जैन समाज सड़कों पर उतर कर “शाकाहार आंदोलन” करेगा - डॉ. पुष्पेन्द्र
केन्द्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण रिपोर्ट से जैन समाज हुआ नाराज़
उदयपुर - भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय अंतर्गत राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी होने से देशभर के जैन अनुयायियों में रोष व्याप्त हो गया है ।
वर्ष 2019-2021 की यह 5वीं रिपोर्ट सर्व धर्मों के खान पान से संबंधित है जिसमें सर्वेक्षण के आँकड़े अनुसार मांसाहार करने में 14.96 %जैन पुरुष और 4.3% महिलाएँ है जो कि जैन पुरुषों की संख्या पिछले पाँच वर्ष में चौगुनी हो गई है।
इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी होने पर देश भर में सोशल नेटवर्किंग पर जैन अनुयायी इसका विरोध करते नज़र आ रहे। श्रमण डॉ. पुष्पेंद्र ने केंद्रीय आरोग्य राज्यमंत्री श्रीमती भारती पावर को लिखें पत्र में चेताया कि आख़िरकार अल्पसंख्यक वर्ग में सम्मिलित जैन समाज को निशाने पर लेकर क्यूँ ऐसा हो रहा ? उन्होंने श्रीमती पावर से पूछा कि - आख़िर यह सर्वे कब - कहाँ - व किस आधार पर हुआ, सरकार द्वारा ऐसी कोई जानकारी कभी जनता को क्यूँ नहीं दी गई।
श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र ने आगे कहा कि, “यह सर्वविदित है कि संपूर्ण विश्व में जैन समाज एक शाकाहारी समाज के रूप में जाना जाता है। सदा शांत रहने वाला जैन समुदाय अपनी अहिँसा नीति के लिए सम्पूर्ण जगत में जाना जाता है। शाकाहार व जैन आहारचर्या जैनों की सात्विक व शुद्ध खानपान पद्धति है। जैनों के खानपान से पूरा विश्व परिचित है। जब-जब भी विभिन्न सरकारों ने स्कुलों में मिडडे मिल आदि में अंडे परोसने की योजना बनाई तो जैन समुदाय उस योजना का विरोध करने में अग्रणी रहा।
छतीसगढ़ में जैन समुदाय ने स्कुलों में अंडे वितरण का जमकर विरोध किया था। जब मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री शिवराज चौहान मिड डे में अंडे वितरण की योजना लाई, तब भी जैन समुदाय ने डटकर विरोध किया और महाराष्ट्र मुख्यमंत्री ने राशन की दुकानों पर अंडे, चिकन आदि बेचने का निर्णय लिया तो भी जैन समुदाय ने उस वितरण योजना का डटकर विरोध किया। फाइव स्टार होटल हो या विभिन्न एयरलाइंस सभी मे “जैन फूड” की उपलब्धता जैनों के शाकाहार के प्रति गहरी प्रतिबद्धता की निशानी है। यहां तक दुनिया भर में जैन भोजन (थाली) विश्व भर के रेस्टोरेंट में उपलब्ध है, जैन समुदाय आलू, प्याज और लहसुन जैसी जड़ वाली सब्जियों का सेवन करने से परहेज करते हैं।
श्रमण डॉ. पुष्पेंद्र ने पत्र में स्पष्ट लिखा कि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जैन समाज के नाम माफ़ी पत्र जारी किया जाए व अल्पसंख्यक जैन समाज की भावनाएँ आहत करने वाले संबंधित अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए अन्यथा जैन समाज अति शीघ्र केन्द्र सरकार के ख़िलाफ़ सड़कों पर उतर कर पूरे देश में “शाकाहार आंदोलन” प्रारम्भ करेगा।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट http://rchiips.org/NFHS/NFHS- 5Reports/NFHS-5_INDIA_REPORT. pdf पर अवलोकन कर सकते हैं
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