गुरु वल्लभ का आध्यत्मिक जीवन उच्च कोटि का था:-नित्यानंदसूरी
गुरु वल्लभ की 66वीं पुण्यतिथि पर देश भर में हुए आयोजन
जैतपुरा (पाली) :- सो वर्ष पहले जिस धर्म गुरु ने भारत में शिक्षा , संस्कार , नारी उत्कर्ष , साधर्मिक उत्थान , साहित्य प्रकाशन , स्वदेश प्रेम , व्यसनमुक्ति जैसे क्षेत्रों में ठोस कार्य करके भारत के गौरव को सुरक्षित रखने में अपने जीवन की बाजी लगा थी , वह थे जैनाचार्य श्री विजय वल्लभ सूरीश्वर जी महाराज ।
भारत विभाजन के समय पाकिस्तान से सकल जैन समाज को अपने साथ सुरक्षित लाने वाले जैनाचार्य ने देशभर में भगवान महावीर के अहिंसा , सत्य , अनेकांत तथा अपरिग्रह आदि सिद्धान्तों को प्रस्थापित किया ।
उपरोक्त विचार विजय वल्लभ साधना केंद्र , जैतपुरा तीर्थ में चातुर्मास हेतु विराजमान गच्छाधिपति जैनाचार्य श्री विजय नित्यानंद सूरि जी महाराज ने वल्लभ वाटिका फेस बुक पेज पर आयोजित ऑनलाइन धर्मसभा कार्यक्रम में व्यक्त किये ।
उन्होंने बताया कि गुजराती होते हुए भी गुरुदेव ने जीवन भर हिंदी भाषा को अपनाया तथा खादी के वस्त्र धारण किये ।
रुखे सूखे मरुधर में करीब सौ वर्ष पहले उन्होंने वरकाणा , फालना , उम्मेदपुर , सादड़ी , खुडाला , गुंदोज आदि में स्कूल , कालेज , पाठशालाएं स्थापित करके शिक्षा तथा संस्कारों की गंगा प्रवाहित की । इसी तरह पंजाब , हरियाणा , गुजरात और महाराष्ट्र में भी शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की । 106 वर्ष पुरानी श्री महावीर जैन विद्यालय संस्था तो इन सभी संस्थाओं की सिरमौर संस्था है ।जम्मू कश्मीर , हरियाणा , उत्तर प्रदेश , दिल्ली , पंजाब , राजस्थान , मध्य प्रदेश , गुजरात , सौराष्ट्र तथा महाराष्ट्र आदि प्रान्तों में उन्होंने लगातार 67 वर्षों तक पैदल विचरण करके जैन शासन की सेवा करते हुए लोकोपकार के अगणित कार्य किये । हर धर्म , जाति , सम्प्रदाय , वर्ण , वर्ग के लोग उनके भक्त थे । जैन विश्व विद्यालय स्थापित करने की उनकी अंतिम भावना को पूरा करने के लिए हम आज भी प्रयासरत हैं । गच्छाधिपति जी ने कहा कि गुरुदेव का आध्यात्मिक जीवन बड़ा उच्च कोटि का था । उन्होंने जीवन में अनेक ग्रन्थों के निर्माण के साथ साथ हजारों स्तवनों , पूजाओं , तथा छंद काव्यों की रचनाएं की । साधु जीवन के नियमों का बड़ी कठोरता से पालन करते थे । उनके प्रवचनों में दस - दस हजार की जनमेदिनी एकत्रित होती थी ।
गोडवाड़ भूषण आचार्य श्री जयानंद सूरि जी म.ने कहा कि गुरु वल्लभ अपने सद्गुणों के कारण लोक वल्लभ बन गए ।
आचार्य श्री चिदानंद सूरि जी म.ने कहा कि उनका बाह्य जीवन जितना प्रेरक और आकर्षक है उससे भी कई गुना ज्यादा उनका आंतरिक जीवन प्रभावक और प्रबोधक है ।
पंन्यास श्री धर्मशील विजय जी म. , गणि श्री जयकीर्ति विजय जी म. , मुनि श्री मोक्षानंद विजय जी म. ,मुनि श्री श्रुतानंद विजय जी म. , साध्वी सिद्ध प्रज्ञा श्री जी म. , साध्वी दर्शन प्रज्ञा श्री जी म. ने भी गुरु वल्लभ के परोपकारपूर्ण जीवन का गुणगान किया ।
विद्वान राघव प्रसाद जी पांडेय रानी स्टेशन तथा शम्बू दयाल जी पांडेय जोधपुर ने भी कहा कि बीसवीं शताब्दी में हुए इस सन्त शिरोमणि ने विश्व शांति तथा प्राणी मात्र के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया था ।
कार्यक्रम के प्रारंभ में साधना केंद्र के अध्यक्ष घीसूलाल सुराणा , कोषाध्यक्ष महेंद्र मेहता , नागपुर से पधारे फतहचन्द कोठारी , राघव पांडेय , शम्भू पांडेय खीमजी कोठारी , जागृत कोठारी , नितेश विधिकार आदि गुरु भक्तों ने गुरु मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया और 66 दीपक प्रगट किये गए ।
मुनि श्री मोक्षानन्द विजय जी म. ने बताया कि देशभर में आज इस पुण्य दिवस को दीपोत्सव पर्व के रुप मे मनाया जाता है । साधना केंद्र में गुरु वल्लभ अष्ट प्रकारी पूजा का भी आयोजन किया गया । वल्लभ वाटिका एडमिन टीम अमित जैन अम्बाला,हिमांशु जैन दिल्ली , श्रीमती अनुदीपक जैन जयपुर तथा पीयूष जैन नकोदर वालों के अथक परिश्रम से देश के विभिन्न प्रान्तों में चातुर्मास समुदावर्ती अनेक साधु साध्वी जी महाराज के गुणानुवाद प्रवचनों का प्रसारण भी ऑनलाइन किया गया और रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रम "एक शाम गुरु वल्लभ के नाम" का आयोजन किया गया । देश विदेश में रहने वाले हजारों श्रद्धालुओं ने घर बैठे गुरु भगवन्तों के श्रीमुख से गुणानुवाद का श्रवण किया ।
गच्छाधिपति आचार्य श्री की प्रेरणा से विजय वल्लभ स्मारक दिल्ली संस्था द्वारा जैन साधर्मिक परिवारों तथा जरूरतमंद छात्रों को आर्थिक सहयोग देकर स्वावलंबी बनाने की योजना का शुभारंभ किया गया ।
गच्छाधिपति आचार्य श्री ने यह भी बताया कि गुरु वल्लभ के 150वें जन्म वर्ष के प्रसंग पर विजय वल्लभ साधना केंद्र, जैतपुरा में भाई दूज के आस पास गुरु वल्लभ की धातु से निर्मित 151 इंच की विशाल मूर्ति स्थापित की जाएगी ।
भायंदर में पंजाब केसरी विजय वल्लभसूरी श्वरजी म.सा. की 66 वी पुण्यतिथि पर सामाजिक संगठन युथ फोरम द्वारा गच्छाधिपति आचार्य श्री विजय नित्यानंद सूरीश्वरजी म.सा.की प्रेरणा से 66 मोतियाबिंद ऑपरेशन व 66 परिवरों को अनाजदान का संकल्प लिया गया.संस्था की और से आनंदवन आश्रम के दिव्यांग बच्चों के लिये व्हीलचेयर दी गई.♈ वल्लभ वाटिका♈
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें