संक्षिप्त मगर सारगर्भित रूप में दोनों गुरु महाराजों के महत्ता को रेखांकित किया।

परमार्थ तीर्थ हरिद्वार के श्रद्धेय चिदानंद सरस्वती जी अपने ओजस्वी वाणी से जैन धर्म,गुरु और श्रावकों से अपनी निकटता बात कही ।
प.पू. साध्वी नमिवर्षा म.सा. एवम  मुस्लिम धर्मगुरु डॉ मौलाना कल्बे रिज़वी जी मे भी सारगर्भित शब्दों में सर्व धर्म समभाव की आवश्यकता पर बल देते हुये दोनों समाधिस्थ गुरु महाराजों को नमन किया।
इस अवसर पर  विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े कर्मठ एवम  महत्वपूर्ण हस्तियों का विशिष्ठ-सम्मान किया गया।

पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के वातावरण में इस महा- आयोजन में वरिष्ठ राजनेता राज के पुरोहित, सिने जगत के गोविंद नामदेव,  समाजसेवी  गुणमंत  कोठारी, महेंद्र तुरखिया , अशोक दोषी, मनोज जैन कोलकाता के अलावा ब्रम्हचारी धीरज भैया, नवीन जैन योगाचार्य जबलपुर आदि गणमान्य  विशेष रूप से उपस्थित थे।कार्यक्रम का मंगलाचरण प्रसिद्ध संगीतकार रवि जैन और संचालन लवकेश जैन नवी मुंबई द्वारा किया गया।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्रमण संघीय साधु साध्वियों की चातुर्मास सूची वर्ष 2024

पर्युषण महापर्व के प्रथम पांच कर्तव्य।

तपोवन विद्यालय की हिमांशी दुग्गर प्रथम