सन्यास की राह पर बढ़ने के लिए ब्रह्मचर्य मय जीवन जरूरी :- पुलक सागर जी

 शरीर मे ऊर्जा का स्रोत नाभि से होता है।

बांसवाड़ा :- आचार्य श्री पुलक सागर जी महाराज ने कहा व्यक्ति के शरीर मे ऊर्जा का स्रोत नाभि से होता है। वासना से ऊर्जा नीचे की और साधना से ऊर्जा ऊपर की और प्रभावित होती है। ब्रहचर्य की साधना बड़ी ही कठिन साधना होती है। मोक्षमहल की अंतिम  मंज़िल ब्रहचार्य होती है। ब्रह्म का नाम है "आत्मा का आत्मरमण"  आत्मलीनता, आत्मचर्या मे जीना ही ब्रह्मचर्य है। काम से पैदा होकर राम मे जीवन जीना ही मानव जीवन ही उत्कृष्ट सफलता होती है। आचार्य जी ने कहा तुम कमल की तरह जीवन जिओ कमल पैदा तो कीचड़ में होता है, लेकिन वह कीचड़ से ऊपर उठकर स्वच्छता का जीवन जीता है, तुम भी संसार से विषय वासनाओं के बीच रहते हुए निर्विकार और ब्रह्मचर्य धर्म को अपनाते हुए परमात्मा को पाने का निरन्तर प्रयास करते रहो। यह मानव जीवन भोग के लिए नही आत्मकल्याण के लिए मिला है। 

अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी

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