पश्चिम रेलवे द्वारा मानसून पूर्व तैयारी का कार्य पूरे जोरों पर

पश्चिम रेलवे और मध्‍य रेल की मानसून तैयारियों की समीक्षा की

मुंबई - पश्चिम रेलवे यांत्रिक, सिगनलिंग, विद्युत संपत्ति और उपकरण आदि के समुचित रख-रखाव एवं मरम्‍मत के साथ ही मुंबई के मानसून का सामना करने के लिए मिशन मोड पर विभिन्न प्री-मानसून तैयारी के कार्य कर रही है। साथ ही पश्चिम रेलवे एवं मध्य रेल के महाप्रबंधक अनिल कुमार लाहोटी ने आगामी मानसून के दौरान सुचारू और व्यवधान मुक्त सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए हाल ही में पश्चिम रेलवे और मध्‍य रेल की मानसून तैयारियों की समीक्षा की। बैठक में मुंबई के दोनों मंडलों के मंडल रेल प्रबंधकों और प्रमुख विभागाध्‍यक्षों ने भाग लिया। मुंबई के दोनों मंडलों के वरिष्ठ अधिकारियों ने संबंधित रेलवे द्वारा की गई मानसून की तैयारियों पर प्रजेंटेशन प्रस्‍तुत कीं।

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुमित ठाकुर द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार आगामी मानसून के दौरान सुचारू और व्यवधान मुक्त सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए पश्चिम रेलवे ने नालों और नालियों की सफाई तथा गाद निकालने, पटरियों के किनारे कीचड़ और कचरा साफ करने, अतिरिक्त जलमार्गों का निर्माण, उच्च शक्ति पंपों की स्थापना, पेड़ों की छटाई आदि जैसी प्री-मानसून तैयारियों के साथ कमर कस ली है। महाप्रबंधक श्री लाहोटी ने मानसून की तैयारियों की समीक्षा की और संबंधित अधिकारियों को मानसून से संबंधित सभी कार्य लक्ष्य से पहले पूरा करने के निर्देश दिये। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को सभी संवेदनशील स्थानों पर चौबीसों घंटे निगरानी सुनिश्चित करने और राज्य सरकार और नगर निगमों के साथ निकट समन्वय में काम करने के निर्देश भी दिए।

ठाकुर ने बताया कि पश्चिम रेलवे के मुंबई मंडल ने अपने उपनगरीय नेटवर्क पर मानसून के दौरान चुनौतियों से निपटने के उपाय किये हैं तथा निर्बाध रेल सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए विभिन्‍न उपाय किये गये हैं, जिनका विवरण निम्नानुसार है:-

नालियों की सफाई

पश्चिम रेलवे ने अपने उपनगरीय खंड पर 18 किमी नालियों की गाद को निकाला है और शेष 42 किमी नालियों की सफाई का काम प्रगति पर है। मई के मध्य तक सफाई का पहला दौर पूर्ण कर लिया जाएगा। मानसून के दौरान 15 दिनों के अंतराल पर दो और राउंड किये जाएंगे।

नालों की सफाई

पश्चिम रेलवे ने अपने उपनगरीय खंड पर 14 नालों की सफाई कर दी है और शेष नालों की सफाई का कार्य प्रगति पर है। मई के मध्य तक इनकी सफाई का पहला दौर पूरा हो जाएगा। मानसून के दौरान 15 दिनों के अंतराल पर चार और राउंड किये जाएंगे।

पेड़ों की ट्रिमिंग

रेलवे कॉलोनियों सहित विभिन्न स्थानों पर पेड़ों को छांटने का कार्य किया जा चुका है और कई स्‍थानों पर प्रगति पर है।रेलवे और नगर निगम के अधिकारियों द्वारा संयुक्त सर्वेक्षण के बाद रेलवे पटरियों और अन्य ओवरहेड प्रतिष्ठानों के आसपास के पेड़ों की छंटाई कर दी गई है।  

 

मक हटाना

पश्चिम रेलवे ने मुंबई उपनगरीय खंड पर 1.60 लाख क्यूबिक मीटर मक की सफाई और उसे हटाने का लक्ष्य रखा है, जिसमें से 1,40,000 क्यूबिक मीटर मक की सफाई का कार्य प्रगति पर है।यह कार्य विशेष रूप से डिजाइन की गई मक स्पेशल ट्रेन, बीआरएन, जेसीबी, पोक्लेन मशीनों और लगभग 600 मजदूरों को तैनात करके किया जा रहा है। यह मानसून के दौरान बारिश के पानी के सुचारू निर्वहन/प्रवाह में मदद करेगा।

जोगेश्वरी (पूर्व) में 1.50 लाख क्यूबिक मीटर मलबा हटाने का काम किया जा रहा है ताकि नेस्को परिसर के निकट भरने वाले पानी की सुगम निकासी के द्वारा जल भराव की समस्‍या को कम किया जा सके।

फ्लड गेज और मैनहोल का प्रावधान

उपनगरीय खंड पर 36 जल भराव संबंधित स्थानों पर फ्लड गेज उपलब्ध कराए गए हैं।

सुचारू जल निकासी की सुविधा के लिए नए मैनहोल और नालियों का निर्माण किया गया है।

वर्षा और जल स्तर के आंकड़ों की वास्तविक समय के आधार पर निगरानी करने और तदनुसार निवारक कार्रवाई शुरू करने के लिए 10 स्वचालित वर्षा गेज स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा चार ऐसे स्वचालित रेन गेज भारतीय मौसम विभाग के सहयोग से स्थापित किए गए हैं।

