दो तरह के कैंसर को मात दी बुजुर्ग ने
80 साल के बुढे, या 80 साल के जवान ?
डॉ हितेश सिंघवी ने दी नई जिंदगी
मुंबई :- एक 80 वर्षीय दादा के गाल के अंदर के हिस्से में अल्सर होने के कारण उन्हें दो तरह के कैंसर का पता चला था, जो कई दिनों के बाद भी ठीक नहीं हुआ। लेकिन, दादा बुढ़ापे में भी इस गंभीर बीमारी से जिंदगी-मौत के संघर्ष में दोनों तरह के कैंसर पर काबू पाने में सफल रहे हैं। पिछले 10 सालों से हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और मधुमेह से पीड़ित पवई के 80 वर्षीय शांताराम मिरगल के अल्सर से पीड़ित होने का पता चला।डॉक्टरी जांच के बाद पता चला कि अल्सर कैंसर है।इसके बाद अन्य जांच में टॉन्सिल पर एक गांठ का पता चला था। इसका बायोप्सी किया गया तो टॉन्सिल में भी कैंसर होने का पता चला।
एक ही समय मे मिरगल को ओरल कैविटी कैंसर और टॉन्सिल कैंसर का जांच में आया। कैंसर की इस स्थिति को सिंक्रोनस कैंसर भी कहा जाता है। इस कैंसर की स्थिति में सर्जरी और रेडिएशन के बाद जीवित रहने की उम्मीद लगभग 40-50 प्रतिशत रहती है।
फोर्टिस अस्पताल के सिर और गर्दन के ओंकोसर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ हितेश सिंघवी ने कहा कि इस रोगी के उपचार में, सर्जरी के माध्यम से अल्सर को निकालने का निर्णय लिया गया और टॉन्सिल के ट्यूमर के लिए रेडिएशन चिकित्सा के निर्णय को अंतिम रूप दिया गया। इस मरीज की 12 नवंबर को सर्जरी हुई, मरीज को 16 नवंबर को घर भेजा गया और उनकी हालत स्थिर है, और उनपर रेडिएशन थेरेपी चल रही हैं।
डॉ सिंघवी कहते है कि यह कैंसर तंबाकू खाने की आदत से होता है। मुंह में अक्सर छाले हो जाते हैं और मुंह खोलना मुश्किल हो जाता है। इसके साथ ही मुंह के अंदरूनी हिस्से में लाल और सफेद धब्बे दिखाई देने लगते हैं। गले में या गालों के अंदर घाव विकसित हो जाते हैं और मुंह का कैंसर शरीर में बस जाता है। आमतौर पर कैंसर को दूर करने के लिए सर्जरी को प्राथमिकता दी जाती है। सर्जरी से गाल का कैंसर खत्म हो गया है। इन घावों के ठीक हो जाने के बाद, कैंसर के वायरस को शरीर में दोबारा फैलने से रोकने के लिए उपचार की आवश्यकता होती है। बीमारी के ट्रीटमेंट का आगे भी उन्हें अच्छे से ध्यान रखना होगा ताकि वो पुरी तरह ठीक हो सके।
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