रिक्शा नहीं चलाता तो मेकैनिक होता - महेश दीनानाथ ठाकुर
रिक्शा नहीं चलाता तो मेकैनिक होता - महेश दीनानाथ ठाकुर
आप खुद अच्छे रहोगे और अच्छा सोचोगे तो दुनिया का हर इंसान अच्छा ही नजर आयेगा,हैं महेश दीनानाथ ठाकुर जो पिछले २२ वर्षों से मीरा-भायंदर की सड़कों पर रिक्शा से हजारों की संख्या में यात्रियों को उनके स्थल पर पहुंचा चुके हैं और यह क्रम आज भी जारी हैं. भायंदर में ही जन्मे और दसवीं तक भायंदर सेकंडरी स्कूल में पढाई के बाद परिवार की जवाबदारी उनपर आ गयी. 06 भाई बहनों के परिवार में महेश सबसे छोटे हैं और भायंदर(वेस्ट) स्थित इंदिरा नगर कोठार में वर्षों रिक्शा चलाकर अपने परिवार का लालन पालन कर हैं.
महेश कहते हैँ की दसवीं के बाद मेकैनिक बनने की बहुत इच्छा थी परन्तु घर की आर्थिक परिस्थिति ने उन्हें इस लाइन में ले आया. शिक्षा कम होने की वजह से कोई काम भी नहीं दे था और परिवार की जिम्मेदारी थी. अब उनके परिवार में माँ,पत्नी और बच्चे हैं. महेश कहते हैं की पैसेंजर हमारा भगवान हैं और उसके साथ हमारा व्यवहार अच्छा ही होना चाहिए. अगर पैसेंजर नहीं होगा तो हम गुजरा कैसे करेंगे. कभी कभी छुट्टे पैसों को लेकर जरूर मचमच हो जाती हैं. पुलिस के बारे में पूछने पर वे कहते हैं की आप सही रहो,गाड़ी के कागज बराबर रखो,ड्रेस और बिल्ला साथ रखो तो झिकझिक का काम ही नहीं होगा. आपने किसी को मान सम्मान दिया तो वो भी आपको मान सम्मान ही देगा. वे अपंग और लाचार व्यक्तियों को मदद करने का पूरा प्रयास करते हैं. उनके दोनों बच्चे पड रहे हैं और उनकी पढाई में वो कोई कमी नहीं आने चाहते. कहते हैं भायंदर स्टेशन पर ट्राफिक पुलिस होना बहुत जरूरी हैं. महेश कहते हैं की स्वच्छ भारत अभियान और बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं जैसे कार्यों में लोगों ने पूरा साथ देना चाहिए. जाते जाते वे कहते हैं की हम अच्छे तो सब अच्छा.
प्रस्तुति-दीपक आर जैन
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