67 बच्चों ने 18 दिन जिया जैन साधुओं जैसा जीवन

श्रावक - श्राविका के जीवन मे श्रेष्ठ तप साधना है उपधान :- जीतरक्षित सूरीश्वरजी

सभी बाल आराधकों की हम अनुमादना करते हैं।नन्ही उम्र मे गुरु सानिध्य में इस तरह का तप करना बहुत प्रशंसनीय हैं।

दीपक जैन :-संपादक

शांति वल्लभ टाइम्स


भायंदर :- लघु शांति सहित अनेक जैन स्तोत्र के रचयिता,भगवान महावीर स्वामी की 33वीं पाट परंपरा पर बिराजमान प्रख्यात जैन संत परम पूज्य आचार्य श्री मानदेव सूरीश्वरजी म.सा .ने जैन जैन श्रावक - श्राविका के जीवन मे विशिष्ट आराधना स्वरूप उपधान तप के विधि के ग्रंथ की रचना की थी।जैन धर्मावलंबियों के जीवन मे यह सर्वश्रेष्ठ आराधना हैं।

उपरोक्त बात युग प्रधानाचार्य,प्रखर प्रवचनकार,आचार्य सम परम पूज्य चंद्रशेखर सूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य रत्न श्रुत ज्ञान प्रेमी परम पूज्य आचार्य श्री जीतरक्षित सूरीश्वरजी म.सा.ने कही। श्री सीमंधर स्वामी भगवान मंदिर के प्रांगण में श्री पार्श्व प्रेम श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ के तत्वावधान में 4 से 14 साल तक के बच्चों के अढारीयू तप में बोल रहे थे।यह एक तरह का मिनी उपधान है,जिसमे 67 बच्चों ने यह आराधना की हैं।इस अवसर पर पन्यास प्रवर श्री पद्मरक्षित विजयजी म.सा. आदि ठाणा की निश्रा थी।

गुरुदेव ने बताया कि जीवन की शिक्षा और दीक्षा स्वरूप महामंगलकारी उपधान तप की आराधना गुरु निश्रा में करनी होती हैं।संपूर्ण उपधान तप 47 दिनों का होता हैं,औऱ किसी से 47 दिनों का एकसाथ ना हो तो 18 -18- 4-8 दिन अलग अलग भी कर सकता हैं, इसे अढारीयू कहा जाता हैं।उन्होंने बताया कि 18 दिनों की तप आराधना के तप आराधक 7 उपास (गरम पानी सूर्यास्त के पहले),9 नीवी (1 समय खाना),1800 लोगस्स काउसगग, 1800 खमासणा,38 हजार से ज्यादा नवकार मंत्र जाप,540 सामायिक,18 पौषध,77 देव् वंदन, 37 प्रतिक्रमण आदि क्रिया करते है।


उन्होंने कहा कि इस तप के दौरान आराधक हर भौतिक सुख सुविधाओं से दूर रहते हैं।18 दिन तक एक ही कपड़े में रहना,स्नान नही करना आदि कड़क नियमों का पालन बच्चों ने हंसते हंसते किया।18 दिन गुरुदेव के प्रवचन,संस्कार वर्धक, विविध स्पर्धा सहित अनेक आयोजन हुए।सभी बच्चो का सम्मान 3 जून को तथा 4 जून को वरघोडा शहर के विभिन्न राजमार्गों से निकलेगा व उसके बाद मोक्षमाला संपन्न होगी।

इसी तप के छोटे आराधक ध्रुवम शाह ने कहा कि 18 दिनों तक हमने धर्म की बाते सीखी और यह तप कब पूर्ण हुआ पता ही नही चला।जैन जागृति सेंटर के प्रकाश शाह ने सभी तपस्वियों की सराहना की व कहा कि इस तरह के आयोजन से बच्चों में संस्कारों का सिंचन होगा और बड़ों के लिए भी वे प्रेरणादायी होंगे।

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