श्री मानदेव सूरीश्वरजी का गुरुमेला व ध्वजारोहण संपन्न

श्री जैन सोश्यल ग्रूप नाड़ोल का कार्यक्रम


नाडोल :- श्री जैन संघ नाड़ोल के तत्वावधान में जन  जन की आस्था के केंद्र परम पूज्य आचार्य श्री मानदेव सूरीश्वरजी म.सा.का गुरुमेला व 23 वां ध्वजारोहण हर्षोल्लास के साथ परम पूज्य पंजाब केसरी आचार्य विजय वल्लभ सूरीश्वरजी म.सा.के दिव्य आशीर्वाद व समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति, शासन प्रभावक पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरीश्वर जी म.सा. के आज्ञानुवर्ती तत्वचिंतक,परम पूज्य आचार्य श्री विजय चिदानंद सूरीश्वरजी म.सा तथा सेवाभावी श्री लक्ष्मीचंद्र विजयजी म.सा.,परम पूज्य प्रशांतमूर्ति तपागच्छाधिपति आचार्य श्री मनोहर कीर्तिसागर व आजीवन गुरुचरणोंपासक ,प्रभावक प्रवचनकार आचार्य श्री उदयकीर्ति सागरसूरीश्वरजी म.सा.के आज्ञानुवर्ती, गुरुकृपा प्राप्त, प्रवचन प्रभावक मुनि श्री विश्वोदयकीर्ति सागरजी (V.K.Guruji) म.सा.,व गोडवाड़ दीपिका साध्वी श्री ललितप्रभा श्रीजी (लहरों म.सा.)की शिष्या साध्वी श्री रातन्यशा श्रीजी म.सा.आदि ठाणा की निश्रा में संपन्न हुआ। 

श्री जैन सोश्यल ग्रूप नाडोल -मुंबई द्वारा आयोजित कार्यक्रम में नाडोलवासियों ने उत्साह से भाग लिया।ग्रुप के अध्यक्ष राजेंद्र मरलेचा ने बताया कि 1200 से ज्यादा लोगों की उपस्थिति ने जिनशासन के इस महामहोत्सव कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए।उन्होंने कहा कि गुरूदेव की असीम कृपा व दानदाताओं के अति उत्साह से गतवर्ष की तुलना में इस वर्ष लगभग दुगने वार्षिक अष्टप्रकारी चढावे प्राप्त हुए । साथ ही चढावे सीमित होने से एक बङा वर्ग इस लाभ से वंचित रह गया।महामहोत्सव मे गांव की बहन-बेटीयों की उपस्थिती भी सोने पे सुहागा की कहावत को चरितार्थ करती हैं।

 मरलेचा ने कहा कि इस गुरुमेला मे आप सभी की उमंग और उत्साह को देखकर, बड़े ही प्रफुल्लित मन से हम भी, आगे इस गुरुमेला को ओर भव्य रूप से मनाने  की पूरी पूरी कोशिश करेंगे।गुरूदेव की असीम कृपा व दानदाताओं के अतिउत्साह से गतवर्ष की तुलना से लगभग दुगने वार्षिक अष्टप्रकारी चढावे प्राप्त हुए साथ ही चढावे सीमित होने से एक बङा वर्ग इस लाभ से वंचित रह गया ।उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आगे भी गुरुभक्तों का इसी तरह सहयोग मिलता रहेगा।




 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्रमण संघीय साधु साध्वियों की चातुर्मास सूची वर्ष 2024

पर्युषण महापर्व के प्रथम पांच कर्तव्य।

तपोवन विद्यालय की हिमांशी दुग्गर प्रथम