102 वर्षीय श्रावक छत्राणी ने किये दिनेशमुनि जी के दर्शन

अधिकतर समय सामायिक में रहते है


नवसारी :
- पिछले दिनों श्रमणसंघीय सलाहकार  दिनेशमुनिजी , डॉ . द्वीपेन्द्र मुनिजी एवं डॉ पुष्पेन्द्र मुनिजी विहार करते हुए खडसूपा नवसारी ( गुजरात ) स्थित भगवान महावीर विश्व कल्याण ट्रस्ट, पांजरापोल पहुँचे । वहाँ 102 वर्षीय विलक्षण श्रावक पूणमचंद काकलचंद छत्राणी गुरुदेव के दर्शनाथ उपस्थित हुए। 

गुजराती स्थानकवासी जैन परम्परा के श्रावक छत्राणी ने श्रद्धाभाव से मुनिवृंद की वंदना की । अधिकांश समय सामायिक में रहने वाले श्रमणतुल्य श्रावक  छत्राणी जैन समाज के प्रथम सुदीर्घ आयु वाले तपस्वी है जो कि वर्षों से उपवास  एकासन का वर्षीतप कर रहे हैं । 13 वर्ष की बाल्यावस्था में ही उन्होंने प्रतिक्रमण कंठस्थ कर लिया था । वे प्रतिदिन उभयकाल प्रतिक्रमण, हर पक्खी को अष्टप्रहरी पौषध और दीपावली पर छट्ठम् तप की आराधना करते हैं । वे नंगे पाँव रहते , अहर्निश मुँहपत्ती बांधे रखते हैं और वर्ष में दो बार लोच करते हैं । 

मूलतः धानेरा निवासी छत्राणी को गुजराती स्थानकवासी सम्प्रदाय के नागचंदजी महाराज का विशेष सान्निध्य मिला । इसके अलावा उन्होंने उपाध्याय पुष्कर मुनिजी का आशीर्वाद भी पाया और उपाध्याय  कन्हैयालालजी महाराज ' कमल ' के दो चातुर्मास धानेरा में हुए तो भरपूरा लाभ लिया । उनकी संयमित , धर्ममय और शाकाहारी जीवनशैली उनकी दीर्घायु का राज है । ऐसे दृढ़धर्मी प्रियधर्मी श्रावक पर सकल जैन समाज को नाज है ।

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