संसद के शीतकालीन सत्र में पशु क्रूरता संशोधन बिल लाएं

 जैन संत ने की प्रधानमंत्री से माँग 


क्रूरता पर अभी सिर्फ 50 रुपए पैनल्टी 


उदयपुर : -
जानवरों पर सामने आ रही क्रूरता को देखते हुए श्रमण डॉ. पुष्पेंद्र मुनि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। पत्र में डॉ. पुष्पेंद्र ने पशुओं के प्रति कूरता निवारण अधीनियम 1960 में संशोधन की मांग की है। श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर उनसे कहा है कि संसद के शीतकालीन सत्र में इस कानून में संशोधन के लिए अधीनियम लेकर आएं। 

डॉ. पुष्पेंद्र ने कहा कि पशुओं के हितों की सुरक्षा के लिए इस अधिनियम ने विगत 6 दशकों तक अपने निर्माण के उद्देश्य के अनुरूप कार्य किया है परंतु इस अधिनियम के निर्माण के साथ बनाए गए अन्य अधिनियमों में समय एवं आवश्यकता के अनुसार क्रमिक रूप से परिवर्तन होता रहा है तथा नए नए अधिनियम बनाए जाते रहे हैं परंतु इस अधिनियम में तब से लेकर अब तक कोई भी संशोधन नहीं किया गया है जिसके कारण इसके दंडात्मक प्रावधान पशु हितों की रक्षा करने में अक्षम हो चले हैं तथा पशु क्रूरता रोकने में अपर्याप्त साबित हो रहे हैं । अधिनियम में इस के सृजन के समय पशु क्रूरता अर्थात पशुओं को किसी भी प्रकार से चोट पहुंचाना उनके साथ हिंसा करना उनको लड़ाई के लिए उकसाना अत्याधिक के विरुद्ध ₹ 50 के दंड का प्रावधान किया गया था जो तत्समय जो काफी बड़ी धनराशि थी परंतु ₹ 50 का दंड वर्तमान समय में हास्यपद लगता है , किसी भी जीव को अनावश्यक चोट पहुंचाने से रोकने के लिए जुर्माने की धनराशि इतनी होना आवश्यक है कि चोट पहुंचाने वाला व्यक्ति पशुओं को दोबारा चोट पहुंचाने के पहले एक बार सोचने पर विवश हो जाए तथा दूसरों को इसकी सीख मिल सके । 

डॉ. पुष्पेन्द्र ने सवाल उठाया कि मोदी सरकार काफ़ी नियम - क़ानूनों में संशोधन कर रहे हैं पर इस बिल में काफ़ी समय से माँग की जा रही है तो अहिंसा प्रेमियों की इस माँग पर सरकार इस शीतकालीन सत्र में कानून के संशोधन का बिल लाए। 
डॉ. पुष्पेंद्र ने कहा है कि इस बिल में विशेष रूप से पशु क्रूरता करने पर तय की गई अपराध की सजा के तौर पर पैनल्टी को रिवाइज करने का अनुरोध किया गया है। साथ ही इस अधीनियम के सेक्टर 31 में सेक्शन (11)(1)(a) से (11)(1)(0) और सेक्शन 38 को शामिल करने को कहा गया है। जो अधीनियम के तहत अपराधों की संज्ञानता को पहचानता है

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