महिला रिक्शा चालकों को मिले पुलिस सरंक्षण -क्रिस्टिपिन जोसफ बेप्टिस्टा



भायंदर-शहर से 10 की. मी. दूर उत्तान गांव के रहनेवाले क्रिस्टिपिन जोसफ बेप्टिस्टा पिछले 28 वर्षों से मीरा-भायंदर की सड़को पर रिक्शा चला रहे हैं. उन्होंने जीवन में कई उतार चढ़ाव देखे. शुरू से ही पढ़ने में रूचि काम रही लेकिन बच्चों को वे अच्छी से अच्छी तालीम देना चाहते हैं. वे बताते हैं की स्कूल के समय टर्नर फीटर बनना चाहते थे लेकिन परिवार की जवाबदारी थी और रिक्शा चलने का सफर शुरू हुआ जो आज तक जारी हैं. वे चारों भाई बहन में सबसे बड़े हैं और महिलाऐं आगे बड़े उसके हिमायती हैं. उनके पिता जोसफ ने उत्तान की पहली महिला रिक्शा चालक मसी डिसूज़ा को लाइसेंस दिलाने में पूरी मदद की थी. उन्होंने अपनी बहन मरिया को भी गाड़ी चलने का लाइसेंस दिलवाकर रखा हैं.
क्रिस्टिपिन ने बताया की 1990 में उन्होंने 12 पैसेंजर वाला रिक्शा चलाया परन्तु 2009 में सरकार ने इसे बेन कर दिया और फिर वह छोटा रिक्शा चलने लगे. यह काम आज भी जारी हैं. वे कई सालों तक जनसेवा रिक्शा चालक संघ के सलाहकार रहे. आप के गाड़ी के कागजपत्र बराबर हैं तो पुलिस के परेशान करने का तो सवाल ही नहीं उठता और न ही आपको डरने की आवश्यकता हैं. इसके पहले वो लारी चलते थे लेकिन स्पर्धा बहुत थी और घर का खर्च बड़ी मुश्किल से निकलता था. इसके बाद रिक्शा चलना शुरू किया.यात्रियों के प्रति हम अच्छे रहेंगे तो झगड़ा होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता. पैसेंजर को भी रिक्शावालों की भावनाओं को समझना चाहिए. कईबार बिना मतलब छोटी छोटी बातों पर तकरार हो जाती हैं. चिल्लर की समस्या होने पर ही हम चिल्लर नहीं देते हैं. सरकार आरटीयों में पपरवर्क को कम करे. परमिट आसानी से मिले इसके लिए प्रक्रिया को आसान करना चाहिए. व्यवसाय के साथ सेवा करने में भी पीछे नहीं रहते. आज तक उन्होंने एक्सीडेंट में घायल कई मरीजों को अस्पताल पहुचाया हैं. आज तक उनकी वजह से किसी यात्रिक को तकलीफ नहीं हुई उसे वे अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं.
प्रस्तुति-दीपक आर जैन    

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