अजैनों के मन में जैन साध्वाचार का सम्मान!

अज्ञान के इस युग में भी साध्वाचार की महिमा अपरंपार है.

प्रभु तुज शासन की बलिहारी !

आचार्य विमलसागर सूरीश्वरजी म.सा.


• जैन धर्म के साधु-साध्वियों का आदर-बहुमान हर काल में रहा है. आचार भ्रष्टता, अविनय, अवज्ञा, अपराध, अकुलीनता और अज्ञान के इस युग में भी साध्वाचार की महिमा अपरंपार है.

• सोमवार को विहार कर प्रातः करीब 11.00 बजे जैसे ही हम कोयम्बतूर के Gem Hospital पहुंचे. यहां के मालिक और सुप्रसिद्ध मुख्य Dr. Palanivelu सारे काम छोड़कर स्वागत करने के लिए अस्पताल के बाहर आये. डॉक्टरों, नर्सों, कर्मचारियों और अन्य लोगों की भीड़ ये देखकर आश्चर्यचकित थीं. 

सबके सामने Dr. Palanivelu ने कहा कि मैं संतों से बड़ा नहीं हूं. मेरी सफलता ऐसे संतों के आशीर्वाद का प्रतिफल है. जब ये साधु हजारों किलोमीटर चलकर यहां पहुंचते हैं तो 100-200 कदम चलकर इनकी अगवानी करना मेरा धर्म है. हम सबको और हमारे मरीजों को इनके आशीर्वाद मिलेंगे.

• चौथी मंजिल पर जाने के लिए Dr. Palanivelu हमें Lift तक ले गये. हमने उनसे कहा कि हम सीढियां चढ़कर पहुंचेंगे तो बड़े अदब से उन्होंने प्रत्युत्तर दिया : आईये ! मैं भी आपके साथ सीढ़ियों से ही चलता हूं !

उन्होंने अस्वस्थ बालमुनि के लिए अस्पताल में सब विशेष व्यवस्थाएं की हैं. हाउसकीपर, नर्स, डॉक्टर...कोई महिला नहीं, सब पुरुष नियुक्त किये हैं. किसी भी टेस्टिंग में सचित जल नहीं, काल के अनुसार अपने ले जाये गये अचित जल का उपयोग किया जा रहा है.

• यहां खाने-पीने की कोई सामग्री बाहर से लायी नहीं जा सकती, लेकिन हमारी गोचरी के लिये उन्होंने विशेष अनुमति दी है.

• भाषा की समस्या को दूर करते हुए उन्होंने यहां हिन्दी भाषी डॉक्टरों को सेवा में नियुक्त किया है.

पूरे अस्पताल के डॉक्टरों व कर्मचारियों का दर्शन-वंदन के लिए तांता लगा है. रात्रि के समय तो अलग-अलग क्षेत्रों के अनेक डॉक्टर एकत्रित होते हैं और बाकायदा धर्म, राष्ट्र व संस्कृति पर अस्पताल में प्रवचन होते हैं.

• घर के सदस्य की तरह सरलता पूर्वक Dr. Palanivelu दिन में तीन बार देखभाल करने आते हैं और काफी समय बैठकर सहजता से बातें करते हैं.

• इसका मतलब है कि सरलता, सहजता और निरभिमानता सफलता के सूत्र हैं. जो लोग ये मानते हैं कि हम बहुत बड़े हैं, वे दरअसल बहुत छोटे होते हैं और जो ये मानते हैं कि हम तो छोटे हैं, वे ही बहुत बड़े होते हैं !

(Nayi Soch, Sahi Disha की प्रस्तुति)

कहीं धन की दीवानगी,

कहीं काम की दीवानगी !

• दुनिया में कुछ लोग सिर्फ दाम कमाने के लिये ही काम करते हैं, लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो अपने काम से नाम कमाते हैं और काम का अनुचित दाम नहीं वसूलते हैं. ऐसे लोगों को दुनिया हमेशा याद रखती है.

आज का चिकित्सा जगत् लोगों को जिंदगी भी देता है और जीते जी मौत भी ! काफी महंगा और भ्रष्ट हो चुका है ये पेशा !

इन सबके बीच, दक्षिण भारत में, विशेषकर तमिलनाडु में छोटे-छोटे स्थानों पर ऐसे अनेक विशेषज्ञ डॉक्टर बैठे हैं, जो बड़े-बड़े महानगरों में भी देखने को नहीं मिलते. अपने प्रवास के दौरान् कोयम्बतूर में हमने यह अनुभव किया.

• एक हड्डियों के विशेषज्ञ डॉक्टर राज शेखरन (गंगा हॉस्पिटल) और दूसरे पेट के विशेषज्ञ डॉक्टर पलनिवेलु (जेम हॉस्पिटल)

दोनों छोटे घर से बड़े बनें,

• दोनों ने खूब संघर्ष किया,

• आज दोनों का विश्वभर में नाम,

• दोनों का जोरदार काम, फिर भी

• दोनों के काफी कम दाम !


• उन लोगों के लिए यह प्रेरणा है जो सिर्फ धन के दीवाने हैं. हकीकत में तो मनुष्य को काम का दीवाना बनना होता है !

(Nayi Soch, Sahi Disha की प्रस्तुति)


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