52 करोड़ में बनेगा श्रावक-श्राविका आराधना भवन

पांच सौ गुरू भगवंतों के सान्निध्य में 75 दीक्षार्थियों ने ली दीक्षा

बाबूलाल भंसाली के स्वर्णिम इतिहास में जुड़ा एक और अध्याय


सूरत:-
 धार्मिकता के इतिहास में नित नए अध्याय जुड़ते हैं और नित नए भामाशाहों के समाज एवं धर्म के कार्यों में जुटते देखते हैं। परतु हाड़ेचा के मूल निवासी बाबूलाल भंसाली वो शख्स हैं, जो अपने सद्कर्मों से भविष्य का आंकलन करते हुए वर्तमान के कर्तव्यों को पूरा करते हुए इतिहास बनाने के लिए सुनहरे पन्ने तह-दर-तह अंकित करते ही जा रहे हैं। सूरत के दीक्षा विधि समारोह के दौरान अहमदाबाद के मादल पुर- पालड़ी स्थित श्री शांतिजिन जैन संघ, मादलपुर- पालड़ी में निर्माणाधीन श्रावक-श्राविका आराधना भवन के संपूर्ण निर्माण की जिम्मेदारी हाड़ेचा निवासी बाबूलाल मिश्रीमल भंसाली परिवार ने ली है। इस भव्य आराधना भवन के निर्माण को 52 करोड़ रुपए देने की घोषणा बाबूलाल भंसाली ने की है। इस श्रीशांतिजिन जैनसंघ में 51 करोड़ की लागत से श्रावक-श्राविका आराधना भवन बनकर तैयार होगा, जबकि भंसाली परिवार ने एक करोड़ आठ लाख की राशि रेखा कानुंगो की दीक्षा निमित्त में भोजनशाला के लाभार्थ प्रदान करने की घोषणा की है। गुजरात के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष समेत कई महानुभावों ने मुमुक्षुओं का भव्य स्वागत किया।


पांच सौ गुरू भगवंतों का मिला आशीर्वाद

सूरत नगरी में त्याग धर्म का महान इतिहास सोमवार को तब लिखा गया, जब वेसू स्थित अध्यात्मनगरी में आचार्य योगतिलक सूरीश्वर म.सा.सहित पांच सौ से ज्यादा गुरु भगवंतों के सान्निध्य में 75 दीक्षार्थियों ने सांसारिक वेस का त्याग कर संयम पंथ की और प्रयाण किया।करीब आठ घंटे तक चले दीक्षा विधि समारोह के 40 हजार से ज्यादा श्रद्धालु साक्षी बने। उल्लेखनीय है कि 2 हजार 590 वर्ष पूर्व कार्तिक कृष्णपक्ष दशमी के दिन ही भगवान महावीर स्वामी ने दीक्षा ग्रहण की थी। पांच दिवसीय सिंह सत्वोत्सव के आयोजक श्रीशांतिकनक श्रमणोपासक ट्रस्ट अध्यात्म परिवार ने बताया कि सूरीरामचंद्र तथा सूरीशांतिचंद्र समुदाय के मोटासाहेब की गुरुमूर्ति, जैनाचार्य मुक्तिप्रभ सूरीश्वर महाराज, 75 दीक्षार्थियों के रचियता जैनाचार्य योगतिलक सुरीश्वर महाराज, तपोरत्न सूरीश्वर महाराज समेत आचार्य, उपाध्याय, पन्यास, गणि, श्रमण-श्रमणी भगवंतों की उपस्थिति में वेसू स्थित अध्यात्मनगरी के पंडाल में दीक्षा विधि समारोह की शुरुआत सोमवार तडक़े में हुई।


इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल,गृहमंत्री हर्ष संघवी सहित अनेक राजनैतिक,सामाजिक,धार्मिक क्षेत्रों के लोग उपस्थित थे। इससे पूर्व सभी श्रद्धालुओं ने सूरत में रचे दीक्षा इतिहास का साक्षी बनने के लिए अपनी जगह पहले ही सुनिश्चित कर ली थी। तडक़े 4 बजकर 41 मिनट पर गुरु भगवंतों व मुमुक्षुओं के पंडाल में प्रवेश के साथ दीक्षा विधि कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। समारोह में बारी-बारी से मुमुक्षुओं को गुरु भगवंतों ने रजोहरण प्रदान किए और वे उन्हें पाकर हर्षविभोर होकर झूमते हुए चले। इस अवसर पर जैनाचार्य योगतिलक सूरीश्वर महाराज ने कहा कि जब तक संसार पूरी तरह से नहीं छूटता है, तब तक अहंकार व आकर्षण ही संसार के सभी दुखों का मूल है। इन सभी दीक्षार्थियों ने अहंकार व आकर्षण को स्वयं से दूर रखकर सच्चे सुख की प्राह्रिश्वत की जिज्ञासा जताई और आज वे उस रोडमेप पर पहुंच गए हैं। रजोहरण प्रदान के कुछ समय बाद सभी दीक्षार्थी पंडाल में धवल वेश में आए और हजारों श्रद्धालुओं ने उनकी अक्षत से अगवानी की। दीक्षा विधि समारोह का संचालन रविंद्र शाह व दिनेशभाई ने की।


दीक्षाविधि समारोह के आकर्षण

> आठ परिवार के सभी सदस्यों ने पकड़ी वैराग्य की राह

> चार सगे भाई-बहन और नौ इकलौते पुत्र

> सीए, डाक्टर, इंजीनियर, सीएस, बीई, स्पोट्र्स ह्रश्वलेयर समेत 15 उच्च डिग्रीधारी

> 7 से 70 वर्ष की उम्र के दीक्षार्थियों में 70 प्रतिशत युवा

> सूरत के 32, मुंबई के 29 व अहमदाबाद के 4 दीक्षार्थी

> 15 करोड़पति दीक्षार्थी

> वर्षीदान की डेढ़ किमी लंबी यात्रा

> बाल वार्ता की 60 हजार पुस्तकें वितरित

> 40 हजार सरकारी कर्मचारियों में मिठाई वितरण

> 10 हजार जरूरतमंदों को अनुकंपा किट वितरित

> 10 हजार श्रद्धालुओं में शक्कर वितरण

> सूरत के संघों का स्वामी वात्सल्य, 30 हजार ने की सामूहिक भक्ति

> संयम एक्सप्रेस, शौर्यगाधा, संसार चक्र व जिनालय

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