रिटेनिंग वॉल का निर्माण और इसी तरह के अन्य कार्य:

ट्रैक सुरक्षा के लिए प्रमुख पुलों क्रमांक 73 एवं 75 के दोनों एप्रोच पर और नालासोपारा-विरार (पूर्व) में रिटेनिंग वॉल का निर्माण किया गया है।

चंद्रावरकर और चमदावाड़ी नाले का उन्नयन और री-ग्रेडिंग किया जा रहा है, जिससे कि वर्षा जल का तेजी से निपटान होगा।

मानसून के दौरान जनता के लिए सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए अंधेरी और खार सबवे की मरम्मत का काम किया जा रहा है।

पश्चिम रेलवे द्वारा दादर-माटुंगा रोड (पश्चिम) में एमसीजीएम के समन्वय से एसबी रोड नाले के द्वारा अतिरिक्त वर्षा जल को निकालने के लिए 7 आउटलेट बनाए गए हैं।

 ट्रैक की लिफ्टिंगओएचई और सिग्नलिंग उपकरण संबंधित कार्य

निचले इलाकों में चिन्हित किए गए 15 खंडों में पटरियों और ओएचई को 100 मिमी से 250 मिमी तक उठाया जा रहा है। इससे आगामी मानसून के दौरान भारी बारिश के दौरान ट्रैक के जलमग्न होने से रोकने में मदद मिलेगी।

गर्डर पुलों पर ओएचई और इन ओएचई मस्तूलों के भू-प्रतिरोध को भी पूरी तरह से जांचा और पूरा किया गया है।

भारी बारिश के कारण प्वाइंट और सिगनल विफलताओं को कम करने और लगातार बारिश के दौरान भी सुचारू ट्रेन संचालन सुनिश्चित करने के लिए मानसून की शुरुआत से पहले इन्सुलेशन परीक्षण के साथ विभिन्न सिगनलिंग गियरों और उपकरणों की सभी आवश्यक मरम्मत और प्रतिस्थापन किया जा रहा है।

 ड्रोन सर्वेक्षण

बोरीवली-विरार खंड में नालों और वसई-विरार खंड में प्रमुख नालों की निगरानी, सफाई और जाम वाले स्‍थलों की पहचान के लिए ड्रोन सर्वेक्षण किया जा रहा है। यह जलमार्गों में अवरोधों और नालों की सफाई और ड्रेजिंग की निगरानी करने में मदद करता है।

उच्च क्षमता वाले जल पंपों का प्रावधान

पश्चिम रेलवे ने भारी बारिश के दौरान जलजमाव वाले संवेदनशील विभिन्न स्थानों की पहचान की है और इन स्थानों पर 100 उच्च क्षमता वाले पानी के पंपों का प्रावधान किया है। इसी तरह 104 वाटर पंप रेलवे कॉलोनियां और रेलवे यार्ड, कारशेड आदि में लगाये जा रहे हैं।

यह सीवरेज और सबमर्सिबल पंपों सहित पटरियों और डिपो पर उपलब्ध कराए गए पंपों की संख्या में 14% की वृद्धि है।

 रेल भवनोंडिब्बों और इंजनों में जल रिसाव को रोकना

रेल सेवा भवनों और रेलवे कॉलोनियों में लीकेज, कवरशेडों में गैप के माध्यम से प्लेटफॉर्म पर लीकेज आदि को ठीक करने पर विशेष ध्यान दिया गया है। साथ ही लोअर परेल, मुंबई सेंट्रल और महालक्ष्मी ईएमयू कारशेडों और बांद्रा टर्मिनस में कोच केयर सेंटर में लीकेज को बंद करने के लिए आवश्‍यक जाँच की गई।

इसके सभी ईएमयू और मेमू रेकों की सर्विसिंग और रखरखाव पर विशेष ध्‍यान दिया गया है।

डिब्बों/इंजनों में संभावित लीकेज को बंद करने और छतों के वाटर प्रूफिंग के अलावा खिड़कियों और दरवाजों के सुचारू संचालन पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। पेंटोग्राफ और छत की विद्युत इकाइयों के उचित कार्य प्रणाली की जाँच और उसे सुनिश्चित करने जैसे कार्य भी बारिश के आगमन से पहले ही पूरे हो चुके हैं।

 नई तकनीक का प्रयोग

नालों की सफाई के लिए सक्शन/डिस्लजिंग मशीन की तैनाती की गई है।

पिछले मानसून के जल जमाव वाले स्थलों जैसे: बांद्रा, अंधेरी, माहिम, ग्रांट रोड, गोरेगांव, विरार, वसई रोड की पहचान की गई है और प्रत्येक स्पॉट के लिए अनुकूलित समाधान (नाली और पाइप नेटवर्क) तैयार किए गए हैं।

माहिम, माटुंगा, अंधेरी, वसई रोड और दादर यार्डों में अतिरिक्त जल निकासी का प्रावधान किया गया है।

माहिम, अंधेरी, ग्रांट रोड यार्डों में ट्रैकों के आर-पार एचडीपीई पाइप प्रदान किए गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप यार्डों से वर्षा जल की त्वरित निकासी होगी।

वसई रोड में नालों के निर्माण के लिए माइक्रो टनलिंग पद्धति को अपनाना गया है। यह वर्षा जल की निकासी क्षमता में वृद्धि करेगा। वसई यार्ड में यह कार्य प्रगति पर है।

खंड में गिट्टी सफाई मशीन काम कर रही है जो ट्रैक ड्रेनेज में मदद करेगी और इससे निकले मलबे का उपयोग सैस की मरम्मत के लिए किया जाएगा।

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