जो जिनवचन श्रवण करता है, वही श्रावक कहलाता है - तत्वलताश्रीजी

तत्वलता श्रीजी की निश्रा में धर्ममय हुआ मेघनगर

जीवनलाल जैन 


मेघनगर :-
सिर्फ जैन कुल में, संभ्रांत परिवार में जन्म ले लेने मात्र से ही कोई श्रावक नही बन जाता, श्रावक तो वही होता है जो जिनवाणी का श्रवण कर उसे अपने आचरण में उतारे।

उक्त विचार मेघनगर  संघ में ज्ञानतत्व तपोमय चातुर्मास हेतु विराजमान पूज्य साध्वी श्री तत्वलता श्रीजी म. सा. ने अपने प्रवचन में कहे। उन्होंने कहा कि मानव को कभी पुण्य के उदय की चाहना भी नही करना चाहिए, वह हमारे सद्कर्मों से स्वयं उदय में आते है, चाहना तो ऐसी होती है जिसका कि कोई अंत ही नही होता है, ये तो सदैव बढ़ती ही रहती है।

संघ के रजत कावड़िया ने बताया कि संघ में चल रही सामूहिक सिद्धितप एवं भद्रतप आराधना के सामूहिक बियाशना संपन्न हुए। बियाशना का लाभ जिनेंद्रकुमार बाफना परिवार ने लिया।  पूज्य साध्वीजी के दर्शन वंदन हेतु अलीराजपुर निवासी और नंदूरी (नानपुर) जैन तीर्थ के निर्माता काकड़ीवाला परिवार के कमलेशजी काकड़ीवाला पधारे। काकड़ी वाला का बहुमान, बहुमान के लाभार्थी परिवार, वोहरा, रूनवाल, रांका व  कावड़िया परिवार ने किया। 

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