आकाश से रंगबिरंगी पतंग गायब पतंगबाजार हैं सुना सुना



दीपक आर. जैन /भायंदर
मकर संक्रांति आते ही लोगों की नजरें पतंगों के रंगबिरंगे नज़ारे देखने के लिए लोग आकाश पर नजरें गड़ायें रहते थे. कईबार तो पतंग युद्ध का भी देखने को मिल जाता था. एकदूसरे की पतंग काटने और अपनी पतंग ज्यादा से ज्यादा उड़ाने का अलग ही मजा था. कटी पतंग को पकड़ने के लिए अनेक लोग दौड़ पड़ते थे. पर पिछले कुछ वर्षों से युवाओं में पतंग उड़ाने के प्रति पगलपंथी काम देखने को मिल रही हैं. इंटरनेट और मोबाइल के ज़माने में पतंग उड़ाने को समय ही नहीं हैं. बिक्री कसम होने के चलते पतंग की डिमांड में भी कमी आयी हैं. इसके कारण हमेशा की तरह रंगबिरंगा आकाश अबकिबार सुना सुना प्रतीत हो रहा हैं. आज संक्रांत होने के बाद भी आकाश में पतंगें उतनी नहीं दिखाई दे रही हैं. पर व्यापारियों को आशा हैं की संक्रांत के दिन आकाश पतंगों से भरा देखना मिलेगा.
मीरा-भायंदर में संक्रांति के उपलक्ष पर अनेक दुकाने पतंग की सजी हैं जिसमे तरह तरह की पतंगें ग्राहकों के आकर्षण को लेकर लगाई गयी हैं लेकिन ग्राहकी कहे वैसी देखने को नहीं मिल रही. मुंबई से लेकर बांद्रा और पालघर तक पतंग खरीदी में भायंदर सबसे प्रमुख केंद्र हैं और सबसे ज्यादा खरीदी और बिक्री यहाँ होने का कहा जाता हैं. कई जगहों के दूकानदार भायंदर से पतंग की खरीदी करते हैं. 70 से अधिक अलग अलग तरह की पतंग यहाँ पर उपलब्ध हैं. एक रुपये से लेकर चार हजार रुपये तक व तीन इंच से लेकर 90 फ़ीट तक की पतंग बेचने को राखी गयी हैं. लगभग एक करोड रुपये की उलाढाल यहां के बाजार मैं पतंग व्यवसाय में होती हैं. पहले पतंग का लगभग उत्पादन मुंब
ई में होता था. मात्र मजदूरी बड़ जाने की वजह से यह काम दस प्रतिशत ही रह गया हैं. अब गुजरात,राजस्थान व उत्तरप्रदेश की पतंगें यहाँ पर उपलब्ध हैं.चाइना के पतंगों के प्रति लोग उत्सुक नहीं दिख रहे हैं और यह पतंगे भारतीय पतंगों से महंगी भी बहुत हैं. यह जानकारी पिछले तीस वर्षों से इस व्यवसाय से जुड़े सुभाष सरावगी ने दी.

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