क्रोध से बचने के लिए हर परिस्थिति का सामना शान्तिं से करे :- कुंथु सागर
आत्म निरीक्षण करे
अभिषेक जैन / लुहाडीया रामगंजमंडी
सागर (मध्यप्रदेश ) :- मुनि श्री कुंथुसागर जी महाराज ने कहा व्यक्तित्व के विकास में अवरोधक बनता है तो क्रोध बनता है। क्रोध से व्यक्तित्व का हास होता है। क्योंकि क्रोध घर परिवार जीवन को नरक बना देता है। उन्होंने कहा व्यक्तित्व विकास तो स्वर्ग की और ले जाने वाला है। आशय स्पष्ठ करते कहा जहां सह्रदयता,प्रेम, वात्सलय, क्षमा दया हो। यह अपने आप में व्यक्तित्व विकास के महत्वपूर्ण तत्व होते है। क्रोध क्या है यह जानना आवश्यक है।
क्रोध का अर्थ है प्रतिकूल स्थिति में आने वाला आवेग। जब हमारे जीवन मे प्रतिकूल परिस्थिति बनती है तो आवेग आ जाता है उसे क्रोध कहते है। इससे बचना बहुत जरूरी है।इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है प्रतिकूल परिस्थितियो मे मनः स्थिति को एक साथ बनाए रखे। जिसकी मन की स्थिति एक सी बनी रहती है। वह क्रोध का निमित्त बनता है तो अविरल रूप से बच जाता है। अतः प्रत्येक परिस्थिति का सामना शान्तिपूर्वक ढंग से करे। दूसरा उपाय आत्म निरीक्षण करे। और विचार करे क्रोध करने से हमारे लिए क्या लाभ है? क्या हानि है। कुछ लॉग कहते है क्रोध करने से हमारा काम बन जाता है। लेकिन मैं कहता हूं पुण्य की वजह से हमारा काम बनता है।
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