महाराष्ट्र के किसानों को सहयोग करेगा पतंजलि योगपीठ-बालकृष्ण महाराज




दीपक आर जैन 
भायंदर- देश की जनता को भूख से बचानेवाले  किसानो की मदद के लिए आगे आयेगा पतंजलि योगपीठ. यह शुरुवात महाराष्ट्र के विदर्भ से होगी. यह जानकारी पतंजलि के न्यासी आचार्य बालकृष्णजी महाराज ने दी. वे भायंदर(पश्चिम)स्थित केशव सृष्टि में वन औषधी शोध संस्थान की और से आयोजित आयुर्वेद सम्मलेन मैं भाग लेने यहाँ आये हैं. बालकृष्ण महाराज ने कहा पतंजलि को लगनेवाली वस्तुओं की खरीदी किसानों से करेगा और उसका मूल्य निर्धारित कर दिया जायेगा. किसानों पर किसी प्रकार का बंधन नहीं रहेगा की उन्हें अपना अनाज हमें ही देना हैं. बाजार में अगर उसे ज्यादा मूल्य मिल रहा हैं तो उसे बेचनी की छूट रहेगी और नहीं बिकने पर वह पतंजलि द्वारा निर्धारित मूल्य पर पतंजलि को बेच सकता हैं.
उन्होंने बताया की हमारा प्रयास हैं की हम किसानो को ज्यादा से ज्यादा अपने साथ कैसे जोड़ सके. उन्हें समृद्ध कैसे बना सके. देश के हर किसान को राजा बनाना हैं. इसकेलिए हम विदर्भ से शुरुवात करेंगे और मैंने इस हेतू अमरावती और नागपुर का दौरा भी कर लिया हैं. बालकृष्णजी ने कहा की आनेवाला समय आयुर्वेद का हैं. आयुर्वेद से एक की नहीं बल्कि कई लोगों की समृद्धि होती हैं.उन्होंने कहा आयुर्वेद को घर घर पहुंचाना हैं. हमारी मल्टिनैशनल कंपनियों से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं हैं.हम पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ काम कर रहे हैं. हम गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं करेंगे. पतंजलि की बदौलत आज आंवला,बेलपत्र जैसी चीजों की खेती होने लगी. आज परिस्थिति ऐसी हैं की स्पर्धा के चलते आंवला जैसी चीजे हमे नहीं मिलती जो किसान की समृद्धि का प्रतिक हैं. उन्होंने कहा की पहले परिस्थिति ऐसी थी की आंवला जैसी चीज के लिए किसान ग्राहकों को ढूंढ़ता था जबकि आज कंपनियां किसानो को इसके लिए ढूंढ रही हैं. उन्होंने बताया की किसानो को बीज  खाद्ध के अलावा हम प्रशिक्षण भी देते हैं. नागपुर में बंद पडी संतरे के कारखाने को भी हम शुरू करेंगे.उन्होंने सस्थान द्वारा आयोजित आरोग्य संजीवनी कार्यक्रम की प्रशंसा की व कहा की आनेवाले समय में केशव सृष्टि के साथ मिलकर काम करेंगे.
इसके पूर्व आयुर्वेद सम्मलेन का उद्घाटन  केंद्रीय आयुष व पर्यटन मंत्री श्रीपाद नाईक,महापौर गीता जैन व आचार्य बालकृष्ण महाराज ने अनेक मान्यवरों की उपस्थिति मैं किया. इस अवसर पर आयुर्वेद चिकित्सक,व्यवसायी व विद्द्यार्थियों को संबोधित करते हुए नाईक ने कहा की आयुर्वेद प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक हैं. हमारा बिगड़ता खानपंसे होनेवाली बिमारियों,मानसिक तनाव आदि से स्वस्थ रहने  के तरीके आयुर्वेद ही बताएगा.उन्होंने कहा की सरे विश्व का ध्यान आज आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली पर हैं. उन्होंने आयुर्वेद की दवा आदि चीजों का उत्पादन करती कंपनियों से निवेदन किया की वे अपने उत्पाद की गुणवत्ता को बनाये रखे. उन्होंने कहा की आयुर्वेद इलाज को विकल्प इलाज के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिये. मीरा-भायंदर महानगरपालिका की महापौर गीता जैन ने आयुर्वेद के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने केंद्रीय मंत्री से निवेदन किया की हर सरकारी अस्पताल में एलोपैथी के साथ साथ आयुर्वेदिक विभाग को भी शुरू करने की अनुमति दी जाये. 
कार्यक्रम मैं केशव सृष्टि वनौषधि स्मरणिका व डॉ. संजय छाजेड़ द्वारा लिखित पुस्तक नाड़ी परीक्षा की दुसरी आवृति का भी विमोचन किया.महाराष्ट्र कॉउंसिल ऑफ़ इंडियन मेडिसीन के प्रशासक श्रीराम सावलीकर ने अपनने संबोधन मैं कहा की आयुर्वेद को हम अपने रोजमर्रा की जिंदगी में जीते हैं. आयुर्वेद को मुख्यधारा से जोड़ने का केशव सृष्टि का प्रयास सरहानीय हैं.इस अवसर पर संघ के सुरेश जैन,प्रो. कुलदीप कोहली,दीनानाथ उपाध्याय सहित अनेक मान्यवर उपस्थित थे.अपने प्रस्ताविक भाषण मैं संशोधन केंद्र के भूषण वाड़े ने बताया की यहां 1100 के आसपास दवाइयों के अलावा अन्य पौधे हैं. संस्थान शीघ्र ही होलिस्टिक हीलिंग सेंटर शुरू करेगा. उपस्थित मेहमानों का स्वागत सुरेश भगेरिया ने किया.
परिषद के दूसरे सत्र में वैद्ध नाना जोशी व बालकृष्ण महाराज ने मार्गदर्शन किया.   

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