भगवान महावीर के प्रथम चातुर्मास स्थल अस्थि ग्राम में चरण पादुका जिनालय का जीर्णोद्धार प्रारम्भ

2590 साल पुराना स्थल है यह


जोधपुर :- श्री
कल्पसूत्र में वर्णन आता है कि प्रभु महावीर ने दीक्षा लेकर अस्थि ग्राम में प्रथम चातुर्मास किया साथ ही वहां शूलपाणि यक्ष के उपद्रव को शांत करके उसे प्रतिबोधित किया।आज वही अस्थि ग्राम नागौर - जोधपुर रोड़ पर खींवसर गांव के नाम से जाना जाता है ।

इस गांव में तालाब के किनारे शूलपाणि यक्ष की जगह पर आज भी भगवान महावीर के अति प्राचीन चरण विराजमान हैं । सारा गांव उस स्थान की पूजा - मान्यता करता है । करीब 2590 वर्ष पूर्व प्रभु महावीर यहां पधारे थे । इस ऐतिहासिक स्थान को विकसित करने तथा महातीर्थ के रुप में प्रगट करने के लिए पंजाब केसरी आचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ सूरि समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति कल्याणक तीर्थोद्धारक पूज्य आचार्य श्री विजय नित्यानंद सूरीश्वरजी म. सा. ने मंदिरमार्गी ट्रस्ट नागौर को प्रेरित किया ।मंदिरमार्गी ट्रस्ट ने तपागच्छ को खींवसर गांव के राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ी हुई 6 बीघा भूमि तीर्थ निर्माण के लिए दी।  

8 दिसंबर 2021 को पूज्य गच्छाधिपति आचार्य भगवंतअपने साधु साध्वीवृन्द के साथ नागौर से खींवसर पधारे तथा ट्रस्ट द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुसार यहां पर तीर्थोद्धार का कार्य शान्तिदूत गच्छाधिपति जी की निश्रा व मार्गदर्शन में प्रारम्भ करवाने हेतु भव्य कार्यक्रम आयोजित किया। शुभमुहूर्त में राष्ट्रीय राजमार्ग से संलग्न भूमि पर गुरुदेव ने शासन रत्न अशोक कुमार समदड़िया के करकमलों से भूमिशुद्धि विधान सम्पन्न करवाया । 

वहां से फिर खींवसर गांव में पधारे जहां सबसे पहले गुरुदेव का स्वागत खींवसर किले में रानी साहिबा ने किया और तीर्थोद्धार शुभारंभ पर प्रसन्नता व्यक्त की । उन्होंने अपने हाथों से गुरुदेव को पात्रे में गोचरी भी वोहराई ।उसके बाद स्थानीय निवासियों ने बैंड बाजों के साथ प्रवेश करवाया । सबसे पहले अति प्राचीन जैन मंदिर उपाश्रय में प्रभु के दर्शन वन्दन किये और आस पास की मन्दिर स्वामित्व वाली जमीनों का अवलोकन किया । इसके बाद गांव के सरपंच  चंपालाल देवड़ा के घर पधारे और फिर सभी गांव के बाहर तालाब के किनारे बने हुए भगवान महावीर के प्रथम चातुर्मास स्थल व शूलपाणि यक्ष प्रतिबोध स्थल पर बने हुए चरण पादुका जिनालय की ओर पहूंचे। 

गांव का जन जन वहां पहले से ही उपस्थित था । प्रभु की साधना व तपोभूमि के दर्शन वन्दन के बाद विशाल मंडप में धर्मसभा का शुभारंभ हुआ । ट्रस्ट द्वारा गांव के सरपंच , तहसीलदार , पार्षद , नागौर के सभापति , पुजारी आदि के बहुमान किये गए । इस कार्य के लिए वर्षों से दिन रात एक करने वाले नागौर श्री संघ के कर्मठ कार्यकर्ता धरेंद्र समदड़िया , अभय समदड़िया , राजू चौरड़िया का बहुमान किया गया ।  

जीर्णोद्धार हेतु भूमिपूजन खनन करने पधारे शासन रत्न अशोक समदड़िया को गुरुदेव ने कहा कि इस स्थान पर आज आप जीर्णोद्धार कार्य का शुभ मुहूर्त करेंगे तो हमारी भावना है पूर्णता भी आपके हाथों से ही हो । यहां निर्मित होने वाले जिनालय निर्माण का सम्पूर्ण लाभ आपको ग्रहण करना है । उन्होंने तत्क्षण गुरुदेव के समक्ष मस्तक झुका दिया तथा इसे अपना बहुत बड़ा सौभाग्य मान कर गुरुदेव के प्रति आभार व्यक्त किया । ट्रस्ट ने उनका भी भव्य बहुमान किया । 

मुनि श्री मोक्षानंद विजय जी म. ने प्रवचन में इस अतिशयकारी स्थान के प्रभाव के साथ साथ प्रभु महावीर के जीवन प्रसंगों को भी वर्णित किया ।जिनशासन के इतिहास में स्वर्णाक्षरों से लिखा जाने वाले इस तीर्थोद्धार के कार्य के प्रणेता पूज्य गच्छाधिपति जी ने भी प्रासंगिक उद्बोधन दिया ।जैन समाज के निवेदन पर सरपंच जी ने गांव का एक बड़ा प्रवेश द्वार निर्माण व भगवान महावीर मार्ग नामकरण करने की स्वीकृति प्रदान की ।

धर्मसभा के बाद प्राचीन मन्दिर के स्थान पर शासन रत्न अशोक  समदड़िया के करकमलों से मंत्रोच्चारपूर्वक जीर्णोद्धार का कार्य प्रारंभ किया गया । विधि विधान नितेश विधिकारक द्वारा सम्पन्न करवाये गए ।कार्यक्रम के दौरान भगवान महावीर के जयजयकारों के साथ सभी ने अपनी श्रद्धायुक्त हर्ष की अभिव्यक्ति की ।

इस अवसर पर तहसीलदार  रुघा राम जी सेन, घनश्याम जी देवड़ा , महावीर बांठिया अध्यक्ष तपागच्छ श्रीसंघ नागौर,मंदिरमार्गी ट्रस्ट के, अध्यक्ष  धरेंद्र समदड़िया , ट्रस्टी  बलवंत खजांची , सूरजमल बैंगानी सचिव राजेन्द्र कटारिया ,  दलपत चोरडिया , तपागच्छ संघ के सुरेश चौधरी , महेंद्र दुग्गड़ , गौतम चोरडिया , पार्षद नवरत्न बोथरा ,पार्षद यतिराज जी ,हरकचंद ,बादलचन्द चोरडिया  ,नागरमजी , सागर मल जी , प्रदीप बिनायकिया , पुसाराम आचार्य,गणपत माली, माली ओमप्रकाश देवड़ा ,उम्मेद सिंह राठौड़ ,जगदीश राठी आदि विशेष ग्रामीणजनों की सम्माननीय उपस्थिति रही ।


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