महिला शिक्षा व भ्रूण हत्या के प्रति जागरूकता बहुत जरुरी -रीटा शाह /संस्थापिका निर्मला निकेतन स्कूल




दीपक आर.जैन /भायंदर 
पूर्व नगरसेविका रीटा शाह राजनीति के साथ साथ समाजसेवा में ही सक्रिय हैं.दादर मैं पली बड़ी ने जीवन में लम्बे संघर्ष के बाद सफलता को पाया हैं. 1976 में धर्म नगरी भायंदर आने के बाद उन्होंने अनेक उत्तर चढ़ाव देखे हैं. पूर्व सांसद मिठालालजी को अपना गुरु माननेवाली श्रीमती शाह ने भायंदर टाइम्स में संपादक के रूप में अपना करियर शुरू किया लेकिन बाद में वे राजनीति में सक्रिय हो गयी और और कांग्रेस टिकट पर ठाणे जिला से विधायक का चुनाव लड़ रहे मनोहर सालवी के खिलाफ अपक्ष उम्मीदवार के रूप फॉर्म भरा और उसके बाद चर्चा में आयी और निरंतर जनसम्पर्क बड़ता गया. उनदिनों पानी की विकराल समस्या मीरा-भायंदर में थी जिसके खिलाफ दो महिने से ज्यादा समय का सत्याग्रह मीरा-भायंदर नगरपरिषद के बहार किया. यह भायंदर के इतिहास में आज तक का सबसे लम्बा सत्याग्रह था. उसके बाद लोगों को कनेक्शन मिलना शुरू हुए. स्टेशन से प्रकाश मार्किट के परिसर में रहते लोगो को नल का पानी मिलने लगा.
उन्होंने बताया की 1990 में गिल्बर्ट मेंडोंसा के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और बीजेपी का गड माने जानेवाले क्षेत्र से 40 वोटों से जीतकर आयी. उसके बाद लगातार चुनाव जीता और जनहित के अनेक कार्यों को पूर्ण किया. वार्ड में लोगों से किये हर वादों को चुनाव जीतने के बाद पूरा करने का प्रयास किया. पालक मंत्री गणेश नाईक द्वारा किये जाते जनता दरबार में पालिका धन की बर्बादी करती थी इसके खिलाफ मुंबई उच्च न्यायलय में पीआइएल कर इसे मनपा परिसर में ही करवाने मैं उच्च न्यायलय में सफलता पायी. मनपा जनता दरबार के नाम पर लगभग 4 करोड रुपये खर्च कर चुकी थी. उच्च न्यायलय के आदेश के बाद यह दरबार मनपा में ही लगने लगा और जनता की गाड़ी कमाई व्यर्थ जाने से बचने लगी. इसके अलावा अनेक कामों के खिलाफ आंदोलन और लोगों की समस्याओं को दूर करवाने मैं सक्रिय रही और यह आज भी जारी हैं.
मुंबई जीपीओ के महाप्रबंधक मंजीतसिंग बाली को दो करोड रुपये की रिश्वत लेते हुए सीबीआय के हाथों रंगे हाथ गिरफ्तार करवाया. नगरसेवक के समय कई लोगों के एडमिशन करवाये तब उनकी समस्या को जाना और 1996 में भायंदर(पश्चिम)के नारायण नगर में निर्मल निकेतन स्कूल की शुरुवात की जो आज मीरा-भायंदर के प्रतिष्ठित स्कूलों मैं. से एक हैं. कोई बच्चा शिक्षा से वंचित न हो इसी उद्देश्य से स्कूल शुरू किया था और प्रयास रहता हैं की आर्थिक परिस्थिति के चलते कोई शिक्षा से दूर न रह जाये. आज भी स्कूल मे 90 प्रतिशत बच्चे स्लम से आते हैं. वे कहती हैं आज महिलाओं की शिक्षा और भ्रूण हत्या के खिलाफ हरेक को खड़ा होना होगा. आज भी बेटियों को पढ़ाने के मममले में लोग सोचते हैं. समाज ही नहीं बल्कि हर क्षेत्र में महिलाये पुरुषों की बराबरी कर रही हैं यह बात लोगों को गले नहीं उतरती हैं. विद्द्यार्थियों में सकारात्मक सोच को बढ़ावा देना होगा. आज अभिभावकों को समय के साथ चलना बहुत जरूरी हैं. हर क्षेत्र में अपडेट रहना जरूरी हैं. पाश्चात्य के साथ युवा वर्ग को भारतीय संस्क्रति के साथ अवगत कराना आवश्यक हैं. पश्चिम देश जिस तरह हमारी अच्छी बातों का अनुसरण कर रहे हैं उसी तरह हमे भी उनकी अच्छाइयों को अपनाना होगा.
माता पिता और दूसरों के प्रति प्रेम अच्छे संस्कारों से ही आयेगा. रीता शाह कहती हैँ की जो समाज ने उन्हें दिया हैं उसे लौटने का वे छोटासा प्रयास कर रही हैं. हर पद को ईमानदारी से निभाया और यही कारण हैं की लोगों ने उन्हें तीन टिंबर नगरसेविका बनाया. जब तक जान और ताकत हैं लोगों के सभी काम करवाने का प्रयास करूंगी और अन्याय के खिलाफ संघर्ष हमेशा जारी रहेगा. 

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