करुणा के अभाव में मनुष्य मृत के समान है :- पुलक़ सागर
दया के अभाव मे मोह का ताला खुलता नही
अभिषेक जैन लुहाडीया / रामगंजमंडी
बांसवाड़ा :- आचार्य श्री पुलक़ सागर जी महाराज ने कहा कि करुणा ह्रदय का स्पंदन है, दिल की धड़कन है। ह्रदय के अभाव मे मनुष्य मृत है। वीणा में संगीत उसके तारो में पैदा होता है और मनुष्य के अंदर संगीत करुणा के तारों से पैदा होता है। जिस जीवन के पास से ह्रदय खो जाता है वह जीवन क्षीण हो जाता है,फिर उसके पास जो भी सत्य है, जो भी श्रेष्ट है जो भी उत्तम है वह सब मर जाता है। अगर आप चाहते है कि आपके जीवन में परमात्मा रूपी कोई संगीत पैदा हो सत्यम शिवम सुंदरम जीवन में प्रविष्ट हो तो बिना करुणा के तारों को वापस संजोए और कोई रास्ता नहीं है।
उन्होंने कहा करुणा के अभाव में परम परमात्मा का द्वार नही मिलता। करुणा के अभाव मे मोह का ताला खुलता नही। करुणा मन्त्र है ह्रदय की वीणा को संगीत पूर्ण बनाने का। अगर हम करुणा को भली भांति जानते है तो जीवन में कुछ और जानना शेष नही रह जाता।
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