मरीज खुद डॉक्टर बनने की कोशिश कर रहे अब-डॉ. रमेश जैन /नगरसेवक
मरीज खुद डॉक्टर बनने की कोशिश कर रहे अब-डॉ. रमेश जैन /नगरसेवक
मीरा-भायंदर के प्रतिष्ठित डॉक्टरों में से एक डॉ रमेश जैन अपने डॉक्टरी पेशे के साथ साथ राजनीति में भी सक्रिय हैं. मूल राजस्थान के पाली जिला के लुणावा गांव के निवासी डॉ जैन 1978 से मरीजों की सेवा में सक्रिय हैं. अपने गांव में 08 वी की पढाई पूरी कर वे वरकाणा जैन हॉस्टल में आ गए. वहां पढ़ने के बाद कॉलेज किया तब इंजीनियर बनने की बहुत इच्छा थी लेकिन अखबार में खबर पड़ी की देश में 20 हजार से ज्यादा इंजीनियरों को नौकरी नहीं हैं तब वे मेडिकल पढाई की और बड़े. संघर्षो के साथ एस एन. मेडिकल कॉलेज में डिग्री लेने के बाद उन्होंने 06 महीने तक हरकिशनदास हॉस्पिटल और बॉम्बे हॉस्पिटल में ट्रेनिंग ली तथा 1981 में भायंदर आ गये जहां उन्होंने राणकपुर क्लिनिक शुरू किया. अपने सेवाभाव और अच्छे व्यवसाय के चलते वे लोगों में बहुत जल्दी मशहूर हो गये. कहते हैं डॉक्टर भगवन का दूसरा रूप होता हैं,यह बात डॉ रमेश जैन पर सटीक बैठती हैं. लोगों की जान बचाने और उन्हें स्वस्थ रखने में उन्होंने कभी दिन देखा न रात.आज भी आधी रात में डॉक्टर की जरुरत पड़ने पर पहला नाम लोगों को उनका ही आता हैं.
डॉ. जैन बताते हैं की सेवा करने की भावना उनमे शुरू से ही हैं और राजनीति करना उन्हें कॉलेज के दिनों से ही अच्छा लगता हैं. उन्होंने कॉलेज प्रेजिडेंट का पहला चुनाव लड़ा था. वे कहते हैँ की मेडिकल एंट्रेंस की परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद बारिश ऐसी हुई की अखबार भी नहीं आ रहे थे तब उनके पिता धरमचन्दजी जैन उनका रिजल्ट बताने लोगो की मदद से तीन नदियां पर कर सिरोही आये थे. सेवा और राजनीति उन्हें पिता से विरासत में मिली हैं. उनके पिता 13 वर्षो तक गांव के सरपंच रहे हैं और अनेक विकास कार्य उन्होंने किये हैं. डॉ. जैन तीसरी बार मीरा-भायंदर में नगरसेवक चुनकर आये हैं.पहले चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज और जैन समाज के नेता शशिकांत शाह को हराया था जिसकी लोगों ने कल्पना भी नहीं की थी. वे स्थायी समिति,बांधकाम,जलापूर्ति आदि समितियों के सदस्य भी रहे हैं.
भायंदर मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे डॉ. जैन कहते हैं की डॉक्टरी डिग्री मिलने के बाद ऊब=उन्हें पहली शपथ किसी भी समय लोगो की सेवा के लिये उपलब्ध रहने की दी जाती हैं जिसे वे अपना कर्त्तव्य समझकर निभा रहे हैं. अब कईबार तबियत के चलते हर मरीज के घर जाना रात में संभव नहीं होता हैं. वे कहते हैं आज मरीज बहुत जागरूक हो गया हैं इसलिए हर समय अपडेट रहना पड़ता हैं. आज ऐसी ऐसी सुविधाये हैं जिसकी जानकारी होना आवशयक हैं. समय के साथ बदलना बहुत जरूरी हैं. स्वास्थ के प्रति अब लोग जागरूक हो गए हैं. मेरा मानना हैं क़ि बीमारियां काम जरूर हुई तो कुछ खत्म भी हुई लेकिन नई बीमारियां भी बहुत बड़ी हैं जिसका सबसे बड़ा कारण मानसिक तनाव और बढ़ती स्पर्धा हैं. इसके चलते लोग बीपी,मधुमेह(Diabetes),हार्ट अटैक जैसी बिमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं.डॉ. जैन बताते हैं की एकबार भायंदर मैं हुए आंदोलन में मरीज को लगी गोली उन्होंने अपने क्लिनिक में ही निकली थी और वो बच गया था यह वाकया आज भी उनके रोंगटे खड़े कर देता हैं.उनकी जागरूकता के चलते देवचंद नगर,जैन मंदिर रोड पर गटर का पानी आता था इसके खिलाफ उठी आवाज ने पालिका प्रशासन को पैपेलिने बदलने को मजबूर कर दिया था. जैन मंदिर रोड नाम के लिए भी उन्होंने संघर्ष किया था. मरीजो मैं जागरूकता आना अच्छी बात हैं लेकिन आज इंटरनेट की वजह से लोग हमसे बहस बहुत करते हैं. जरूरी नहीं इंटरनेट पर आपको जो बताया जा रहा है उसका आप अनुसरण करे. अपनी बिमारी या दवाई के बारे मै इंटरनेट के अनुसार कभी निर्णय न ले. कुछ भी करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले नहीं तो आपकी जान को जोखिम हो सकता हैं.
आज लोगों को एकदिन में रिजल्ट चाहिए जिसके चलते वे डॉक्टर बदलने में भी देर नहीं करते ,जबकि पहले लोग अपने पारिवारिक डॉक्टर की सलाह लिये बिना कोई कदम नहीं उठाते थे. वे कई सामाजिक संगठन जैसे युथ फोरम,प्रताप सेना,आत्म वल्लभ साधर्मिक ट्रस्ट जैसी संस्थाओं से जुड़े हैं. उनकी सेवाओं के लिए भायंदर मेडिकल एसोसिएशन ने उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से तो श्री लुणावा जैन संघ ने भी उन्हें सम्मानित किया हैं. वे कहते हैं की सब्र का फल मीठा होता हैं इस बात को अच्छे से समझे तो जीवन में हमेशा मस्त और तंदुरस्त रहेंगे.
प्रस्तुति-दीपक आर जैन
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