दुनिया को सतयुग की और ले जाना हैं-श्रीमती संतोष अतुल गोयल / रेकी प्रशिक्षक







दुनिया को सतयुग की और ले जाना हैं-श्रीमती संतोष अतुल गोयल / रेकी प्रशिक्षक
युवा उम्र में जहां लोग घूमने फिरने आदि के शौक रखते है ऐसे मे मुंबई में पाली बड़ी और इस महानगर के टॉप टेन कॉलेजों में एक ऐसे एन.एम. कॉलेज में बी. कॉम करने के बाद मुंबई के युवा व्यवसायी अतुल गोयल के साथ विवाह हुआ और गृहस्थी में व्यस्त हो गयी लेकिन जीवन संगी अतुल और ससुराल ने समाज के लिए कुछ करने को प्रोत्साहित किया और आज रेकी प्रशिक्षक के रूप में  आगे बढ़कर इस विद्धा में महारत हासिल करना चाहती हैं. अपने अध्यात्म गुरु नारायण सत्संग परिवार की राजेश्वरी मोदी(राज दीदी) ने दुनिया को सतयुग की और ले जाने का जो सकारात्मक प्रयास कर रही हैं उसके लिए उनके साथ कंधे से कन्धा मिलकर काम कर रही हैं.
रिधकरण पोद्दार के घर जन्मी संतोष को बचपन से ही धर्म के प्रति रूचि रही क्यूंकि परिवार की भगवान के प्रति अपर आस्था थी और इस बात को बल मिला जब उनकी सास ने सत्संग परिवार से जुड़ने को कहा. वे बताती हैं कि 2012 में राज दीदी के संपर्क मैं आयी और तब से निस्चय किया की इस समाज ने हमे जा कुछ दिया हैं उसे समाज को लौटने का हाउ प्रयास करे. वे कहती हैं की स्कूली शिक्षा के बाद अगर करियर को लेकर सही मार्गदर्शन मिला होता तो डॉक्टर होती परन्तु जो होता है अच्छे के लिये होता हैं. दुनिया को सकारात्मक सोच का सन्देश देने लायक मुझे नारायण ने समझा इसलिए शायद डॉक्टरी की पढाई से दूर रखा. उन्होंने बताया की 2012 के सत्संग के बाद दीदी को सुंनंना नियमित हो गया और उन्हें महसूस हुआ की जो विद्धा रेकी के रूप में उन्हें मिल रही हैं उन्हें समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाकर उनकी गुरु ने चले सतयुग की और का जो सपना देखा हैं उसकी साक्षी बने.
 संतोष बताती हे कि रेकी एक जापानी भाषा का शब्द हैं जो रे और की से मिलकर बना हैं. रे का अर्थ हैं सर्वव्यापी और की का मतलब हैं जीवनशक्ति अर्थात रेकी का शाब्दिक अर्थ सर्वव्यापक जीवनशक्ति हैं. वे कहती हैं नारायण रेकी आध्यात्मिक विद्धा हैं. सकारात्मक ऊर्जा को एकत्रित कर उसका उपयोग खुद के लिये और दूसरों पर करना हैं. नारायण रेकी जीवन के हर क्षेत्र में काम करती हैं.
रेकी की प्रसिद्धि का प्रमुख कारण इसका एकदम सरल व असरदार होना हैं. रेकी का प्रयोग व्यक्ति में निहित ऊर्जा के स्टार को नियोजित करने एवं विश्रांति के लिये किया जाता हैं. जिसके परिणाम स्वरुप व्यक्ति अपनेआप को ऊर्जावान महसूस करता हैं और उसके कार्यकुशलता में वृद्धि होती हैं. यह सिर्फ बात ही नहीं इससे मैंने अपनेआप में और परिवार के में भी बदलाव देखा तब इस बात की अनुभूति हुई की जो चीज आप के जीवन को ऊर्जावान बनाने के साथ सकारात्मकता और ले जा रही हैं उसे जनजन तक पहुँचाया जाये.आज वे नियमित इसके क्लास चलाती हैं.वे कहती हैं की रेकी के प्रयोग से व्यक्ति में रचनात्मकता की वृद्धि होती हैं,व्यक्ति तनावमुक्त होता हैं साथ ही साथ उसके आध्यात्मिकता स्टार का विकास होता हैं.रेकी के अभ्यास की विधि इतनी सरल हैं की कोई भी व्यक्ति इसे किसी भी समय पर कर सकता हैं. आज के युग में जहां हम अपनी तनावग्रस्त दिनचर्या को चाहकर भी नियंत्रित नहीं रख पते हमे रेकी उसे सरल एवं असरदार साधन की बहुत सख्त जरुरत हैं.रेकी आपके अंदर की ऊर्जा को हमेशा नियंत्रित रखती हैं.
भारत के कोने कोने में वे रेकी को पहुंचाना चाहती हैं. वे कहती हैं की आज स्कूलों में यह बहुत जरूरी हैं. आज बचपन में उन्होंने यह बातें सीखी होती टी शायद डॉक्टर होती लेकिन डॉक्टर बनने से भी ज्यादा वे रेकी प्रशिक्षक बनकर खुश हैं की आज वे दुनिया तक सकारात्मक व ऊर्जावान रहने का दीदी के मार्गदर्शन में छोटासा प्रयास कर रही हैं. वे अपने जीवन साथी अतुल के बारे में कहती हैं की आज वे जो कुछ भी हैं उनकी बदौलत हैं. हर क्षेत्र में अतुल ने उन्हें प्रोत्साहित किया. उनके कार्यों को देखते हुए राजस्थानी महिला मंडल ने उनको सम्मानित किया था. वे कई सामाजिक संस्थाओं से जुडी हैं साथ ही परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी भलीभांति निभा रही हैं.     
दीपक आर जैन 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्रमण संघीय साधु साध्वियों की चातुर्मास सूची वर्ष 2024

पर्युषण महापर्व के प्रथम पांच कर्तव्य।

तपोवन विद्यालय की हिमांशी दुग्गर प्रथम